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- धूम्रपान से होने वाला काला दमा घातक हो सकता है..........
Posted by : achhiduniya
16 June 2016
धूम्रपान
(बीड़ी,
सिगरेट, हुक्का पीना) बेशक सीओपीडी { क्रॉनिक
यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} की सबसे बड़ी वजह है।
ज्यादातर रोगी, जिन्हें सीओपीडी है, धूम्रपान
करते थे या करते है। भले ही अब उन्होंने बीड़ी -सिगरेट छोड. दी, मगर फेफडों को नुकसान तो हो ही चुका है। धूम्रपान न करने वाले लोग भी इस
बीमारी की चपेट में आ सकते हैं, अगर लंबे समय तक या किसी और
के धुएं के कश में सांस लेते रहें। बहुत दिनों तक चूल्हे या अंगीठी के धुएं के
सामने रहने से बहुत सी महिलाओं को सीओपीडी हो जाती है। धूल-धुएं भरी या प्रदूषित
जगहों जैसे कोयले की खदानें, उद्योग, जैसे,
सीमेंट, टैक्सटाइल, केमिकल्स
और जेवरात के इलेक्ट्रो-प्लेटिंग में लगातार, कई साल तक काम
करने वालों को भी सीओपीडी हो सकती है।
सही इलाज न कराने पर अस्थमा (दमे) के मरीजों को भी सीओपीडी हो सकती है। सीओपीडी छूत की बीमारी नहीं है। यह रोगाणुओं के जरिए नहीं फैलती है इसलिए आपसे किसी दूसरे इंसान को सीओपीडी नहीं लग सकती। बच्चों को सीओपीडी{ क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} नहीं होती, आमतौर पर 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सीओपीडी होती है लेकिन 40 साल से कम उम्र में भी सीओपीडी हो सकती है, खासकर अगर आप सिगरेट-बीड़ी पीते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 25-30 लाख लोगों की मृत्यु हर वर्ष सीओपीडी के कारण होती है। लगभग 7-8 करोड़ लोग इस रोग से पीडित हैं। भारत में लगभग 2.4 करोड़ लोग इस रोग से पीडित हैं,जिसमें पुरुषों का प्रतिशत लगभग 60 और महिलाओं का 40 है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} जानलेवा रोगों में पांचवे क्रमांक पर है। धूम्रपान एवं बढ़ते प्रदूषण से ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि सन् 2020 तक सीओपीडी पहले क्रमांक का जानलेवा रोग हो सकता है।
हाल ही में हुए सर्वेक्षण के अनुसार 30 से 50 प्रतिशत रोगियों को यह पता ही नहीं होता कि उन्हें सीओपीडी है। लगभग 70 प्रतिशत सीओपीडी रोगी शारीरिक या घरेलू काम करने में दिक्कत महसूस करते हैं और 30 प्रतिशत रोगी ये काम करने में असर्मथ होते हैं। भारत में लगभग 25 करोड. लोग धूम्रपान करते हैं, जिसकी वजह से सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} रोगियों की संख्या में लगातार वृद्घि हो रही है। इसका मतलब ऐसी बीमारी, जो आपके फेफडों में एक तरह की रुकावट डाल रही है और इसके लिए आपको एक लंबे इलाज की जरूरत है। यह रुकावट फेफडों की उन हवा नलियों (एयर ट्यूब्स) में होती है, जिनके जरिए फेफडों में हवा आती और जाती है। आपके फेफडों की एयर ट्यूब्स सिकुड़ गई हैं, यानी उनमें हवा आने या जाने का रास्ता छोटा हो गया है। मतलब अब उनके जरिए बहुत कम हवा अंदर आ सकती है और फेफडों से हवा बाहर भी ठीक तरह नहीं जा सकती। इस वजह से आपके फेफड़े भरे-भरे महसूस होते है, सीना कसा हुआ लगता है और आपको सांस लेने में दिक्कत होती है। सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} के प्रमुख लक्षण:- निरंतर खांसी और बलगम, घरघराहट के साथ या आवाज के साथ श्वसन प्रक्रिया, छाती मे कसाव, सांस लेने में परेशानी, जल्दी थकान महसूस होना।
सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} के शारीरिक लक्षण:- बैरेल आकार की छाती, सिकुड़े होंठो से सांस लेना। सीओपीडी{ क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} रोगियों के लिए आवश्यक जांच:- कम्प्यूटराइज्ड पल्मोनरी टेस्ट (स्पाईरोमेट्री)- स्पाईरोमेट्री यह एक श्वास संबंधी जांच है, जिससे पता चलता है कि आपके फेफडों को कितना नुकसान हुआ है और आपको किस किस्म की सीओपीडी है। डॉक्टर के परार्मशानुसार यह जांच सीओपीडी रोगियों को करवाना उपयोगी है। उपचार पद्धति:- अगर धूम्रपान करते हैं तो उसे फौरन छोड़ दीजिए। धूम्रपान छोड़ने के लिए चिकित्सक से निकोटिन रिप्लेसमेंट थैरेपी के बारे में पूछें। दवाएं बिल्कुल उसी तरह से लें, जिस तरह आपके डॉक्टर ने कहा है। अपने डॉक्टर के बताए हुए दिनों पर अपना मेडिकल चेकअप जरूर कराएं। घर की हवा साफ रखने की कोशिश कीजिए। डॉ राजेश स्वर्णकार दमा एलर्जी एवं छाती रोग विशेषज्ञ, गेटवेल हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, धंतोली, नागपुर।
सही इलाज न कराने पर अस्थमा (दमे) के मरीजों को भी सीओपीडी हो सकती है। सीओपीडी छूत की बीमारी नहीं है। यह रोगाणुओं के जरिए नहीं फैलती है इसलिए आपसे किसी दूसरे इंसान को सीओपीडी नहीं लग सकती। बच्चों को सीओपीडी{ क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} नहीं होती, आमतौर पर 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सीओपीडी होती है लेकिन 40 साल से कम उम्र में भी सीओपीडी हो सकती है, खासकर अगर आप सिगरेट-बीड़ी पीते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 25-30 लाख लोगों की मृत्यु हर वर्ष सीओपीडी के कारण होती है। लगभग 7-8 करोड़ लोग इस रोग से पीडित हैं। भारत में लगभग 2.4 करोड़ लोग इस रोग से पीडित हैं,जिसमें पुरुषों का प्रतिशत लगभग 60 और महिलाओं का 40 है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} जानलेवा रोगों में पांचवे क्रमांक पर है। धूम्रपान एवं बढ़ते प्रदूषण से ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि सन् 2020 तक सीओपीडी पहले क्रमांक का जानलेवा रोग हो सकता है।
हाल ही में हुए सर्वेक्षण के अनुसार 30 से 50 प्रतिशत रोगियों को यह पता ही नहीं होता कि उन्हें सीओपीडी है। लगभग 70 प्रतिशत सीओपीडी रोगी शारीरिक या घरेलू काम करने में दिक्कत महसूस करते हैं और 30 प्रतिशत रोगी ये काम करने में असर्मथ होते हैं। भारत में लगभग 25 करोड. लोग धूम्रपान करते हैं, जिसकी वजह से सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} रोगियों की संख्या में लगातार वृद्घि हो रही है। इसका मतलब ऐसी बीमारी, जो आपके फेफडों में एक तरह की रुकावट डाल रही है और इसके लिए आपको एक लंबे इलाज की जरूरत है। यह रुकावट फेफडों की उन हवा नलियों (एयर ट्यूब्स) में होती है, जिनके जरिए फेफडों में हवा आती और जाती है। आपके फेफडों की एयर ट्यूब्स सिकुड़ गई हैं, यानी उनमें हवा आने या जाने का रास्ता छोटा हो गया है। मतलब अब उनके जरिए बहुत कम हवा अंदर आ सकती है और फेफडों से हवा बाहर भी ठीक तरह नहीं जा सकती। इस वजह से आपके फेफड़े भरे-भरे महसूस होते है, सीना कसा हुआ लगता है और आपको सांस लेने में दिक्कत होती है। सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} के प्रमुख लक्षण:- निरंतर खांसी और बलगम, घरघराहट के साथ या आवाज के साथ श्वसन प्रक्रिया, छाती मे कसाव, सांस लेने में परेशानी, जल्दी थकान महसूस होना।
सीओपीडी { क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} के शारीरिक लक्षण:- बैरेल आकार की छाती, सिकुड़े होंठो से सांस लेना। सीओपीडी{ क्रॉनिक यानी स्थायी, ऑब्स्ट्रक्टिव यानी कुछ हिस्सा बंद, पल्मनरी यानी फेफडों में, डिसीज यानी बीमारी} रोगियों के लिए आवश्यक जांच:- कम्प्यूटराइज्ड पल्मोनरी टेस्ट (स्पाईरोमेट्री)- स्पाईरोमेट्री यह एक श्वास संबंधी जांच है, जिससे पता चलता है कि आपके फेफडों को कितना नुकसान हुआ है और आपको किस किस्म की सीओपीडी है। डॉक्टर के परार्मशानुसार यह जांच सीओपीडी रोगियों को करवाना उपयोगी है। उपचार पद्धति:- अगर धूम्रपान करते हैं तो उसे फौरन छोड़ दीजिए। धूम्रपान छोड़ने के लिए चिकित्सक से निकोटिन रिप्लेसमेंट थैरेपी के बारे में पूछें। दवाएं बिल्कुल उसी तरह से लें, जिस तरह आपके डॉक्टर ने कहा है। अपने डॉक्टर के बताए हुए दिनों पर अपना मेडिकल चेकअप जरूर कराएं। घर की हवा साफ रखने की कोशिश कीजिए। डॉ राजेश स्वर्णकार दमा एलर्जी एवं छाती रोग विशेषज्ञ, गेटवेल हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, धंतोली, नागपुर।