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- क्यू भावी जीवन साथी के साथ शादी से पहले-सगाई के बाद करे बात.....?
Posted by : achhiduniya
19 June 2016
शादी दो अलग-अलग स्वभाव के व्यक्तियों को आपस
मे जोड़ने का समाज द्वारा स्विक्र्ती प्रदान किया गया अटूट बंधन होता है।शादी के
बाद किसी भी परेशानी से बचने के लिए जीवन साथी से शादी से पहले-सगाई के बाद जरूर
करे बात जिससे आने वाली दिक्कतों को रोका जा सके।लव मैरेज करने जा रहे लोग इन
बातों पर पहले ही बात कर लेते हैं। लेकिन अरेंज मैरेज में, जहां शादी-ब्याह से जुड़े फैसले
अमूमन घर के बड़े ही करते हैं, वहां लड़के और लड़की के लिए कुछ
पहलुओं पर बात करना और इनसे जुड़ी परेशानियों का हल निकालना बेहद ज़रूरी है। शादी के बाद ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं।
इसलिए घर और दफ्तर में संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी है। अगर आपको नौकरी के सिलसिले में दूर जाना पड़ता है या फिर आपकी नौकरी में तबादले होते हैं, तो इसे लेकर भी बात ज़रूर करें। साथ ही अपनी वर्किंग शिफ्ट और ऑफिस कल्चर के बारे में भी चर्चा करें। हर सास को यह आस होती है कि नई नवेली बहू उसकी सेवा करे, उसके साथ रहे और घर के तौर तरीके सीखे। लेकिन अगर बहू नौकरीपेशा है तो ज़ाहिर है शादी के बाद वह उन्हें उतना वक्त न दे पाए जितना सास-ससुर उससे उम्मीद रखते हैं। इसलिए शादी से पहले इस बारे में भी बात करें कि शादी के बाद लड़की की घर के प्रति कितनी ज़िम्मेदारी होगी, सास-ससुर साथ रहेंगे या नहीं, उनकी देखभाल कौन करेगा।शादी के कुछ महीने बीतते ही नाते-रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग रह रहकतर 'गुड न्यूज़' के बारे में पूछने लगते हैं। लेकिन यह आपका निजी मसला है और इसका फैसला आप दोनों को ही करना है।
शादी के बाद बच्चे कब चाहिए, चाहिए या नहीं, कितने चाहिए और उनकी परवरिश की ज़िम्मेदारी आप आपस में कैसे बांटेंगे इस पर बात ज़रूर करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह शादी का एक बेहद संवेदनशील पहलू है जिसे लेकर अस्कर मियां-बीवी के बीच मनमुटाव की बातें सामने आती हैं। अगर इनसे आपके भावी जीवनसाथी को लेकर कोई कनफ्यूजन या परेशानी है तो उसे भी बात करके दूर करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।शादी करने जा रहें दोनों लोग नौकरीपेशा हैं या कोई बिज़नेस करते हैं तो शादी के बाद घर खर्च की ज़िम्मेदारी किसके पॉकेट पर होगी, किन चीज़ों में पैसे इनवेस्ट करना है और घर का बजट कैसे तैयार होगा, इन सब चीज़ों पर पहले ही बात कर लें। इससे आपको एक-दूसरे को समझने में भी मदद मिलेगी क्योंकि पैसों के प्रति किसी की समझ और संवेदनशीलता उसके व्यक्तित्व के बारे में भी बहुत कुछ बयां कर देती है।शादी से पहले बात ज़रूर करनी चाहिए ताकि आगे चलकर भावी जीवनसाथी के साथ एडजस्ट करने में कोई परेशानी न हो और आपसी प्यार बना रहे।
इसलिए घर और दफ्तर में संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी है। अगर आपको नौकरी के सिलसिले में दूर जाना पड़ता है या फिर आपकी नौकरी में तबादले होते हैं, तो इसे लेकर भी बात ज़रूर करें। साथ ही अपनी वर्किंग शिफ्ट और ऑफिस कल्चर के बारे में भी चर्चा करें। हर सास को यह आस होती है कि नई नवेली बहू उसकी सेवा करे, उसके साथ रहे और घर के तौर तरीके सीखे। लेकिन अगर बहू नौकरीपेशा है तो ज़ाहिर है शादी के बाद वह उन्हें उतना वक्त न दे पाए जितना सास-ससुर उससे उम्मीद रखते हैं। इसलिए शादी से पहले इस बारे में भी बात करें कि शादी के बाद लड़की की घर के प्रति कितनी ज़िम्मेदारी होगी, सास-ससुर साथ रहेंगे या नहीं, उनकी देखभाल कौन करेगा।शादी के कुछ महीने बीतते ही नाते-रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग रह रहकतर 'गुड न्यूज़' के बारे में पूछने लगते हैं। लेकिन यह आपका निजी मसला है और इसका फैसला आप दोनों को ही करना है।
शादी के बाद बच्चे कब चाहिए, चाहिए या नहीं, कितने चाहिए और उनकी परवरिश की ज़िम्मेदारी आप आपस में कैसे बांटेंगे इस पर बात ज़रूर करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह शादी का एक बेहद संवेदनशील पहलू है जिसे लेकर अस्कर मियां-बीवी के बीच मनमुटाव की बातें सामने आती हैं। अगर इनसे आपके भावी जीवनसाथी को लेकर कोई कनफ्यूजन या परेशानी है तो उसे भी बात करके दूर करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।शादी करने जा रहें दोनों लोग नौकरीपेशा हैं या कोई बिज़नेस करते हैं तो शादी के बाद घर खर्च की ज़िम्मेदारी किसके पॉकेट पर होगी, किन चीज़ों में पैसे इनवेस्ट करना है और घर का बजट कैसे तैयार होगा, इन सब चीज़ों पर पहले ही बात कर लें। इससे आपको एक-दूसरे को समझने में भी मदद मिलेगी क्योंकि पैसों के प्रति किसी की समझ और संवेदनशीलता उसके व्यक्तित्व के बारे में भी बहुत कुछ बयां कर देती है।शादी से पहले बात ज़रूर करनी चाहिए ताकि आगे चलकर भावी जीवनसाथी के साथ एडजस्ट करने में कोई परेशानी न हो और आपसी प्यार बना रहे।