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- आज-कल के बच्चे बिगड़ैल [कुसंस्कारी] और जिद्दी.......किसकी गलती......?
Posted by : achhiduniya
27 May 2015
मित्रो प्रणाम........ आज–कल हर पालक और
माता-पिता की शिकायत होती है कि बच्चा बड़ा जिद्दी होता जा रहा है,जिससे वे अपने रिश्तेदारों व मेहमानो के बीच शर्मिंदगी के दौर से गुजरने
पर मजबूर होते है। कभी आपने यह जानने की कोशिश की है की ऐसा क्यू.....? होता है। क्यू...?आपका बच्चा आप ही की बात को काटता
व मानने से इंकार कर देता है।
यहा हम आपसे उन बच्चो की बात कर रहे जिनकी उम्र 3
साल से लेकर व्यस्क यानी 18 से ऊपर या उससे भी अधिक होती है। अक्सर देखा जाता है कि मां
बच्चों से ज्यादा लाड़ जताकर और तोतली जुबान में बात करती हैं, जबकि पिता साफ लहजे और शब्दों
में बातचीत करते हैं। पिता और बच्चों के बीच बातचीत पर किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि बच्चों से तोतली
जुबान में बात करने से परहेज करने वाले पिता अपने बच्चों के लिए बाहरी परिवेश और
माहौल में सामंजस्य बैठाने में सहायक होते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जो पिता
अपने बच्चों से बड़ों की तरह साफ शब्दों और लहजे में बात करते हैं, वे बच्चों को बाहरी दुनिया में
घुलने-मिलने एवं दूसरों की बातों को समझकर बातचीत करने में उनके लिए मददगार साबित
होते हैं। अगर आपने अपने बचपन मे अपने माता- पिता या गुरुजनों का कभी आदर नही
किया या हमेशा उनका अपमान किया तो आपका बच्चा कभी आपकी बात नही मानेगा क्योकि एक
फिल्म का गीत है:- “जो बोएगा वही पाएगा तेरा किया आगे आएगा....सुख दुख है क्या बन
खता....जैसी करनी वैसी भरनी” यह बात सोला आना सत्य है।
अक्सर माता-पिता अपने बच्चो
की हर छोटी से छोटी इच्छा को पूरी करते है जो ठीक है लेकिन अधिक मीठा खाने से शुगर
होती है।अधिक नमक खाने से ब्लड प्रेशर बड़ता है। यह तो एक सामान्य ज्ञान है। आपको
आपके माता-पिता ने किस प्रकार पालापोसा,किस प्रकार उन्होने
आपको अपनी डांट से,प्यार से,दुलार से
हर मुश्किल से लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होने आपको अपने संस्कारो के जरिए छोटे-बड़ो
का आदर करते हुए जीवन मे आगे बड़ने के लिए मार्ग का निर्माण किया।
वही अगर आप अपने
बच्चो को बचपन से ही अच्छे और बुरे का फर्क समझाते हुए उनकी मांग को पूरा करने से
लेकर खारिज करने तथा उन पर अपना व्यक्तित्व यानी अपने पारिवारिक संस्कारो का ज्ञान
देते रहेंगे तो वे कभी भी आपकी बात को नही नकारेंगे,हा अगर आप
ही अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड लेंगे तो आपको ही अपने बच्चे को कभी कसीनों,किटी पार्टी से तो कभी पुलिस स्टेशन से लाने के लिए जाना पड़ सकता है। इसके
जिम्मेदार आप खुद होंगे ना की आपका बच्चा।
आखिर मे एक बात और “कुंभार” ही अच्छा घड़ा
बना सकता है, वह गीली मिट्टी को जो चाहे आकार दे सकता है:- चाहे
तो घड़ा बना ले,चाहे तो सुराई बना ले,चाहे
तो अच्छे –अच्छे मिट्टी के खिलौने बना ले अगर एक बार वे भट्टी मे पक कर तैयार हो गए
तो उसे दुबारा आकार देना संभव नही सिर्फ टूटना संभव है। बच्चो का बचपन उस गीली मिट्टी
की तरह होता है और “माता-पिता” उस “कुंभार” की तरह जो आकार देना चाहे दे सकते है। एक
बार बच्चा दुनिया कि तपिश मे तप गया तो..............