- Back to Home »
- Religion / Social »
- कब....?और क्यू....? पड़े हनुमान चालीसा....
Posted by : achhiduniya
25 May 2015
हनुमान भक्ति के कारण ही औरंगजेब ने उन्हे
बन्दी बनाकर जेल मे डाल दिया था......
रामायण का वर्णन हो,श्री राम का ध्यान हो और श्री हनुमान जी का जिक्र ना हो ऐसा तो हो नही सकता। श्री राम और श्री हनुमान दो जिस्म एक जान है,भक्त के बिना अधूरे भगवान है। एक असीम प्रेम भक्ति-शक्ति तो दूसरे परम प्रतापी शक्तिशाली भगवान है।
राम कथा जहा-जहा हनुमान जी वहा-वहा। श्रीराम जी से भक्त हनुमान जी ने यह वर मांगा था कि मेरे ह्रदय मे आपके चरणों का वास सदा बना रहे,जिस पर प्रसन होकर प्रभु श्री राम जी ने उन्हे यह वर दिया कि जब भी मेरे यानी राम के नाम का वर्णन होगा तब तक आप अजर और अमर रहेंगे इसलिए श्री हनुमान जी को जाग्रत देव यानी इस कलयुग मे भी जीवित अर्थात सर्वत्र माना जाता है।
वही बैठ कर उन्होने हनुमान चालीसा के पाठ कि रचना कि इसमें 40 छंद होते हैं जिसके कारण इसको चालीसा कहा जाता है। यदि कोई भी इसका पाठ करता है तो उसे चालीसा पाठ बोला जाता है।हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का महत्व बहुत अधिक है। आइए जानते है हनुमान चालीसा के खास महत्वों के बारे में हनुमान चालीसा को डर,भय,विपत्ति,आपदा आने के समय पड़ने से वे दूर हो जाती है।
किसी व्यक्ति को कोई बुरी शक्तियों से परेशानी उत्पन्न हो रही हो तो यानी कामो मे आनेवाली या व्यापार मे होने वाली शती-हानी,रुकावट दूर करने के लिए।शनी के दुष्प्रभाव के कारण मन कि शांती का भंग होना इससे मन शांत होता है।तनाव से मुक्ति व प्रभु श्री राम कि कृपा पाने के लिए। जाने अंजाने मे कि गई गलती कि माफी मांगने औए दुबारा उसे न दोहराने का संकल्प लेकर क्षमा मांगने के लिए।

किसी भी शहर से यात्रा पर जाने तथा यात्रा सफल होने कि प्रार्थना करने के लिए। अपनी शुभ इछाओ कि पूर्ती हेतु। सदबुद्धी,बल कि प्राप्ती हेतु। नकरामकता दूर करके मन मे नई ऊर्जा और उत्साह जगाने हेतु।हनुमान चालीसा मे श्री हनुमान जी के जीवन का सार छुपा है जिससे जीवन मे अगाध भक्ति के साथ सतकर्म के मार्ग मे चलने कि प्रेरणा मिलती है।
अगर आपको पाठ कंठस्थ है तो आप कभी भी-कही भी हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते है इसके लिए कोई समय निश्चित नही है,प्रातः काल का समय अति उत्तम होता है।लेकिन आप हाथ मे साहित्य लेकर पाठ करते है तो उसके लिए आपका तन शुद्ध अर्थात स्नानक्रिया पूर्ण होनी चाहिए।