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- आंखे...कुदरत का नायाब तोहफा...रखे इन का ख्याल
Posted by : achhiduniya
03 July 2015
आँख की रोशनी कम होना या आंखो मे
जलन होना आज की बहुत बड़ी समस्या है जिसका कारण गाड़ियो से निकलता जहरीला धुंवा और धूल
मिट्टी इससे सांस की तकलीफ भी बड़ती है। लगातार टीवी और कम्प्यूटर के सामने ज्यादा
देर बैठने से आंखें अपनी नमी खो देती हैं। हम सभी को कभी न कभी इन समस्याओं से दो
चार होना पड़ता है। कम्प्यूटर और टीवी के सामने बैठना भी नहीं छोड़ सकते।
परंतु रह
रहकर हमें ख्याल आता है कि आंखों पर बहुत स्ट्रेस पड़ रहा है।कुछ उपायो द्वारा इन
से निपटा जा सकता है। हम अक्सर ध्यान नहीं देते और कम्प्यूटर पर काम करते समय
लगातार इसकी तरफ देखते रहते हैं। ऐसे में पलकें झपकाना लगभग भूल जाते हैं। हालांकि
बिना ध्यान दिए भी हम पलकें झपकाते हैं परंतु आंखों को कम्प्यूटर पर होने वाले
नुकसान को कम करने और आराम बढ़ाने के लिए ध्यान रखकर बार बार पलकें झपकाना चाहिए।
इससे आंखों में नमी उतरती है और आंखों में सूखापन लगने से छुटकारा मिलता है। हम
में से बहुत से लोगों को लगातार कम्प्यूटर पर बैठना पड़ता है।
बीच में हम एक ब्रेक
लेते हैं। कई शोधों से साबित हुआ है कि एक लंबे ब्रेक के बदले कई सारे छोटे-छोटे
ब्रेक लिए जाने चाहिए। कम्प्यूटर पर लगातार बैठना न सिर्फ आपकी आंखों बल्कि कंधों, रीढ़, पीठ और गर्दन को भी
हानि पहुंचाता है। पांच मिनट के छोटे ब्रेक लेने से आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों
को काफी आराम मिलेगा और कोई स्थायी समस्या उत्पन्न नहीं होगी। कम्प्यूटर से होने
वाली समस्याओं से बचने के लिए खास चश्मे भी बाजार में उपलब्ध हैं।
इसके अलावा ऐसे
लोग जिन्हें नंबर का चश्मा लगता है अपने डॉक्टर से अपने लिए कम्प्यूटर के लिए
खासतौर पर बनने वाले चश्मे की मांग कर सकते हैं।
आंखों की सुरक्षा के लिए कम्प्यूटर की सैटिंग में भी बदलाव किया जा सकता है।
कम्प्यूटर की सैटिंग में जाकर ब्राइटनेस को एडजस्ट करें। ब्राइटनेस को सामान्य
रखें बहुत ज्यादा ब्राइट या कम ब्राइट आंखों के लिए नुकसानदायक है। इसके अलावा
जहां तक हो सके सफेद बैकग्राउंड पर काले अक्षर में काम करें।
आप किसी काबिल डॉक्टर के यहां जाकर अपनी आंखों की जांच
करवाएं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कम्प्यूटर पर सालभर तक अधिक काम करने के बाद
आंखों के जांच के लिए जाना ही चाहिए। आंखों की जांच के समय सही समय और घंटों का खुलासा जरूर करें। कम्प्यूटर से अपनी
दूरी का सही माप लें और डॉक्टर को बताएं। यह इलाज के लिए जरूरी है।