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- कैसे बच्चो मे जगाए स्कूल जाने और पढ़ने की ललक......?
Posted by : achhiduniya
29 June 2016
आम तौर पर हर माँ –बाप को अपने
बच्चो के भविष्य को लेकर कई सपने होते है जिसे वे पूरा करने उसे अच्छा पढा-लिखा कर
डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर या कलेक्टर
बनाने के लिए स्कूल भेजते है,ताकि कुछ बन पाए इसकी शुरुआत होती है स्कूल के पहले
दिन से। बच्चा स्कूल खुलने के पहले दिन न जाना चाहे तो इसके लिए अनावश्यक दबाव न
बनाएं, न ही उसे जबरदस्ती स्कूल भेजने की कोशिश करें,
न ही कोई नसीहत दें।
कुछ बच्चों में स्कूल या टीचर के प्रति डर समाया रहता है। जब तक यह डर उनके दिल-दिमाग से निकल नहीं जाता, वे स्कूल जाना नहीं चाहते या न जाने का कोई झूठा-सच्चा बहाना बनाते हैं। बहुत से बच्चे शुरुआत में स्कूल जाने से कतराते हैं या वे अपनी मां का साथ छोड़ना नहीं चाहते।
जब मां उन्हें जबरदस्ती स्कूल भेजती है तो वे रोना-धोना मचाते हैं। देखने वालों को बच्चों पर तरस आता है और मां पर गुस्सा जानती हैं इसका कारण? क्योंकि आपने इसके लिए मानसिक तौर पर उसे तैयार नहीं किया होता है। यदि कुछ दिनों पूर्व से उसे स्कूल जाने के प्रति उसकी सोच सकारात्मक बनाई होती तो वह खुशी-खुशी आपको टाटा-बाय बाय करते हुए स्कूल जाता। यदि आपके घर परिवार में या पड़ोस में कोई छोटा बच्चा स्कूल जाता हो तो जब उसकी स्कूल बस उसे लेने आती हो, उस समय अपने बच्चे को भी घर से बाहर लाकर दिखाएं कि सामने वाला बच्चा कितनी खुशी-खुशी स्कूल जा रहा है। बच्चे के लिए स्कूल का पहला दिन बहुत मायने रखता है, क्योंकि इसी से उसमें स्कूल के प्रति रुचि या अरुचि जागृत होती है। पहले आप उसे उन बच्चों से मिलवाएं जो उसकी हमउम्र हों तथा पहले से स्कूल में पढ रहे हों।
उनकी देखा देखी वह भी स्कूल जाने के लिए प्रेरित होगा। यदि बच्चा अपनी हर छोटी-मोटी जरूरत के लिए आप पर निर्भर है तो स्कूल भेजने के पहले उसकी यह निर्भरता थोड़ी कम करें ताकि वह वहां आत्मनिर्भर होकर कुछ घंटे गुजार सके। इसलिए उसे अपने काम स्वयं करने की आदत डलवाएं। यदि बच्चा पहली बार स्कूल जा रहा है तो उसे जाते देख स्वयं विचलित न हों और न ही उससे कुछ घंटों के लिए बिछड़ने के लिए अपनी आंखों में आंसू लाएं। बच्चे एकदम से अपनी मां का साथ नहीं छोड़ सकते, इसलिए इसकी भूमिका आपको कुछ दिनों पूर्व से बनानी चाहिए। शुरुआत में आप कुछ देर उसे घर पर अन्य सदस्यों के पास छोड़ कर शॉपिंग करने जाएं या घंटे-दो घंटे के लिए अपने किसी पड़ौसी या रिश्तेदार के यहां छोड़ना शुरू करें। इससे उसे आप से दूर रहने की आदत बन जाएगी। ऐसे में जब आप पहली बार स्कूल भेजेंगी तो उसे आपका साथ छोड़ना मुश्किल नहीं होगा।
बच्चों को स्कूल भेजने के पूर्व उसकी कॉपी, किताबें, बस्ता, पानी की बॉटल आदि पहले से खरीदकर रखें तथा उसके लिए नई स्कूल यूनिफार्म या ड्रेस भी खरीदें। उसे घर पर ही दो-चार दिन तक उसकी किताब से थोड़ा पढकर सुनाएं। जब बच्चा स्कूल जाने लायक हो जाए तो उसके समक्ष स्कूल की बातें करें। वहां की मौजमस्ती, यार दोस्त, सखी-सहेलियों और खुशनुमा माहौल के बारे में चर्चा करते रहें। इससे बच्चे के मन में स्कूल के प्रति जिज्ञासा पैदा होगी। स्कूल भेजने से पहले उसे मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार करें। आपका उसे बताने या समझाने का तरीका ऐसा हो जो स्कूल जाकर पढ़ने के प्रति ललक पैदा करे।
कुछ बच्चों में स्कूल या टीचर के प्रति डर समाया रहता है। जब तक यह डर उनके दिल-दिमाग से निकल नहीं जाता, वे स्कूल जाना नहीं चाहते या न जाने का कोई झूठा-सच्चा बहाना बनाते हैं। बहुत से बच्चे शुरुआत में स्कूल जाने से कतराते हैं या वे अपनी मां का साथ छोड़ना नहीं चाहते।
जब मां उन्हें जबरदस्ती स्कूल भेजती है तो वे रोना-धोना मचाते हैं। देखने वालों को बच्चों पर तरस आता है और मां पर गुस्सा जानती हैं इसका कारण? क्योंकि आपने इसके लिए मानसिक तौर पर उसे तैयार नहीं किया होता है। यदि कुछ दिनों पूर्व से उसे स्कूल जाने के प्रति उसकी सोच सकारात्मक बनाई होती तो वह खुशी-खुशी आपको टाटा-बाय बाय करते हुए स्कूल जाता। यदि आपके घर परिवार में या पड़ोस में कोई छोटा बच्चा स्कूल जाता हो तो जब उसकी स्कूल बस उसे लेने आती हो, उस समय अपने बच्चे को भी घर से बाहर लाकर दिखाएं कि सामने वाला बच्चा कितनी खुशी-खुशी स्कूल जा रहा है। बच्चे के लिए स्कूल का पहला दिन बहुत मायने रखता है, क्योंकि इसी से उसमें स्कूल के प्रति रुचि या अरुचि जागृत होती है। पहले आप उसे उन बच्चों से मिलवाएं जो उसकी हमउम्र हों तथा पहले से स्कूल में पढ रहे हों।
उनकी देखा देखी वह भी स्कूल जाने के लिए प्रेरित होगा। यदि बच्चा अपनी हर छोटी-मोटी जरूरत के लिए आप पर निर्भर है तो स्कूल भेजने के पहले उसकी यह निर्भरता थोड़ी कम करें ताकि वह वहां आत्मनिर्भर होकर कुछ घंटे गुजार सके। इसलिए उसे अपने काम स्वयं करने की आदत डलवाएं। यदि बच्चा पहली बार स्कूल जा रहा है तो उसे जाते देख स्वयं विचलित न हों और न ही उससे कुछ घंटों के लिए बिछड़ने के लिए अपनी आंखों में आंसू लाएं। बच्चे एकदम से अपनी मां का साथ नहीं छोड़ सकते, इसलिए इसकी भूमिका आपको कुछ दिनों पूर्व से बनानी चाहिए। शुरुआत में आप कुछ देर उसे घर पर अन्य सदस्यों के पास छोड़ कर शॉपिंग करने जाएं या घंटे-दो घंटे के लिए अपने किसी पड़ौसी या रिश्तेदार के यहां छोड़ना शुरू करें। इससे उसे आप से दूर रहने की आदत बन जाएगी। ऐसे में जब आप पहली बार स्कूल भेजेंगी तो उसे आपका साथ छोड़ना मुश्किल नहीं होगा।
बच्चों को स्कूल भेजने के पूर्व उसकी कॉपी, किताबें, बस्ता, पानी की बॉटल आदि पहले से खरीदकर रखें तथा उसके लिए नई स्कूल यूनिफार्म या ड्रेस भी खरीदें। उसे घर पर ही दो-चार दिन तक उसकी किताब से थोड़ा पढकर सुनाएं। जब बच्चा स्कूल जाने लायक हो जाए तो उसके समक्ष स्कूल की बातें करें। वहां की मौजमस्ती, यार दोस्त, सखी-सहेलियों और खुशनुमा माहौल के बारे में चर्चा करते रहें। इससे बच्चे के मन में स्कूल के प्रति जिज्ञासा पैदा होगी। स्कूल भेजने से पहले उसे मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार करें। आपका उसे बताने या समझाने का तरीका ऐसा हो जो स्कूल जाकर पढ़ने के प्रति ललक पैदा करे।