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- घरेलू देसी फ्रिज यानी मटके व विदेशी फ्रिज के फायदे और नुकसान .........?.
Posted by : achhiduniya
09 June 2015
मित्रो प्रणाम.......आप
सभी ने इस बार लाईट यानी बिजली से चलने वाली फ्रिज का पानी खूब पिया होगा क्योकि इस
बार की गर्मी ने सभी को हिला कर रख दिया। गर्मी का कहर या यू कहे सूर्य देव की अति
कृपा द्रष्टि लोगो के पसीने छुड़ाने पर मजबूर कर देने के लिए काफी थी जो अभी तक जारी
है। आपमे से काफी लोग होंगे जिन्होने इस बार देसी फ्रिज यानी मटके का भरपूर उपयोग किया।
आइए कुछ देसी और विदेशी फ्रिज के बारे मे विचार सांझा करते है।
भारत देश मे आदि काल
से मिट्टी से लोगो का जुड़ाव रहा है इसलिए धरती को भी माँ का दर्जा दिया गया है तो क्या.....? माँ अपने बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है। मिट्टी से जुड़ने के लिए मटके
का इस्तेमाल प्राय हर युग मे किया गया है। यह प्राकृतिक जल का स्रोत है जो ऊष्मा को
अपने आप सिकुड़ कर ठंडक प्रदान करने के गुण से भरपूर होता है और शरीर की गतिशीलता
को बनाए रखता है। आपको बता दें कि मटके की मिट्टी कीटाणुनाशक होती है जो पानी में
से दूषित पदार्थों को साफ करने का काम करती है।
गर्मियां आते ही ठण्डे पानी के ना होने से प्यास नहीं बुझती और हम फ्रीज में पानी रखना शुरू कर देते है। वही फ्रिज का पानी बहुत ज्यादा ठंडा होने से नुकसान करता है,इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल भी पानी रखने के लिए सुरक्षित नहीं होती।अधिक दिनो तक प्लास्टिक की बोतल फ्रिज मे रखने से बैकटेरिया पैदा होते है,जो अनजाने मे शरीर मे प्रवेश कर नुकसान पहुचाते है।जिससे सर्दी,जुकाम व कफ को बड़ाता है।
गर्मियां आते ही ठण्डे पानी के ना होने से प्यास नहीं बुझती और हम फ्रीज में पानी रखना शुरू कर देते है। वही फ्रिज का पानी बहुत ज्यादा ठंडा होने से नुकसान करता है,इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल भी पानी रखने के लिए सुरक्षित नहीं होती।अधिक दिनो तक प्लास्टिक की बोतल फ्रिज मे रखने से बैकटेरिया पैदा होते है,जो अनजाने मे शरीर मे प्रवेश कर नुकसान पहुचाते है।जिससे सर्दी,जुकाम व कफ को बड़ाता है।
गले बैठने की समस्या से तो आप अनजान नही है।इसलिए हर 4 से 5 दिनो के अंदर
प्लास्टिक की बोतल को गर्म पानी से धोकर इस्तेमाल करे। वही मिट्टी के बर्तन यानी मटके
का पानी पीने से थकान दूर होती है। इसे पीने से पेट में भारीपन की समस्या भी नहीं
होती। रक्त बहने की स्थिति में मटके के पानी को चोट या घाव पर डालने से खून बहना
बंद हो जाता है। सुबह के समय इस पानी के प्रयोग से हृदय व आंखों की सेहत दुरुस्त
रहती है।
गला, भोजननली और पेट की जलन को दूर करने में मटके
का पानी काफी उपयोगी होता है। कुछ लोगो के लिए मिट्टी के मटके का पानी नही पीने की
हिदायत दी जाती है क्योंकि इसकी तासीर काफी ठंडी होती है जिससे कफ या खांसी बढ़ती
है। जुकाम,पसलियों में दर्द, पेट में
आफरा बनने की स्थिति व शुरुआती बुखार के लक्षण होने पर मटके का पानी नही पीना चाहिए।
नार्मल पानी या उबाल कर ठंडा किया पानी उपयोग मे लाना चाहिए।
जिन लोगो को अस्थमा
की समस्या हो वे फ्रिज के पानी का प्रयोग न करें तली-भुनी चीजें खाने के बाद यह
पानी न पिएं वर्ना खांसी हो सकती है। वही मटके का पानी रोजाना बदलें, लेकिन इसे साफ करने के लिए अंदर हाथ डालकर घिसे नहीं वर्ना इसके बारीक
छिद्र बंद हो जाते हैं और पानी ठंडा नहीं हो पाता।