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- हम मंदिर क्यों जाते हैं..........? कांजी भाई[ओ माई गॉड] और“pk” की जुबानी.......
Posted by : achhiduniya
04 May 2016
ओह माय गॉड” और “pk” पर
कोर्ट में केस चला। “कांजी भाई” और“pk”
कोर्ट में हाजिर हुए –>••वकील:- हाँ तो आप
दोनों का कहना है, कि इन्सान डर के कारण मंदिर जाता है और
मूर्ति पूजा गलत है।कांजी भाई:-जी बिलकुल। ईश्वर तो सभी जगह है, उसको मंदिर में ढूँढने की क्या आवश्यकता है।वकील:आप का मतलब है कि ईश्वर
मंदिर में नहीं है।कांजी भाई:-वहां भी है। वकील:- तो फिर आप लोगो को मंदिर जाना
क्यों पाखंड लगता है? कांजी भाई:-हमारा मतलब है मंदिर ही
क्यों जाना मूर्ति में ही क्यों.......? जब सभी जगह है तो
जरूरत ही क्या है पूजा करने की बस मन में ही पूजा कर लो। वकील:- हा हा हा
हा........”कांजी भाई:-इसमें हंसने की क्या बात है.......? वकील दोनो को घूरते हुए आगे बड़ा और पुछा:- एक बात बताइए आप पानी कैसे
पीते है? पानी कैसे पीते है? ये कैसा
पागलो जैसा सवाल है जज साहब......?कांजी बोला।
वकील लगभग चिल्लाते हुए:-मैं पूछता हूँ आप पानी कैसे पीते है......? कांजी भाई हडबडाते हुए:-ज ज ज जी ग्लास से। पॉइंट टू बी नोटेड मी लार्ड, “कांजी भाई” ग्लास से पानी पीते है। और ये “pk” तो इस ग्रह का आदमी नहीं है, फिर भी पूछ लेते है। क्यों भाई तुम पानी कैसे पीते हो?pk:- जी मैं भी ग्लास से पीता हूँ। वकील कांजी भाई की और मुड़ते हुए :“कांजी भाई” एक बात बताइए, जब पानी हाइड्रोजन और आक्सीजन के रूप में इस हवा में भी मोजूद है, तो आप हवा में से सूंघकर पानी क्यों नहीं पीलेते? और ऐसा कहकर वकील ने हवा में लगभग नाक को तीन बार अलग-अलग सुकेड़ते हुए बताया, मानो हवा से, नाक से पानी पी रहा हो। कांजी भाई झुंझलाकर बोला:-जज साहब, वकील साहब कैसी बाते कर रहे है? भला इस प्रकार हवा से सूंघकर पानी कैसे पिया जा सकता है? पानी पीने के लिए किसी ग्लास की जरूरत तो पड़ेगी ही और वकील जैसे कांजी पर टूट पड़ा हो:- इसी प्रकार “कांजी भाई”, जैसे आप यह जानते हुए भी, कि पानी सभी जगह मौजूद है,आप को पानी पीने के लिए ग्लास की आवश्यकता होती है।
उसी प्रकार यह जानते हुए भी, कि ईश्वर सभी जगह मौजूद है, उसके बावजूद हमें मूर्ति, मंदिर या तीर्थस्थल की आवश्यकता होती है। ताकि हम ईश्वर की सरलता से ध्यान लगाकर आराधना कर सके।••“कांजी भाई” चुप। और अब “pk” को भी बात समझ में आ चुकि थी, की आदमी मंदिर क्यों जाता है। मित्र Rajesh Maheshwari जी के द्वारा सरल रूप मे कांजी भाई[ओ माई गॉड] और“pk” जैसी सोच रखने वाले लोगो के लिए समझाने का छोटा सा प्रयास अच्छी दुनिया की तरफ से..........
वकील लगभग चिल्लाते हुए:-मैं पूछता हूँ आप पानी कैसे पीते है......? कांजी भाई हडबडाते हुए:-ज ज ज जी ग्लास से। पॉइंट टू बी नोटेड मी लार्ड, “कांजी भाई” ग्लास से पानी पीते है। और ये “pk” तो इस ग्रह का आदमी नहीं है, फिर भी पूछ लेते है। क्यों भाई तुम पानी कैसे पीते हो?pk:- जी मैं भी ग्लास से पीता हूँ। वकील कांजी भाई की और मुड़ते हुए :“कांजी भाई” एक बात बताइए, जब पानी हाइड्रोजन और आक्सीजन के रूप में इस हवा में भी मोजूद है, तो आप हवा में से सूंघकर पानी क्यों नहीं पीलेते? और ऐसा कहकर वकील ने हवा में लगभग नाक को तीन बार अलग-अलग सुकेड़ते हुए बताया, मानो हवा से, नाक से पानी पी रहा हो। कांजी भाई झुंझलाकर बोला:-जज साहब, वकील साहब कैसी बाते कर रहे है? भला इस प्रकार हवा से सूंघकर पानी कैसे पिया जा सकता है? पानी पीने के लिए किसी ग्लास की जरूरत तो पड़ेगी ही और वकील जैसे कांजी पर टूट पड़ा हो:- इसी प्रकार “कांजी भाई”, जैसे आप यह जानते हुए भी, कि पानी सभी जगह मौजूद है,आप को पानी पीने के लिए ग्लास की आवश्यकता होती है।
उसी प्रकार यह जानते हुए भी, कि ईश्वर सभी जगह मौजूद है, उसके बावजूद हमें मूर्ति, मंदिर या तीर्थस्थल की आवश्यकता होती है। ताकि हम ईश्वर की सरलता से ध्यान लगाकर आराधना कर सके।••“कांजी भाई” चुप। और अब “pk” को भी बात समझ में आ चुकि थी, की आदमी मंदिर क्यों जाता है। मित्र Rajesh Maheshwari जी के द्वारा सरल रूप मे कांजी भाई[ओ माई गॉड] और“pk” जैसी सोच रखने वाले लोगो के लिए समझाने का छोटा सा प्रयास अच्छी दुनिया की तरफ से..........