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- होशियार कही आपके बच्चे तो नही हो रहे इस बात के शिकार..........
Posted by : achhiduniya
12 May 2015
आपकी छूट या भरोसा कही आपको पछताने पर मजबूर न कर......
मित्रो प्रणाम......आज आपसे आपके बच्चो के विषय
मे बात करेंगे। जिस तरह आप अपने बच्चो के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित होते है,उनके भविष्य,उनकी पढ़ाई को लेकर न जाने क्या-क्या...?सपने देखते है,लेकिन कभी आपने सोचा है की आपका बच्चा स्कूल,कॉलेज,ट्यूशन या कोचिंग क्लास के अलावा कहा जाता–जाती है।
आपको अपने बच्चो पर
पूरा भरोसा है और होना भी चाहिए लेकिन आपकी छूट या भरोसा कही आपको पछताने पर मजबूर
न कर दे। क्योकि आज आपको एक अनजानी मुसीबत या आने वाली परेशानी से अवगत करना चाहते
है।मेट्रो शहर हो या नगर-गॉव में इन दिनों गली-गली कोचिंग
सेंटर खुल गये हैं जहां पढ़ाई कम इश्क मिजाजी ज्यादा चल रहे हैं।
कोचिंग सेंटर
लगाने वाले मास्टर साहब को यह नहीं पता होता या
जानबूझकर चुप्पी साधली कि उनकी ट्यूशन से जाने के बाद बच्चे कहां जाते हैं और न ही
उन्होंने छात्रों से पूछने की जहमत उठाते है,चूंकि वह तो इतने व्यस्त होते
हैं कि एक के बाद दूसरी ट्यूशन शिफ्ट चालू हो जाती है।
ट्यूशन से निकलकर छात्र
अपने अपने जुगाड़ में लग जाते हैं और फिर शुरू होता है मेल-मिलापों का दौर, चाय कॉफी, रेस्टारेंट और गलत कामों का
दौर जिनसे उनके परिजन भी अनजान है।
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो सुबह लगने वाले
इस स्कूल के छात्र अक्सर स्कूल समय में ड्रेस पहने हुए सूनसान कालोनी व
गलियों में आसानी से देखे जाते हैं। जहा वे अपनी
वो हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करते है जो अक्सर फिल्मी दुनिया के पड़दे पर होता है।
जिसमे हीरो –हीरोइन के लिप-लॉप किस के साथ शारीरिक भूख शांत करना और बाद मे पछताना। कई छात्र - छात्राए
स्कूल
में ही अपनी जवानी का लुत्फ उठाते हैं।
स्कूलो-कॉलेजो मे अब शिक्षा कम बल्कि मस्तियां ज्यादा
की जा
रही है। शिक्षक भी इन्हे न रोकते है ना ही टोकते है क्योकि वे इसे आज की
जनरेशन के हिसाब से ओपन सोसाइटी कह कर टाल देते है। मां-बाप अपने बच्चों को
स्कूल, कॉलेज व कोचिंग क्लॉस सिर्फ इसलिए भेजते हैं ताकि उनका बच्चा
अच्छी
से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर काबिल बन सके और अपने
भविष्य को उज्वल कर सके।
नादान बच्चो पर भरोसा उचित है,लेकिन बालिग बच्चो पर भरोसे के साथ निगरानी भी अति आवश्यक है,क्योकि आज देश मे बड़ते अपराधो जैसे:- बलत्कार,हत्या,छेड़छाड़ मे नेता –अभिनेता यहा तक की हम भी अपनी निंदनीय प्रतिक्रिया देते
है। समय रहते आप इन्हे रोकने का प्रयास जरूर कर सकते है।
अभिभावकों [पालकों] को आगाह कराना चाहते
हैं कि वे अपने बच्चों पर पैनी नजर रखें चूंकि अक्सर जवानी की सीढ़ी में कदम रखते
ही बच्चों के पैर बहकने लगते हैं। अपने बच्चे पर निगरानी रखे
ताकि आपके बच्चे को आप पर शक भी न हो और उसका जीवन गलत राह पर जाने से रोका जा
सके।
आपके बच्चे कब...?कहा...?
जाते है,किस्से...? मिलते है। उनके
दोस्त कौन है...?इन बातो की थोड़ी बहुत जानकारी जरूर रखे साथ
ही दिन मे दो बार जरूर अपने बालिग बच्चो से मोबाईल द्वारा बात कर लोकेशन का पता
रखा करे ताकि अनजानी मुसीबत या आने वाली परेशानी से समय रहते बचा जा सके।
बच्चो
के भविष्य के साथ उन्हे सही-गलत की जानकारी देना भी आपका कर्तव्य है। आपका मित्र अनिल भवानी ।