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- क्यू....?लगती है लू....कैसे बचे......?
Posted by : achhiduniya
02 June 2015
शरीर का मूल तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाने के बाद भी कोई व्यक्ति बिना रुके बेहद गर्म स्थितियों में काम करता रहता है आमतौर पर यह तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं हाथ की त्वचा का तापमान अपेक्षाकृत कम यानी लगभग 33 डिग्री सेल्सियस रहता है। तो शरीर के अंदर से त्वचा तक एक तरह का उष्मा क्षरण होता है और यह शरीर का ठंडा रहना सुनिश्चित करता है।
जब आसपास का तापमान लगभग 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, तो एक विपरीत प्रक्रिया शुरू हो जाती है और शरीर ऊष्मा को इकट्ठा करना शुरू कर देता है, और व्यक्ति को लू लग जाती है। यह आमतौर पर एक घातक स्थिति होती है। लू लग जाने के बाद शरीर से पसीना आना बंद हो जाता है और तब सिर्फ आपात उपचार ही एकमात्र हल रह जाता है। इस आपात उपचार में ड्रिप के जरिए द्रव उपलब्ध करवाए जाते हैं।
शरीर को गर्मी लगती है तो त्वचा के पास रक्त नलिकाओं को फैलने का संकेत भेजा जाता है ताकि ज्यादा खून सतह तक पहुंच सके। इसके बाद पसीने के जरिए गर्मी निकलेगी। यह इंसानों के लिए एक तरह का प्राकृतिक वातानुकूलन है। गर्मी के संपर्क में जरूरत से ज्यादा आ जाने के शुरुआती संकेतों में सिरदर्द शामिल है। यदि इस पर गौर नहीं किया जाता तो एक तरह की बेचैनी अंदर बैठ जाती है। इसके बाद चक्कर और उबकाई आने लगते हैं। अगर इस पर भी ध्यान नहीं दिया जाता तो मरोड़ भी उठ सकते हैं। इसके बाद भी यदि गर्मी के संपर्क में बने रहते हैं बेहोशी भी आ सकती है।
लू से बचने के लिए कुछ आसान उपाय करने चाहिए। जैसे कि सुबह लगभग 10 बजे से दोपहर 5 बजे तक गर्मी के संपर्क में आने से बचें। गर्मी के दिनो मे दोपहर को आराम करना अच्छा होता है। हर घंटे एक से दो गिलास पानी जैसे द्रव पीकर लू लगने से बचने में मदद मिलती है। हल्के रंग के ढीले-ढाले कपड़े भी गर्मी में अच्छे रहते हैं। गर्मी में साड़ी पहनना अच्छा है लेकिन तंग जीन्स बिल्कुल नहीं पहननी चाहिए।
राजस्थानी पुरुष लंबी पगड़ियां पहनते हैं, इसके पीछे वैज्ञानिक वजह भी है। कई घुमावों वाली उनकी यह पगड़ी उनके सिर को सूरज की सीधी गर्मी पड़ने से बचाती है।वही शहर वासी टोपी और दुपट्टों का सहारा लेकर मुँह और कान ढकते है,ताकि धूप और लू के थपेड़ो से बचा जा सके।कुछ लोग जेब मे प्याज भी रखते है जिससे[प्याज से] शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।