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- पापा तो पापा होते है.....फादर्स डे स्पेशल
Posted by : achhiduniya
19 June 2016
पिताजी,पापा,बाबूजी या डैड हर बेटे के जीवन के पहले हीरो और
बिटिया का पहला प्यार होते हैं। पापा बच्चों के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व होते हैं
जिनके जैसा बच्चे बनना चाहते हैं। जिनके व्यवहार और विचार को नई पीढी अपनाना चाहती
है। जीवन की शुरूआत में बच्चे के अस्तित्व को सहेजे जाने की सबसे ज्यादा दरकार
होती है। उस समय बच्चों के कच्चे मन को भय से मुक्त रखना और उनकी कुशलता की
जिम्मेदारी लेने का कार्य सिर्फ पिता ही कर सकते हैं। पिता की बाहों के सुरक्षित
घेरे में संसार के हर बच्चे को बेफिक्री की सौगात मिलती है। पिता अक्सर कड़क होते
हैं,अगर होते नहीं तो भी ऐसा प्रदर्शित करते हैं। अपने बचपन
में हम भाई-बहन अपने पिता को हिट्लर समझते थे। वो डांटते नहीं थे, बस तेज निगाहों से देख भर लेते और हम सब खामोश हो जाते थे। जब हम
थोड़े बड़े हुए तो समझ में आया कि व्यवसाय
और नौकरी की दुनिया कितनी कठोर होती है। दुनिया भर के 'टारगेट'
होते हैं। ऑफिस में बॉस
नकचढा हो, खुर्राट हो तो भी पिता को रोज ऑफिस जाना ही होता
है।
उन परिस्थितियों में भी वो उफ नहीं करते। कई बार पिता अपने स्वाभिमान के साथ समझौता भी करते हैं, क्योंकि उनको घर चलाना है, बच्चों के स्कूल की फीस भरनी है। कई बार बच्चे नए खिलौने या साइकल की फरमाइश कर देते हैं, उन इच्छाओं को पूरी करने के लिए पिता कभी ओवरटाइम काम करते हैं, कभी अपनी सुविधाओं में कटौती करते हैं। अपने परिवार की खातिर खुद मुश्किल झेल जाते हैं। हर त्यौहार पर हम बच्चों के लिए नए कपड़े लाते थे, मां की साड़ी आती थी, पर पिता जी बरसों तक एक ही पुराना कोट पहनते रहते थे। माँ पूछती आप कब नए कपड़े लेंगे। पापा कहते अगर मैं नया कोट सिलाता तो बच्चो के इंजिनियरिंग की फीस कहाँ से आती? बूढी अम्मा ने सहमति जताई, 'ये बात तो सच है , पिता जो करता है वो दिखाई नहीं देता। मां के आंसू तो दिख जाते हैं, पर पिता आंसू पी जाते हैं। मां कोख से जन्म देती है, पिता मन से जन्म देते हैं।
पिता की कोख 'मानस-कोख' होती है। वो पूरी जिंदगी हमें जन्म देते रहते हैं। हमारे सोच-विचार, चाल-चलन, रहन-सहन पर पिता की गहरी छाप होती है। उनकी सीख कदम-कदम पर काम आती है। वो हमारी रग-रग में हैं। जीवन के मैदान में हर बाजी खेलने का हुनर सिखाने वाले पिता सफलता को जीने और असफलता का मुकाबला करना भी सिखाते हैं। जीत पर गर्व करने और हार पर धैर्य रखने का प्रशिक्षण देने वाले पापा बड़ी सरलता से जिंदगी की मुश्किलों से लड़ना सिखा देते हैं। चुनौतियों से जूझने का साहस पिता की हर एक सीख का हिस्सा होती है। खुद जीवन की लड़ाई लड़ रहे पापा बच्चों को उनकी मंजिल हासिल करने की राह सुझाते हैं। पिता को बच्चों के जीवन का प्रबंधक भी बनना होता है। इसके लिए जिन्दगी को लेकर बच्चों का रवैया, जरूरतें और उम्मीदें सब कुछ समझना जरूरी है। यानी एक बेहतरीन प्रबंधक पिता, पहले खुद उन्हें समझें और फिर जीवन से जुड़ी सीख दें।
प्रबंधक के तौर पर पिता का काम बच्चों के जीवन
को योजनागत ढंग से संवारना ही तो होता है। स्नेह भरे इस मैनेजमेंट का उद्देश्य ही
होता है बच्चों से जीवन को खुशनुमा आज और सुरक्षित कल देने की कोशिश करना। खुशियों
के सच्चे साझीदार और कुछ नया करने की योजना के हिस्सेदार भी होते हैं पिता। चलो ये
करते हैं, यहां चलते हैं-जैसे प्लान पापा के साथ ही बनते
हैं। सचमुच, पिता का सखा रूप भी अतुल्य होता है। टुकड़ा –टुकड़ा आसमान जोड़कर जीवन की छत बनाने वाले पिता जब हमराज साथ बन जाते हैं
तो हर बच्चे के लिए ऊर्जा का स्रोत होते हैं। मन और जीवन का संबल पिता जो बच्चों
के लिए शक्ति स्तंभ होते हैं, दोस्त बनकर इस रिश्ते को सहज
बना सकते हैं। आज के दौर में पिता की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। उनकी
जिम्मेदारियां भी बढ गई हैं और बच्चों से उनकी नजदीकियां भी बढी है।
पिता स्वयं आदर्श उदाहरण बनकर बच्चों के जीवन को कई अनकही नसीहतें दे सकते हैं। शायद इसीलिए कहा भी गया है कि एक बेहतर पिता यह नहीं बताता की कैसे जीना है, बल्कि वह उस तरह से जीता है और दिखाता है कैसे जीना है। जीवन की चुनौतियों से जूझने का साहस और सूझ-बूझ पापा का आदर्श जीवन ही देता है।
उन परिस्थितियों में भी वो उफ नहीं करते। कई बार पिता अपने स्वाभिमान के साथ समझौता भी करते हैं, क्योंकि उनको घर चलाना है, बच्चों के स्कूल की फीस भरनी है। कई बार बच्चे नए खिलौने या साइकल की फरमाइश कर देते हैं, उन इच्छाओं को पूरी करने के लिए पिता कभी ओवरटाइम काम करते हैं, कभी अपनी सुविधाओं में कटौती करते हैं। अपने परिवार की खातिर खुद मुश्किल झेल जाते हैं। हर त्यौहार पर हम बच्चों के लिए नए कपड़े लाते थे, मां की साड़ी आती थी, पर पिता जी बरसों तक एक ही पुराना कोट पहनते रहते थे। माँ पूछती आप कब नए कपड़े लेंगे। पापा कहते अगर मैं नया कोट सिलाता तो बच्चो के इंजिनियरिंग की फीस कहाँ से आती? बूढी अम्मा ने सहमति जताई, 'ये बात तो सच है , पिता जो करता है वो दिखाई नहीं देता। मां के आंसू तो दिख जाते हैं, पर पिता आंसू पी जाते हैं। मां कोख से जन्म देती है, पिता मन से जन्म देते हैं।
पिता की कोख 'मानस-कोख' होती है। वो पूरी जिंदगी हमें जन्म देते रहते हैं। हमारे सोच-विचार, चाल-चलन, रहन-सहन पर पिता की गहरी छाप होती है। उनकी सीख कदम-कदम पर काम आती है। वो हमारी रग-रग में हैं। जीवन के मैदान में हर बाजी खेलने का हुनर सिखाने वाले पिता सफलता को जीने और असफलता का मुकाबला करना भी सिखाते हैं। जीत पर गर्व करने और हार पर धैर्य रखने का प्रशिक्षण देने वाले पापा बड़ी सरलता से जिंदगी की मुश्किलों से लड़ना सिखा देते हैं। चुनौतियों से जूझने का साहस पिता की हर एक सीख का हिस्सा होती है। खुद जीवन की लड़ाई लड़ रहे पापा बच्चों को उनकी मंजिल हासिल करने की राह सुझाते हैं। पिता को बच्चों के जीवन का प्रबंधक भी बनना होता है। इसके लिए जिन्दगी को लेकर बच्चों का रवैया, जरूरतें और उम्मीदें सब कुछ समझना जरूरी है। यानी एक बेहतरीन प्रबंधक पिता, पहले खुद उन्हें समझें और फिर जीवन से जुड़ी सीख दें।
पिता स्वयं आदर्श उदाहरण बनकर बच्चों के जीवन को कई अनकही नसीहतें दे सकते हैं। शायद इसीलिए कहा भी गया है कि एक बेहतर पिता यह नहीं बताता की कैसे जीना है, बल्कि वह उस तरह से जीता है और दिखाता है कैसे जीना है। जीवन की चुनौतियों से जूझने का साहस और सूझ-बूझ पापा का आदर्श जीवन ही देता है।