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- प्रथक विदर्भ की राहे आसान नही...........
Posted by : achhiduniya
16 December 2015
नागपुर मे चल रहे शीत सत्र के दौरान
विभिन्न संघटनों के माध्यम से निकाले जा रहे मोर्चो का विधान मंडल पर रोज
आना शुरू है लेकिन सरकार का इस ओर कई सकारात्मक रुख दिखाई नही देता। पृथक विदर्भ राज्य
का सर्मथन करने वाली पार्टी की सरकार है।इस कारण
विदर्भ के लोगों की अपेक्षाएं बढी हैं। सरकार में
शामिल शिवसेना ने 'अखंड महाराष्ट्र' के सर्मथन में है।
महाधिवक्ता श्रीहरि अणे विदर्भ पर दिए गए बयान पर
मंगलवार को शिवसेना विधायक विधानसभा में आक्रामक हो गए। दूसरी ओर ऑन द रिकार्ड और
ऑफ द रिकार्ड 'विदर्भ-प्रेम' का दावा करने वाले विधायक शांत बैठे रहे। जवाब
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को देना पडा वे सदन में अकेले पड गए। शिवसेना ने
मंगलवार को विधान मंडल का कामकाज आरंभ होने से पहले विधान भवन में प्रदर्शन किया। उन्होंने
इस दौरान दावा किया कि उनकी मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है। उन्होंने सकारात्मक जवाब
का आश्वासन दिया है। मंगलवार को विधान भवन परिसर में शिवसैनिकों ने अखंड
महाराष्ट्र के लिए प्रदर्शन किया।
दूसरी खबर........
13 अप्रैल
1982 को तत्कालीन मुख्यमंत्री
बाबा साहब भोसले ने चंद्रपूर जिल्हे का विभाजन करके नए जिल्हे का मुख्यालय ब्रह्मपुरी होगा ऐसी घोषणा की थी। जिसकी जानकारी 14 अप्रैल
1982 को आकाशवाणी के प्रादेशिक चैनल के माध्यम से नए जिल्हे
के रूप मे ब्रह्मपुरी की सूचना आम जनता को दी गई।लेकिन राजनीतिक लोगो ने षड्यंत्र करके 26 ऑगष्ट
1982 को चंद्रपूर
जिल्हे का विभाजन करके गडचिरोली को नए जिल्हे का रूप
देकर लोगो
के साथ बहुत बड़ा धोखा किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंमाजी देवेन्द्र
फड़न्विस को 27/7/2015 को निवेदन
देने के बावजूद भी कोई सकारात्मक उत्तर नही मिला।जिसके चलते ब्रह्मपुरी वासियो को घोर निराशा हुई।ब्रह्मपुरी जिल्हा निर्माण कृति समिति के अध्यक्ष उद्धव राव शिंगाड़े,कार्यध्यक्ष
डॉ डि एन मेश्राम,उपाध्यक्ष
प्रमोद आसटकर,सचिव
सुधीर सेलोकर,संघटक प्रा
सुभाष बजाज इन्होने पत्र परिषद के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश
की।