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- आगे बड़ने के लिए कुछ देर का अकेलापन भी जरूरी है........
Posted by : achhiduniya
10 May 2016
हर
व्यक्तित्व के विकास के लिए निजता,प्राइवेसी अहम होती है। समझदार दंपति इस बात
को अच्छी तरह समझते हैं।भावनात्मक प्राइवेसी,निजता एक ऐसा
पेचीदा विषय है,जिसका संबंध दिल की गहराइयों से होता है।यहां
पर किसी का भी दखल,अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं होता। निजता पर
अतिक्रमण करने वाले ही निजता,प्राइवेसी की जरूरत पूरी भी
करते हैं। सपने देखने हों, अपने को परखना हो, तौलना हो, अपना या दूसरों का विश्लेषण करना हो,
अपनी गलतियों को समझना उन्हें रिएलाइज करना हो तो अपने लिए निजी
वक्त निकालना पडता है।
संघर्ष करने से जिस ऊर्जा का लगातार क्षय होता है उससे बैटरी डाउन होने लगती है। उसे रिचार्ज करने,जीवन मे आगे बड़ने के लिए भी कुछ देर का अकेलापन जरूरी है। अकेलापन आपके काम में हाथ बंटाकर, आपकी सहायता करके, आपको अपने लिए वक्त देकर। आपके पसंदीदा कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें करने के पश्चात आप फिर से तरोताजा महसूस करते हैं। अपना एनर्जी लेवल बढा हुआ पाते हैं,तथा जिनको करने से आपकी डिस्चार्ज हुई बैटरी रिचार्ज हो जाती है। आप अपने लिए जो चाहते हैं दूसरे भी ठीक वैसा ही चाहते होंगे यह सोचकर उनकी निजता,प्राइवेसी का भी सम्मान करें। अकेलापन हर किसी के साथ जन्म से जुडा होता है।
इसलिए अकेले रहने की हर एक को आदत डालनी पडती है और देखा जाए तो उसकी जरूरत भी होती है। लेकिन निजता, स्पेस तथा अकेलेपन में अंतर है। अकेलापन आनंददायक निजता है या पीडा देने वाला उबाऊ एकाकीपन यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह स्वेच्छापूर्ण वरण किया गया है या मजबूरी के तहत मिला है। एकाकीपन से मिले वक्त को जब हम क्वालिटी टाइम बनाते हैं, तब ही उसे सार्थक माना जा सकता है ।
संघर्ष करने से जिस ऊर्जा का लगातार क्षय होता है उससे बैटरी डाउन होने लगती है। उसे रिचार्ज करने,जीवन मे आगे बड़ने के लिए भी कुछ देर का अकेलापन जरूरी है। अकेलापन आपके काम में हाथ बंटाकर, आपकी सहायता करके, आपको अपने लिए वक्त देकर। आपके पसंदीदा कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिन्हें करने के पश्चात आप फिर से तरोताजा महसूस करते हैं। अपना एनर्जी लेवल बढा हुआ पाते हैं,तथा जिनको करने से आपकी डिस्चार्ज हुई बैटरी रिचार्ज हो जाती है। आप अपने लिए जो चाहते हैं दूसरे भी ठीक वैसा ही चाहते होंगे यह सोचकर उनकी निजता,प्राइवेसी का भी सम्मान करें। अकेलापन हर किसी के साथ जन्म से जुडा होता है।
इसलिए अकेले रहने की हर एक को आदत डालनी पडती है और देखा जाए तो उसकी जरूरत भी होती है। लेकिन निजता, स्पेस तथा अकेलेपन में अंतर है। अकेलापन आनंददायक निजता है या पीडा देने वाला उबाऊ एकाकीपन यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह स्वेच्छापूर्ण वरण किया गया है या मजबूरी के तहत मिला है। एकाकीपन से मिले वक्त को जब हम क्वालिटी टाइम बनाते हैं, तब ही उसे सार्थक माना जा सकता है ।