- Back to Home »
- Knowledge / Science »
- हैंडराइटिंग { लिखावट} के जरिए उपचार........ग्राफोथेरेपी से...
Posted by : achhiduniya
18 June 2016
साधारण
सी बात है कोई भी व्यक्ति कितना पढ़ा लिखा है यह उसकी लिखावट से जाहीर होता है।
इसका मतलब यह कदाचित नही कि जो जितना अधिक पढ़ा -लिखा है उसकी लिखावट सुंदर और कम
पढ़े-लिखे कि गंदी हो क्योकि डॉक्टर कि हैंडराइटिंग....आप खुद ही इस बात का अंदाजा
लगा सकते है। लेकिन क्या आप जानते है.....? लिखावट यानी हैंडराइटिंग के जरिए भी सेहत
के बारे मे जाना जा सकता है। 1970 के दशक में अमेरिकन रिसर्च
सोसायटी ने साबित किया था कि कैंसर से पीडित व्यक्ति की सबसे पहले हैंडराइटिंग
प्रभावित होती है। लेकिन अब ग्राफोथेरेपिस्ट या हैंडराइटिंग के जरिए उपचार करने
वाले विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडराइटिंग में परिवर्तिन करने से आप अपने
व्यक्तित्व में सुधार कर सकते हैं और इस तरह सकारात्मक, आत्मविश्वासी
और कामयाब बन सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि यह बदलाव मात्र तीन सप्ताह के भीतर आ सकता है। हैंडराइटिंग (हस्तलेखन) और रोगों के बीच संबंध तलाशने का सिलसिला पुराना है।दरअसल, दावा यह है कि हैंडराइटिंग में हल्का सा बदलाव लाने पर भी आपके व्यक्तित्व के नकारात्मक तत्व भी सकारात्मक हो जाएंगे। हालांकि यह सब जादुई उपचार सा प्रतीत होता है लेकिन इसमें कड़ी मेहनत की आवश्यकता है। इसमें शक नहीं है कि हैंडराइटिंग आपके व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती है। मसलन अगर आप अंग्रेजी के अक्षर 'ओ' और 'ए' को लूप के साथ लिखते हैं तो इससे यह जाहिर होता है कि आप इंट्रोवर्ट या अपने अंदर ही गुम रहने वाले व्यक्ति हैं। जबकि अगर आप 'डी' और 'जी' को लूप के साथ लिखते हैं तो आप आलोचना के लिए हरदम खुले रहते हैं यानी अगर कोई आपके किसी काम की आलोचना करे तो आप न सिर्फ उसे ध्यानपूर्वक सुनते हैं बल्कि अपने अंदर सुधार लाने की भी कोशिश करते हैं,लेकिन भारत में कुछ विशेषज्ञ हैंडराइटिंग के जरिए न सिर्फ व्यक्तित्व में परिवर्तन का प्रयास कर रहे हैं बल्कि कुछ रोगों का उपचार भी करने की कोशिश कर रहे हैं। इस नई उपचार विधि को ग्राफोथेरेपी का नाम दिया गया है जोकि हैंडराइटिंग विश्लेषण की कला ग्राफोलॉजी से विकसित हुई है।
ग्राफोथेरेपी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडराइटिंग से व्यक्तित्व के छिपे राज जाहिर हो सकते हैं। साथ ही यह भी संभव है कि हैंडराइटिंग में परिवर्तन कराकर नकारात्मक तत्वों को सकारात्मक तत्वों में तब्दील कर दिया जाए। इस उपचार विधि का आधार यह है कि अवचेतन दिमाग बदली हुई हैंडराइटिंग से प्रभावित होता है। अगर कोई प्रैक्टिस से अंग्रेजी के अक्षर 'टी' को लंबा करके काटने लगे तो वह महत्वाकांक्षी होने लगेगा। इसी तरह अगर कोई अंग्रेजी के अक्षर 'डी' के पेट को खुलाकर लिखने लगेगा तो उसमें सीखने का जज्बा बढ जाएगा और वह हमेशा ज्ञान हासिल करने के लिए जिज्ञासु बना रहेगा। हैंडराइटिंग के जरिए उपचार करने की विधि यह है कि सबसे पहले हैंडराइटिंग का विश्लेषण किया जाता है और व्यक्तित्व में नकारात्मक तत्वों की पहचान की जाती है। अगर किसी की हैंडराइटिंग में कंपकंपाना और आसक्ति नजर आती है तो यह अस्थिर होने के लक्षण हैं।
वह व्यक्ति अगर दाएं या बाएं तरफ से निरंतर झुकाव के साथ शब्दों को लिखने लगे तो अपनी इस खामी को दूर कर लेगा यानी उसके इरादों में स्थिरता आ जाएगी। अगर किसी की हैंडराइटिंग पेज पर नीचे की तरफ भागती तो यह यह निराशावाद और डिप्रेशन के लक्षण हैं। यह व्यक्ति कागज पर ऊपर की तरफ लिखने की प्रैक्टिस करे ताकि इन नकारात्मक तत्वों से बच सके। विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडराइटिंग में सुधार के लिए व्यक्ति तीन सप्ताह तक रोजाना दो पृष्ठ लिखें। इसके बाद अवचेतन मन को संदेश मिल जाता है और सकारात्मक तत्व व्यक्ति की आदत में शुमार हो जाते हैं। जाहिर है जब ऐसा होता है तो व्यक्तित्व के नकारात्मक तत्व लुप्त हो जाते हैं और शख्सियत में परिवर्तन आने लगता है। दिलचस्प बात यह है कि इस थेरेपी के जरिए डिस्फ्लेक्सिया, एकाग्रता की कमी, इमले की गलतियां, डिप्रेशन, गुस्सा, निराशावाद, कुंठा, देर तक ध्यान न दे पाना और अन्य मनोवैज्ञानिक डिसॉर्डर जो दिमाग में जन्म लेते हैं का इलाज किया जा रहा है।
ग्राफोथेरेपिस्ट हैंडराइटिंग का प्रयोग रोगों की पहचान या डायग्नोज करने के लिए भी कर रहे हैं। इसका आधार यह है कि जो लोग हाई ब्लडप्रेशर, जोडों में दर्द, त्वचा संक्रमण या कैंसर से प्रभावित हैं उनकी हैंडराइटिंग स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में भिन्न होगी। अगर कुछ स्ट्रोकों में 1/10 मिलीलीटर के भीतर कांटेदार स्ट्रोक है तो इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति हाई ब्लड शुगर से ग्रस्त है। इसी तरह अगर कुछ अक्षरों के लूपों में स्पॉट्स से हैं तो यह दर्द और गुस्से को प्रतिबिंबित करता है।
दिलचस्प बात यह है कि यह बदलाव मात्र तीन सप्ताह के भीतर आ सकता है। हैंडराइटिंग (हस्तलेखन) और रोगों के बीच संबंध तलाशने का सिलसिला पुराना है।दरअसल, दावा यह है कि हैंडराइटिंग में हल्का सा बदलाव लाने पर भी आपके व्यक्तित्व के नकारात्मक तत्व भी सकारात्मक हो जाएंगे। हालांकि यह सब जादुई उपचार सा प्रतीत होता है लेकिन इसमें कड़ी मेहनत की आवश्यकता है। इसमें शक नहीं है कि हैंडराइटिंग आपके व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती है। मसलन अगर आप अंग्रेजी के अक्षर 'ओ' और 'ए' को लूप के साथ लिखते हैं तो इससे यह जाहिर होता है कि आप इंट्रोवर्ट या अपने अंदर ही गुम रहने वाले व्यक्ति हैं। जबकि अगर आप 'डी' और 'जी' को लूप के साथ लिखते हैं तो आप आलोचना के लिए हरदम खुले रहते हैं यानी अगर कोई आपके किसी काम की आलोचना करे तो आप न सिर्फ उसे ध्यानपूर्वक सुनते हैं बल्कि अपने अंदर सुधार लाने की भी कोशिश करते हैं,लेकिन भारत में कुछ विशेषज्ञ हैंडराइटिंग के जरिए न सिर्फ व्यक्तित्व में परिवर्तन का प्रयास कर रहे हैं बल्कि कुछ रोगों का उपचार भी करने की कोशिश कर रहे हैं। इस नई उपचार विधि को ग्राफोथेरेपी का नाम दिया गया है जोकि हैंडराइटिंग विश्लेषण की कला ग्राफोलॉजी से विकसित हुई है।
ग्राफोथेरेपी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडराइटिंग से व्यक्तित्व के छिपे राज जाहिर हो सकते हैं। साथ ही यह भी संभव है कि हैंडराइटिंग में परिवर्तन कराकर नकारात्मक तत्वों को सकारात्मक तत्वों में तब्दील कर दिया जाए। इस उपचार विधि का आधार यह है कि अवचेतन दिमाग बदली हुई हैंडराइटिंग से प्रभावित होता है। अगर कोई प्रैक्टिस से अंग्रेजी के अक्षर 'टी' को लंबा करके काटने लगे तो वह महत्वाकांक्षी होने लगेगा। इसी तरह अगर कोई अंग्रेजी के अक्षर 'डी' के पेट को खुलाकर लिखने लगेगा तो उसमें सीखने का जज्बा बढ जाएगा और वह हमेशा ज्ञान हासिल करने के लिए जिज्ञासु बना रहेगा। हैंडराइटिंग के जरिए उपचार करने की विधि यह है कि सबसे पहले हैंडराइटिंग का विश्लेषण किया जाता है और व्यक्तित्व में नकारात्मक तत्वों की पहचान की जाती है। अगर किसी की हैंडराइटिंग में कंपकंपाना और आसक्ति नजर आती है तो यह अस्थिर होने के लक्षण हैं।
वह व्यक्ति अगर दाएं या बाएं तरफ से निरंतर झुकाव के साथ शब्दों को लिखने लगे तो अपनी इस खामी को दूर कर लेगा यानी उसके इरादों में स्थिरता आ जाएगी। अगर किसी की हैंडराइटिंग पेज पर नीचे की तरफ भागती तो यह यह निराशावाद और डिप्रेशन के लक्षण हैं। यह व्यक्ति कागज पर ऊपर की तरफ लिखने की प्रैक्टिस करे ताकि इन नकारात्मक तत्वों से बच सके। विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडराइटिंग में सुधार के लिए व्यक्ति तीन सप्ताह तक रोजाना दो पृष्ठ लिखें। इसके बाद अवचेतन मन को संदेश मिल जाता है और सकारात्मक तत्व व्यक्ति की आदत में शुमार हो जाते हैं। जाहिर है जब ऐसा होता है तो व्यक्तित्व के नकारात्मक तत्व लुप्त हो जाते हैं और शख्सियत में परिवर्तन आने लगता है। दिलचस्प बात यह है कि इस थेरेपी के जरिए डिस्फ्लेक्सिया, एकाग्रता की कमी, इमले की गलतियां, डिप्रेशन, गुस्सा, निराशावाद, कुंठा, देर तक ध्यान न दे पाना और अन्य मनोवैज्ञानिक डिसॉर्डर जो दिमाग में जन्म लेते हैं का इलाज किया जा रहा है।
ग्राफोथेरेपिस्ट हैंडराइटिंग का प्रयोग रोगों की पहचान या डायग्नोज करने के लिए भी कर रहे हैं। इसका आधार यह है कि जो लोग हाई ब्लडप्रेशर, जोडों में दर्द, त्वचा संक्रमण या कैंसर से प्रभावित हैं उनकी हैंडराइटिंग स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में भिन्न होगी। अगर कुछ स्ट्रोकों में 1/10 मिलीलीटर के भीतर कांटेदार स्ट्रोक है तो इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति हाई ब्लड शुगर से ग्रस्त है। इसी तरह अगर कुछ अक्षरों के लूपों में स्पॉट्स से हैं तो यह दर्द और गुस्से को प्रतिबिंबित करता है।