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Posted by : achhiduniya
01 June 2015
आज के भौतिक व तकनीकी युग मे माता-पिता अपने काम की व्यस्तता के चलते
अपने मासूम बच्चो से इस कदर दूर होते जा रहे है,मानो वे उनके जीवन के अंग न होकर उनके
लिए [माता-पिता के लिए ]सिर्फ एक कर्ज है,जिसे चुकाने के
लिए वे दिन रात मेहनत करते है।
इस आपा-धापी का असर बच्चो पर क्या......? हो सकता है,आज आपको एक छोटी सी कहानी के माध्यम से बताने
का प्रयास करेंगे। एक स्कूल की शिक्षिका बच्चों की कॉपियां जांचने के लिए घर ले
आई थी। बच्चो की कॉपियां देखते देखते उसके आांसू बहने लगे। उसका पति वही लेटकर
टेलीविजन देख रहा था। उसने रोने का कारण पूछा।
वह
बोली, सुबह मैंने बच्चो को “मेरी सबसे बड़ी इच्छा” विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने को
कहा था। एक बच्चे ने इच्छा जाहिर की है कि “भगवान उसे टेलीविजन बना
दे”। यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे। वह बोली, “आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है
यदि मै टेलीविजन बन जाऊांगा, तो घर में मेरी एक खास जगह होगी
और सारा परिवार मेरे आस पास रहेगा। जब मै बोलूंगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से
सुनेंगे।
मुझे रोका टोका नहीं जायेंगा और नहीं सवाल होंगे। जब मै टेलीविजन बनूंगा, तो पापा दफ्तर से आने के बाद
थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे। मम्मी को जब तनाव होगा, तो वे मुझे डांटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ रहना चाहेंगी। मेरे
बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के लिए झगडा होगा। यहाँ तक की जब टेलीविजन बंद
रहेगा, तब भी उसकी अच्छी तरह देखभाल होगी
और हाँ, टेलीविजन के रूप में मै सबको
खुशी भी दे सकूगा।
यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते हुए बोला, ‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा उसके
माँ बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं देते! शिक्षिका पत्नी ने आंसू भरी आाँखों से
उसकी तरफ देखा और बोली, जानते हो, यह बच्चा कौन है? हमारा अपना बच्चा, हमारा छोटू। सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा तो
नहीं।
मित्रो आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में
हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए कम समय मिलता है, और अगर हम वो भी टीवी देखने, मोबाइल पर गेम खेलने और फेसबुक
से चिपके रहने में गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की अहमियत और उससे मिलने
वाले प्यार को नहीं समझ पायेंगे।
चलिए प्रयास करें की हमारी वजह से
किसी
छोटू को टीवी बनने के बारे में ना सोचना पड़े।[एक मित्र
दवारा कहानी के रूप मे आज की हकीकत सांझा की गई जीवन की सच्चाई को उजागर करती “मुझे
टेलीविज़न बना दो...प्यारे बच्चो से दूर होते पालक”]