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- तर्कपूर्ण सवाल पूछो...? अर्थपूर्ण जवाब मिलेंगे.......
Posted by : achhiduniya
03 June 2016
लाखों
वर्ष पहले मनुष्य यायावर प्राणी था। हमारे पूर्वज हरदम यात्रा करते रहते थे। जब एक
जगह कंद-मूल और फल-फूल खत्म हो जाते तो वो आगे की यात्रा पर निकल पड़ते ये यात्राएं
नदी के किनारे-किनारे होतीं थीं। क्योंकि नदी के किनारे ही हरियाली ज्यादा होती
थी। ये यात्राएं तन और मन दोनों के लिए कठिन रही होंगी। अनजान जगहों में भय भी बना
रहता था। ऐसे में हमारे किसी पुरखे ने सोचा होगा कि हम नदी के पास क्यों आएं? नदी हमारे पास क्यों नहीं आ सकती? इस क्रांतिकारी
सवाल के जवाब में नहरें बनीं, खेती की शुरूआत हुई और मानवीय
इतिहास ने एक नया मोड़ लिया। एक बार एक गुरु से भक्त ने पूछा,'जीवन का अर्थ क्या है?' गुरु ने भक्त को प्रेमभरी
दृष्टि से देखा और कहा, 'गलत सवाल पूछ रहे हो वत्स पूरी
जिंदगी निकल जाएगी पता नहीं चलेगा। पोथी-पुराणों में ही उलझे रहोगे। बाबाओं और
स्वामियों के चरणों में पड़े रहोगे।
नया सवाल पूछो कि मैं अपनी जिंदगी को अर्थपूर्ण कैसे बना सकता हूं.....? अपनी जिंदगी में अर्थ कैसे भर सकता हूं ? और तुम्हें हजारों तरीके दिखेंगे। ये अपने आप में गजब का नजरिया है। इस पल जब आप ये पड़ रहे हैं सोचिए कि अगर आपको अपनी जिंदगी अर्थपूर्ण बनानी हैं तो आप क्या करेंगे ? किसी गरीब की भलाई में आपको आनंद आएगा या किसी अनपढ को पढाने में ? हो सकता है फुटबाल खेलने से आपकी जिंदगी में रस आता हो तो वही कीजिए। सवाल को बदल देने से जवाब बदल जाते हैं। कामयाब लोग हजारों सालों से यही करते आए हैं। वो सवालों को नया कोण देते हैं। ऐसा कोण जो क्रियात्मक जवाबों की तरफ ले जाता है। कई लोग कहते हैं कि मुझे सफलता क्यों नहीं मिलती ? और फिर वो मन को बहलानेवाले जवाबों की फेहरिस्त तैयार कर लेते हैं। लेकिन अगर आप पूछेंगे कि मैं असफलता को आकर्षित कैसे करता हूं? तो जवाब अलग होंगे और उनका सामना करके आप सफलता की और तेजी से बढ सकेंगे। नये सवाल पूछिए, नयी दृष्टि मिलेगी और सृष्टि बदल जाएगी।
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी गुरु से मिले, उनसे चर्चा की और फिर अचानक जैसे सबकुछ बदल गया ? या किसी का भाषण सुनते-सुनते अचानक बरसों पुरानी उलझन का समाधान मिल गया। अक्सर किताब पढते हुए भी ऐसे अनुभव हो जाते हैं। क्या होता है उन क्षणों में ? जैसे अचानक आपके भीतर कोई बल्ब जल गया हो, कोई रोशनी कौंधी हो। दुनिया को जानने और परखने का हम सब का अपना तरीका होता है-कोई चीज अच्छी है या बुरी ? कैसे व्यक्ति हमें पसंद हैं और किन लोगों से हम कन्नी काटना चाहते हैं ? हमारे मन में ऐसे मापदंड पहले से बने होते हैं। लेकिन कई बार हमारे गुरु या वक्ता, ऐसा प्रश्न पूछ लेते हैं कि हमारे मापदंड काम नहीं करते। हमें नए सिरे से सोचना पड़ता है और नए मापदंड बनाने पड़ते हैं। इसीलिए अचानक अर्थ बदल जाते हैं। ऐसे सवाल पूछिए जो क्रियात्मक जवाबों की तरफ ले जाते हैं।
नया सवाल पूछो कि मैं अपनी जिंदगी को अर्थपूर्ण कैसे बना सकता हूं.....? अपनी जिंदगी में अर्थ कैसे भर सकता हूं ? और तुम्हें हजारों तरीके दिखेंगे। ये अपने आप में गजब का नजरिया है। इस पल जब आप ये पड़ रहे हैं सोचिए कि अगर आपको अपनी जिंदगी अर्थपूर्ण बनानी हैं तो आप क्या करेंगे ? किसी गरीब की भलाई में आपको आनंद आएगा या किसी अनपढ को पढाने में ? हो सकता है फुटबाल खेलने से आपकी जिंदगी में रस आता हो तो वही कीजिए। सवाल को बदल देने से जवाब बदल जाते हैं। कामयाब लोग हजारों सालों से यही करते आए हैं। वो सवालों को नया कोण देते हैं। ऐसा कोण जो क्रियात्मक जवाबों की तरफ ले जाता है। कई लोग कहते हैं कि मुझे सफलता क्यों नहीं मिलती ? और फिर वो मन को बहलानेवाले जवाबों की फेहरिस्त तैयार कर लेते हैं। लेकिन अगर आप पूछेंगे कि मैं असफलता को आकर्षित कैसे करता हूं? तो जवाब अलग होंगे और उनका सामना करके आप सफलता की और तेजी से बढ सकेंगे। नये सवाल पूछिए, नयी दृष्टि मिलेगी और सृष्टि बदल जाएगी।
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी गुरु से मिले, उनसे चर्चा की और फिर अचानक जैसे सबकुछ बदल गया ? या किसी का भाषण सुनते-सुनते अचानक बरसों पुरानी उलझन का समाधान मिल गया। अक्सर किताब पढते हुए भी ऐसे अनुभव हो जाते हैं। क्या होता है उन क्षणों में ? जैसे अचानक आपके भीतर कोई बल्ब जल गया हो, कोई रोशनी कौंधी हो। दुनिया को जानने और परखने का हम सब का अपना तरीका होता है-कोई चीज अच्छी है या बुरी ? कैसे व्यक्ति हमें पसंद हैं और किन लोगों से हम कन्नी काटना चाहते हैं ? हमारे मन में ऐसे मापदंड पहले से बने होते हैं। लेकिन कई बार हमारे गुरु या वक्ता, ऐसा प्रश्न पूछ लेते हैं कि हमारे मापदंड काम नहीं करते। हमें नए सिरे से सोचना पड़ता है और नए मापदंड बनाने पड़ते हैं। इसीलिए अचानक अर्थ बदल जाते हैं। ऐसे सवाल पूछिए जो क्रियात्मक जवाबों की तरफ ले जाते हैं।


