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- बाल विवाह आज की जरूरत या कुप्रथा.........
Posted by : achhiduniya
01 October 2015
देश मे बडते सेक्स अपराधो को रोकने के लिए हर किसी के तर्क अपने-अपने
है। लेकिन इस समस्या के निदान के लिए क्या....?बाल विवाह उचित कदम हो सकता है।हिन्दू हो या मुस्लिम इसमे जाती धर्म से उठकर
सोचने और करने की जरूरत है। कई महिला अधिकार संगठन इन
मुद्दों पर बदलाव लाए जाने की मांग कर रहे हैं। किसी धर्म या अल्पसंख्यक समुदायों
से जुड़े मामलों पर ऐसे आदेश बहुत आम नहीं हैं।
कानून की नजर में बच्चों के हितों
को सर्वोपरि रखते हुए मुस्लिम समुदाय से भी बदलावों को अपनाने की अपील हुई। जो भी
मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलावों का विरोध करेगा वो असल में अपने ही समुदाय के हितों
को नुकसान पहुंचाएगा। बाल विवाह के अलावा मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत बहुविवाह, ट्रिपल तलाक जैसे कई ऐसे मामले हैं जिन पर समय समय पर बहस होती रही है।
मुसलमान
लड़कियों को मासिक धर्म शुरु होने के बाद या 15 साल की उम्र
के बाद शादी करना बाल विवाह निषेध कानून के तहत गैरकानूनी नहीं माना जाना चाहिए। गुजरात
हाई कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में साफ किया है कि बाल विवाह निषेध कानून 2006
के दायरे में मुसलमान भी आते है।