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- भाई चारे की मिसाल देते स्कूल और मदरसे.......
Posted by : achhiduniya
28 September 2015
भारत मे
अनेक धर्म
है जिसे
एक सूत्र
मे पिरोने
का काम
देश ने
किया है।
कही हनुमान
मंदिर
मे ईरानी
औरते नमाज
पड़ती देखी
गई जिसे
वही के
पुजारी
और फूल
बेचने
वाले ने
नमाज के
लिए जगह उपलब्ध
कराई।तो
कई ऐसे
मुस्लिम
समुदाय
के लोग
भी है
जो गणेश
चतुर्थी
के मौके
पर बड़-चड़
कर हिस्सा
लेते है।
देश मे
कई ऐसे
हिन्दू
भी है
जो रोजा
रखते है,तो
कई मुस्लिम
भागवत
गीता का
पाठ करते
है। यह
वाकई एक
मिसाल
है जो
भारत देश
के अलावा
किसी और
देश मे
दिखाई
नही देती। दुनिया
में धर्म
के नाम
पर एक-दूसरे
को लड़ाने
वालों
के लिए
यह बात
एक सबक
देती है
कि धर्म
कभी लड़ना
नहीं सिखता, बल्कि
जोड़ता
है।
आज
हम बात
करेंगे
ऐसे ही
एक मदरसे
की जहा
गायत्री
मंत्रो
के साथ
सोलह संस्कारो
की शिक्षा
दी जाती
है। लोगों
को लगता
है कि मदरसों सिर्फ
मुस्लिम
धर्म की
शिक्षा
दी जाती
है, मगर
मध्य प्रदेश
के मंदसौर
जिले के
मदरसे
इस धारणा
को झुठला
रहे हैं।
इस जिले
में कुल
220
मदरसे
हैं, उनमें
से 128 मदरसे
ऐसे हैं
जहां मुस्लिम
के साथ
हिंदू
संप्रदाय
के बच्चे
भी पढ़ते
हैं और
इन मदरसों
में हिंदू
धर्म की
धार्मिक
शिक्षा
दी जाती
है।
मदरसों
की खास
बात ये
है कि
हिंदू
के साथ
मुस्लिम
बच्चों
को भी
संस्कृत
श्लोक
और मंत्र
याद हो
गए हैं।
यहां धर्म
के नाम
पर कोई
भेदभाव
नहीं है।
इस तरह
जिले के
128
मदरसे
हिंदू-मुस्लिम
एकता के
प्रतीक
बन गए
हैं। इन
मदरसों
में कक्षाओं
की शुरुआत
गायत्री
मंत्र
से होती
है। मंदसौर
मदरसा
बोर्ड
के जिला
कॉर्डिनेटर
डॉ. शाहिद
अली कुरैशी
का कहना
है कि
मदरसों
में आधुनिक
शिक्षा
के साथ
धार्मिक
शिक्षा
भी अनिवार्य
है।
मदरसे
हमेशा
धर्म निरपेक्षता
के प्रतीक
रहे हैं।
देश के
मदरसों
में राजा
राममोहन
राय और
राजेंद
प्रसाद
जैसे महान
लोगों
ने शिक्षा
हासिल
की थी
और आज
भी हिंदू
बच्चे
इन मदरसों
में पढ़ने
आते हैं।