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- रमजान के महीने मे जाने रोजे के फायदे.........
Posted by : achhiduniya
13 June 2016
हर धर्म का अपना एक नियम होता है।कोई उपवास
से तो कोई रोजे से तो कोई अरदास से या प्रेयर द्वारा अपने इष्ट से अपने दोष-गुनाहो
की माफी मांगकर अपने व परिवार के लिए मंगल जीवन की कामना करता है। जहा एक तरफ
धार्मिक प्रवर्ती का विकास होता है वही मानवता के प्रति एक जागरूकता का विकास होता
है। व्रत-उपवास स्वास्थ्य के लाभकारी होता है,यह सभी जानते क्योकि इससे शरीर को
एक दिन की पाचन क्रिया मे खर्च होने वाली ऊर्जा की बचत होती है,साथ ही अन्न का भी उपयोग कम होता है।गर्मी के मौसम में आने वाले पवित्र
रमजान में मानव शरीर को रोज़े की हालत में पानी की अधिक आवश्यकता महसूस होती है,
सख्त गर्मी में त्वचा झुलस जाती है जिस पर डॉक्टर सलाह देते हैं कि इफ्तार के बाद और सेहरी के समय में पानी का अधिक इस्तेमाल किया जाए, इससे त्वचा को ताजा रखा जा सकता है।
मानव त्वचा और नाखूनों पर भी रोज़े का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नाखून, सिरके बालों का विकास और उनकी मजबूती में वृद्धि होती है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार रोज़े के बिना मानव शरीर की शक्ति और ऊर्जा पाचन के कारण खर्च होती है,लेकिन रोज़े के बाद शरीर की ऊर्जा पाचन के निर्देश पर काम नहीं करती।बारह घंटे के रोज़े के बाद मानव शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ और अनियमित पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और इस प्रकार शरीर को अनियमित पदार्थ से मुक्ति मिलती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह धारणा सही नहीं कि रोज़ा मनुष्य को कमज़ोर कर देता है क्योंकि रोज़ा रखने से मानव शरीर में मौजूद ऐसे हार्मोन हरकत में आ जाते हैं जो बुढ़ापे का विरोध करते हैं।
रोज़े की वजह से अधिक भूख और प्यास मानव को जरूरत से अधिक खाने पीने पर मजबूर कर सकती है मगर सहरी और इफतारी में खाने-पीने में संयम का प्रदर्शन करना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद सोने की आदत नहीं डालनी चाहिए बल्कि शरीर को भोजन पचाने का कुछ मौका जरूर देना चाहिए। वही रोगियों और गर्भवती महिलाओं को रमजान से पहले अपना मेडिकल परीक्षा करा लेना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि उन्हें रोजे की हालत मे कौन कौन से काम करना हैं और खाने पीने में किस सावधानी की आवश्यकता है।
सख्त गर्मी में त्वचा झुलस जाती है जिस पर डॉक्टर सलाह देते हैं कि इफ्तार के बाद और सेहरी के समय में पानी का अधिक इस्तेमाल किया जाए, इससे त्वचा को ताजा रखा जा सकता है।
मानव त्वचा और नाखूनों पर भी रोज़े का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नाखून, सिरके बालों का विकास और उनकी मजबूती में वृद्धि होती है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार रोज़े के बिना मानव शरीर की शक्ति और ऊर्जा पाचन के कारण खर्च होती है,लेकिन रोज़े के बाद शरीर की ऊर्जा पाचन के निर्देश पर काम नहीं करती।बारह घंटे के रोज़े के बाद मानव शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ और अनियमित पदार्थ नष्ट हो जाते हैं और इस प्रकार शरीर को अनियमित पदार्थ से मुक्ति मिलती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह धारणा सही नहीं कि रोज़ा मनुष्य को कमज़ोर कर देता है क्योंकि रोज़ा रखने से मानव शरीर में मौजूद ऐसे हार्मोन हरकत में आ जाते हैं जो बुढ़ापे का विरोध करते हैं।
रोज़े की वजह से अधिक भूख और प्यास मानव को जरूरत से अधिक खाने पीने पर मजबूर कर सकती है मगर सहरी और इफतारी में खाने-पीने में संयम का प्रदर्शन करना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद सोने की आदत नहीं डालनी चाहिए बल्कि शरीर को भोजन पचाने का कुछ मौका जरूर देना चाहिए। वही रोगियों और गर्भवती महिलाओं को रमजान से पहले अपना मेडिकल परीक्षा करा लेना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि उन्हें रोजे की हालत मे कौन कौन से काम करना हैं और खाने पीने में किस सावधानी की आवश्यकता है।


