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- NSG में भारत की एंट्री पर चीन राह में रोड़ा........
Posted by : achhiduniya
21 June 2016
चीन एनएसजी में भारत की एंट्री का विरोध कर
रहा है। उसका कहना है कि बिना परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए
किसी भी देश की इस समूह में एंट्री नहीं हो सकती। एनएसजी का गठन 1974 में इंडिया के पहले परमाणु
परीक्षण के बाद हुआ था। इसका लक्ष्य था कि दुनिया भर में परमाणु हथियारों के
प्रसार को रोका जाए। एनएसजी में भारत की सदस्यता का जहां अमेरिका और रूस समेत कई
बड़े देश समर्थन कर रहे हैं, वहीं चीन ने एक बार फिर इस राह
में रोड़ा डालने की कोशिश की है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने
कहा, ‘हमने इस बात पर जोर दिया है कि एनएसजी गैर एनपीटी
देशों के प्रवेश को लेकर अब भी बंटा हुआ है और मौजूदा परिस्थितियों में हम आशा
करते हैं कि एनएसजी विचार-विमर्श पर आधारित फैसला करने के लिए विस्तृत चर्चा करेगा।
इन सबके बीच तुर्की अभी भी पाकिस्तान के साथ खड़ा हुआ है।तुर्की ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के आवेदन पर समान रूप से विचार किया जाए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस मुद्दे पर तुर्की द्वारा दिए गये समर्थन के लिए उसे धन्यवाद दिया है।वियना में पिछले हफ्ते हुई परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में भारत की सदस्यता के लिए कोई फैसला नहीं लिया जा सका। पहले यह कहा जा रहा था कि तुर्की सहित न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। राजनयिक दवाब के माध्यम से अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सभी एनएसजी देशों को पत्र लिखकर कहा था कि वे भारत की सदस्यता का विरोध ना करें और इसके बाद न्यूजीलैंड और आस्ट्रिया जैसे देशों के रूख में कुछ नरमी आई। 24 जून से सोल में होने जा रही एनएसजी की बैठक के एजेंडे में भारत को इस 48 सदस्यीय समूह में शामिल करने का मुद्दा शामिल नहीं है।
इन सबके बीच तुर्की अभी भी पाकिस्तान के साथ खड़ा हुआ है।तुर्की ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के आवेदन पर समान रूप से विचार किया जाए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने इस मुद्दे पर तुर्की द्वारा दिए गये समर्थन के लिए उसे धन्यवाद दिया है।वियना में पिछले हफ्ते हुई परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में भारत की सदस्यता के लिए कोई फैसला नहीं लिया जा सका। पहले यह कहा जा रहा था कि तुर्की सहित न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, आयरलैंड और दक्षिण अफ्रीका एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। राजनयिक दवाब के माध्यम से अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सभी एनएसजी देशों को पत्र लिखकर कहा था कि वे भारत की सदस्यता का विरोध ना करें और इसके बाद न्यूजीलैंड और आस्ट्रिया जैसे देशों के रूख में कुछ नरमी आई। 24 जून से सोल में होने जा रही एनएसजी की बैठक के एजेंडे में भारत को इस 48 सदस्यीय समूह में शामिल करने का मुद्दा शामिल नहीं है।