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- मेक इन इंडिया को नुकसान..... मेड इन चाइना से.......
Posted by : achhiduniya
20 June 2016
देश की अर्थ व्यवस्था मे जिस प्रकार चीन
आक्रमण कर रहा है यह बात किसी से छुपी नही है। चाहे सस्ते खिलौने हो,घड़िया हो,एल ई
डी बल्ब हो या फिर लोगो के हाथ मे मोबाइल फोन लोग धड़ल्ले से इन चीजों का इस्तेमाल
करते है और तो और इसका फायदा दुकानदार बखूबी उठाना जानते है। बड़ी आसानी से यह कह
देते है चाइना का है कोई गैरंटी नही जिससे बाद मे लोग अपने आप को ठगा महसूस करते
है। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री [एसोचैम] के सोशल डेवलपमेंट
फाउंडेशन द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में कहा गया है, मेक इन
इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोशिशों के बाद भी चीन के फैंसी खिलौने
घड़िया,एल ई डी बल्ब या फिर
मोबाइल फोन और स्थानीय छोटे विनिर्माताओं के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
चीन से कम-से-कम 55 फीसदी सस्ते आयात के कारण देश में कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। यह बात एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कही गई। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, चीन के मोबाइल और स्थानीय निर्माताओं के उत्पादों के मूल्यों में 55 फीसदी से अधिक का अंतर है। सर्वेक्षकों से लोगों ने कहा कि सस्ते होने के कारण ही मेड इन चाइना उत्पादों को लोग पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वे स्थानीय उत्पादों से 55% सस्ते हैं।
कई स्थानीय कारोबारियों ने बताया कि वे इसे बेचने के लिए मजबूर है, क्योकि उन्हे तो अपना कारोबार चलाना है सरकार इस प्रकार के उत्पादनों पर रोक लगा सकती है। जब तक ग्राहक खुद जागरूक नही होंगे तब तक सरकार की सारी नीतिया बौनी साबित होंगी।
चीन से कम-से-कम 55 फीसदी सस्ते आयात के कारण देश में कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। यह बात एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कही गई। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, चीन के मोबाइल और स्थानीय निर्माताओं के उत्पादों के मूल्यों में 55 फीसदी से अधिक का अंतर है। सर्वेक्षकों से लोगों ने कहा कि सस्ते होने के कारण ही मेड इन चाइना उत्पादों को लोग पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वे स्थानीय उत्पादों से 55% सस्ते हैं।
कई स्थानीय कारोबारियों ने बताया कि वे इसे बेचने के लिए मजबूर है, क्योकि उन्हे तो अपना कारोबार चलाना है सरकार इस प्रकार के उत्पादनों पर रोक लगा सकती है। जब तक ग्राहक खुद जागरूक नही होंगे तब तक सरकार की सारी नीतिया बौनी साबित होंगी।