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- सावधान चटपट स्वाद के चक्कर मे सेहत से खिलवाड़......
Posted by : achhiduniya
19 May 2016
आज कल हर
शहर-गाँव के नुक्कड़ चौराहे पर भेल पूरी,चाट छोला,गुपचुप-कचौरी
के चटपटे स्वाद के ठेले और दुकाने दिखाई देते है लेकिन क्या.....? उन जगहो पर मिलने वाले इस प्रकार के व्यंजन जो चटपटे तो लगते है लेकिन सेहत
के लिए लाभदायक होते है।वही आज कल यह भी चलन जोरों पर चलने लग पड़ा है वो है फलो को
काटकर खुले मे इस प्रकार से बेचना मानो गुपचुप या समोसा कचौरी हो। तरबूज, पाइनएप्पल, एप्पल, संतरा,
अंगूर और केला, खट्टा-मीठा स्वाद और हल्का
मसाला फ्रूट्स का यह कॉम्बिनेशन आजकल गर्मी के सीजन में लोगों की जबान पर चढा हुआ
है। शहर में कई स्थानों पर ऐसे ठेलों को देखा जा सकता है, जहां
फ्रूट सलाद धडल्ले से बिक रहा है और लोग इसके स्वाद के पीछे दीवाने हैं, लेकिन 25 से 30 रुपए में सडक
पर खुले में बिक रहा यह स्वाद आपकी हेल्थ खराब कर सकता है।
सडकों पर बिकने वाली कोई भी खुली खाद्य सामग्री हेल्थ के लिए बहुत ही खतरनाक है। फ्रूट्स यूं तो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं, लेकिन इस तरह खुले में सडक पर बिक रहे और पहले से कटे फल खाने से डॉक्टर्सभी मना करते हैं। ऐसे फलों को मीठा और स्वादिष्ट बनाने के लिए तरह-तरह के अमानक खाद्य पदार्थभी मिलाए जाते हैं। जानकारों की मानें तो ऐसे फलों को मीठा करने के लिए इनमें सैक्रीन, आकर्षक रंग और एसेंस मिलाया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। खुले में होने के कारण इनमें डस्ट और छोटे किटाणु लगते रहते हैं। इसके साथ ही गाडियों का धुआं, बात करने से लेकर खांसने और छींकने के कारण जो पार्टिकल्स और ड्रॉप्लेट्स निकलते हैं, वे इंफेक्शियस होते हैं।
इससे एक आदमी से दूसरे आदमी को वायरल इंफेक्शन या यहां तक कि टीबी भी हो सकती है। इसके साथ ही कॉलेरा (उल्टी और दस्त की बीमारी), पीलिया, टाइफाइड और गैस्ट्रो हो सकता है, जो कि ट्रांसमिटेड डिसीजेस हैं। मक्खियां-मच्छर आदि से तो नुकसान होता ही है। डस्ट पार्टिकल्स, ड्रॉप्लेट्स और कृमि आदि भी नुकसानदायक हैं।
सडकों पर बिकने वाली कोई भी खुली खाद्य सामग्री हेल्थ के लिए बहुत ही खतरनाक है। फ्रूट्स यूं तो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं, लेकिन इस तरह खुले में सडक पर बिक रहे और पहले से कटे फल खाने से डॉक्टर्सभी मना करते हैं। ऐसे फलों को मीठा और स्वादिष्ट बनाने के लिए तरह-तरह के अमानक खाद्य पदार्थभी मिलाए जाते हैं। जानकारों की मानें तो ऐसे फलों को मीठा करने के लिए इनमें सैक्रीन, आकर्षक रंग और एसेंस मिलाया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। खुले में होने के कारण इनमें डस्ट और छोटे किटाणु लगते रहते हैं। इसके साथ ही गाडियों का धुआं, बात करने से लेकर खांसने और छींकने के कारण जो पार्टिकल्स और ड्रॉप्लेट्स निकलते हैं, वे इंफेक्शियस होते हैं।
इससे एक आदमी से दूसरे आदमी को वायरल इंफेक्शन या यहां तक कि टीबी भी हो सकती है। इसके साथ ही कॉलेरा (उल्टी और दस्त की बीमारी), पीलिया, टाइफाइड और गैस्ट्रो हो सकता है, जो कि ट्रांसमिटेड डिसीजेस हैं। मक्खियां-मच्छर आदि से तो नुकसान होता ही है। डस्ट पार्टिकल्स, ड्रॉप्लेट्स और कृमि आदि भी नुकसानदायक हैं।