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- बच्चे अगर पढ़ने जा रहे है बाहर.....तो कैसे करे दूर उनका और अपना डर..........?
Posted by : achhiduniya
10 June 2016
अक्सर
अपने बच्चे को अपने से दूर करते समय माता-पिता के मन में अनेक आशंकाएं आती हैं और
बुरे ख्याल भी आते हैं। उन्हें लगता है कि
उनके बगैर बच्चा अलग कैसे रहेगा....? उसकी सुख-सुविधा और सेहत का ख्याल
कौन रखेगा..? उसने खाया-पीया या नहीं या उसकी नींद पूरी हुई
या नहीं आदि बातों पर कौन ध्यान देगा...? कहीं वह बीमार हो
गया तो उसकी देखभाल कौन करेगा.....? अनेक प्रश्न उनके दिमाग
में चलते रहते हैं। इन सबके अतिरिक्त, एक प्रश्न और उनके जहन
में होता है कि अनजान लोगों के बीच वह
कैसे रहेगा...? क्या उसे अपने घर-परिवार की याद नहीं आएगी...?
यदि बात बेटी की हो तो मन में तरह-तरह के कुविचार आने लगते हैं। उसकी
सुरक्षा को लेकर वे इस तरह चिंतित होते हैं कि पूछो मत अब ऐसे मां-बाप को कौन
समझाएं कि इन सब आशंकाओं की वजह से उसे घर पर बैठाए तो रखा नहीं जा सकता।
कुछ मां-बाप सोचते हैं कि अकेले रहने से कहीं वह बिगड़ तो नहीं जाएगा....? उसे बिगड़ना होगा तो आपके साथ रहकर भी बिगड़ सकता है और यदि नहीं बिगड़ना होगा तो बुरी संग-सोहबत भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। अत: अपनी इन सारी कुशंकाओं को छोड़कर उसे दुनिया को जानने-समझने के लिए अन्यत्र भेजने में संकोच नहीं करना चाहिए। फिर देखिए, जब वह पढ-लिखकर एक काबिल और नेक इंसान बनकर लौटेगा तो आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। बच्चों को अच्छी तालीम के लिए अपने से दूर भेजना हो तो इसके लिए पहले उसे मानसिक तौर पर तैयार करें। आमतौर पर हम जब कभी अपने बच्चे को अन्यत्र पढने भेजते हैं तो वहां किसी होस्टल में उसके रहने का प्रबंध कर देते हैं। इसके लिए भी उसके पहले से तैयार करें। उसे बताएं कि कुछ ही दिनों के लिए वहां रहना है और बीच-बीच में आप उससे मिलने आती रहेंगी या छुट्टियों में वह अपने घर आ सकेगा। इससे उसे संबल मिलेगा। हां, उसे होस्टल एटीकेट्स के बारे में जरूर बता दें।
वहां का रहन-सहन, व्यवस्था, खानपान, अनुशासन, यारी-दोस्ती के बारे में खुलकर बात करें। उसे बताएं कि होस्टल में रहकर नए-नए दोस्त या सहेलियां बनाई जा सकती हैं। उसे अपने रूममेट के साथ रूम शेयर करने के बारे में भी समझाएं। वहां भेजने के पूर्व उसे अपने छोटे-मोटे कामों और जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होना सिखाएं, जैसे कपड़े धोना, उन पर आयरन करना आदि-आदि ...... बच्चों को आपसे संपर्क रखने के लिए मोबाइल फोन या स्मार्टफोन देने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन उन्हें सख्त लहजे में समझाइश दें कि इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जब कभी आप अपने बच्चे से मिलने होस्टल जाएं तो वहां वार्डन के अलावा उसके अन्य दोस्तों से भी मिलें।
वार्डन से अपने बच्चे के आचरण, व्यवहार आदि के बारे में पूछें कि उन्हें कोई शिकायत तो नहीं...?इसी प्रकार, अपने बच्चे से भी पूछें कि यहां कोई परेशानी तो नहीं है.....? आमतौर पर बच्चे घर आने के लिए कुछ भी बहाना कर देते हैं, लेकिन आपको तब तक उसकी बात पर ध्यान नहीं देना है जब तक कि परेशानी वाकई गंभीर न हो। चाहें तो उसका होस्टल बदल सकती हैं। बच्चे को दिन में बार-बार टेलीफोन कर उसे हालचाल न पूछें, अन्यथा उसका मन विचलित हो जाएगा। उससे फोन पर यह कदापि नहीं पूछे कि उसे तुम्हारी याद आ रही है या नहीं कि वह अपने घर परिवार को मिस तो नहीं कर रहा है....? हमेशा उसे आगे बड़ने के लिए मोटिवेट करते रहे।
कुछ मां-बाप सोचते हैं कि अकेले रहने से कहीं वह बिगड़ तो नहीं जाएगा....? उसे बिगड़ना होगा तो आपके साथ रहकर भी बिगड़ सकता है और यदि नहीं बिगड़ना होगा तो बुरी संग-सोहबत भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। अत: अपनी इन सारी कुशंकाओं को छोड़कर उसे दुनिया को जानने-समझने के लिए अन्यत्र भेजने में संकोच नहीं करना चाहिए। फिर देखिए, जब वह पढ-लिखकर एक काबिल और नेक इंसान बनकर लौटेगा तो आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। बच्चों को अच्छी तालीम के लिए अपने से दूर भेजना हो तो इसके लिए पहले उसे मानसिक तौर पर तैयार करें। आमतौर पर हम जब कभी अपने बच्चे को अन्यत्र पढने भेजते हैं तो वहां किसी होस्टल में उसके रहने का प्रबंध कर देते हैं। इसके लिए भी उसके पहले से तैयार करें। उसे बताएं कि कुछ ही दिनों के लिए वहां रहना है और बीच-बीच में आप उससे मिलने आती रहेंगी या छुट्टियों में वह अपने घर आ सकेगा। इससे उसे संबल मिलेगा। हां, उसे होस्टल एटीकेट्स के बारे में जरूर बता दें।
वहां का रहन-सहन, व्यवस्था, खानपान, अनुशासन, यारी-दोस्ती के बारे में खुलकर बात करें। उसे बताएं कि होस्टल में रहकर नए-नए दोस्त या सहेलियां बनाई जा सकती हैं। उसे अपने रूममेट के साथ रूम शेयर करने के बारे में भी समझाएं। वहां भेजने के पूर्व उसे अपने छोटे-मोटे कामों और जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होना सिखाएं, जैसे कपड़े धोना, उन पर आयरन करना आदि-आदि ...... बच्चों को आपसे संपर्क रखने के लिए मोबाइल फोन या स्मार्टफोन देने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन उन्हें सख्त लहजे में समझाइश दें कि इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जब कभी आप अपने बच्चे से मिलने होस्टल जाएं तो वहां वार्डन के अलावा उसके अन्य दोस्तों से भी मिलें।
वार्डन से अपने बच्चे के आचरण, व्यवहार आदि के बारे में पूछें कि उन्हें कोई शिकायत तो नहीं...?इसी प्रकार, अपने बच्चे से भी पूछें कि यहां कोई परेशानी तो नहीं है.....? आमतौर पर बच्चे घर आने के लिए कुछ भी बहाना कर देते हैं, लेकिन आपको तब तक उसकी बात पर ध्यान नहीं देना है जब तक कि परेशानी वाकई गंभीर न हो। चाहें तो उसका होस्टल बदल सकती हैं। बच्चे को दिन में बार-बार टेलीफोन कर उसे हालचाल न पूछें, अन्यथा उसका मन विचलित हो जाएगा। उससे फोन पर यह कदापि नहीं पूछे कि उसे तुम्हारी याद आ रही है या नहीं कि वह अपने घर परिवार को मिस तो नहीं कर रहा है....? हमेशा उसे आगे बड़ने के लिए मोटिवेट करते रहे।



