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- 3 जी की सुविधा सही किये बिना हमें 4 जी सपना बेचने में व्यस्त दूरसंचार कंपनियों....
Posted by : achhiduniya
13 July 2016
आज तकनीकी युग मे इंटरनेट के बिना कंप्यूटर,लैपटॉप यहा तक की मोबाइल
भी बेजान लगते है। आइए एक नजर डालते है इंटरनेट स्पीड की हकीकत पर हम सभी ने ऊँचे
पहाड़ों और द्वीपों पर उपलब्ध सुपर फास्ट इंटरनेट के दावे को दूरसंचार कंपनियों
द्वारा टीवी विज्ञापनों में देखा है,लेकिन सच्चाई यह है कि
आज भी मेट्रो शहरों में हमारे घरों के अंदर अच्छा इंटरनेट नहीं मिलता है। वे 21Mbps
या यहां तक कि 100Mbps वादा करता हैं,लेकिन मुश्किल से 2 एमबीपीएस वितरित कर सकते हैं। हमारे
फोन संकेत भयानक हैं और डेटा गति भी बदतर हैं। भारत में 3 जी
इंटरनेट का वास्तव में गरीब कार्यान्वयन, केवल टावरों की
संख्या कम होने के कारण है,लेकिन वो 3 जी
की सुविधा सही किये बिना, हमें 4 जी
सपना बेचने में व्यस्त हैं।
कोई फर्क नहीं पड़ता की हमारे पास कौन सी दूरसंचार कंपनी का नेटवर्क है, 2 जी, 3 जी या 4 जी है, इंटरनेट की गति बेहद धीमी और कनेक्शन बहुत अनिश्चित है।हमे अच्छे इंटरनेट की गति क्यों नहीं मिलती? स्पीड: भारतीय सेलुलर टावर केवल 30% 3 जी सक्षम हैं। बाकी 2 जी प्रदान करते हैं। आपके डेटा की गति इस बात पे निर्भर करती है की आप कौन से टावर से जुड़े है।यह संभव है कि आप ने 3 जी पैक सक्रिय कर लिया है और आप 2 जी कनेक्शन से कनेक्टेड हों। कवरेज: टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने सभी उपभोक्ता के कवरेज के लिए टावर में निवेश नहीं किया है। बुरा संकेत कम डेटा गति की ओर जाता है। कुछ क्षेत्रों में ये दुष्प्रचार करते हैं जहाँ ये डाटा गति देने में सक्षम नहीं हैं। ट्राई ने 3 जी के लिए 1 एमबीपीएस न्यूनतम गति तय की है, और टेलीकाम कंपनियों से कहा है कि यह सुनिश्चित करे कि 95% तक उपभोक्ता को स्पीड मिले। लेकिन वास्तविकता यह है कि ज्यादातर 3 जी ग्राहकों को एक स्थिर 3 जी कनेक्शन आधा भी नहीं मिलता है।
एरिक्सन द्वारा हाल ही तैयार में एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 48% मोबाइल ग्राहकों के 2 जी और 3 जी की गति के बीच कोई अंतर नहीं पाया। ट्राई ने सभी टेलीकाम कंपनियों से कहा है कि स्पष्ट रूप से कम से कम डेटा गति वे सभी विज्ञापनों और ग्राहकों की सामग्री में 2 जी, 3 जी,और 4 जी के लिए प्रदान करे। यह भी लागू नहीं किया जा रहा है। ट्राई ने निर्धारित मानकों से नीचे सेवा देने के लिए 1.5 लाख रुपये का दंड लगाया गया है। क्या आपको लगता है कि इतनी कम राशि दूरसंचार दिग्गज को डराने के लिए काफी है ? साथ ही, सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ट्राई सेवा की गुणवत्ता की जांच दूरसंचार ऑपरेटरों के द्वारा संकलित की गई रिपोर्ट के आधार पर करता है।
अब प्रश्न ये उठता है की क्या टेलीकॉम संस्था को ये सुनिश्चित करना चाहिए की उपभोक्ता को उनके द्वारा दिए गए भुगतान का पूरा लाभ मिले? भारत में औसत इंटरनेट गति 2.7Mbps था, जबकि यह ब्रिटेन में 27 Mbps, स्पेन में 14Mbps में और टर्की में 11Mbps था। यहाँ तक कि इंडोनेशिया में 4.4 Mbps पर एक उच्च औसत गति था। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे धीमी मोबाइल से जुड़े देशों में से एक है। हम बाकी दुनिया के साथ कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं अगर हमारे इंटरनेट हमें धीमा कर देते है?। [साभार ] नोट : यह सर्वे एक रिपोर्ट पे आधारित मित्र सुशील वशिष्ठ व gIrIsH kUmAr जी के दवारा जनहित मे जानकारी।
कोई फर्क नहीं पड़ता की हमारे पास कौन सी दूरसंचार कंपनी का नेटवर्क है, 2 जी, 3 जी या 4 जी है, इंटरनेट की गति बेहद धीमी और कनेक्शन बहुत अनिश्चित है।हमे अच्छे इंटरनेट की गति क्यों नहीं मिलती? स्पीड: भारतीय सेलुलर टावर केवल 30% 3 जी सक्षम हैं। बाकी 2 जी प्रदान करते हैं। आपके डेटा की गति इस बात पे निर्भर करती है की आप कौन से टावर से जुड़े है।यह संभव है कि आप ने 3 जी पैक सक्रिय कर लिया है और आप 2 जी कनेक्शन से कनेक्टेड हों। कवरेज: टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने सभी उपभोक्ता के कवरेज के लिए टावर में निवेश नहीं किया है। बुरा संकेत कम डेटा गति की ओर जाता है। कुछ क्षेत्रों में ये दुष्प्रचार करते हैं जहाँ ये डाटा गति देने में सक्षम नहीं हैं। ट्राई ने 3 जी के लिए 1 एमबीपीएस न्यूनतम गति तय की है, और टेलीकाम कंपनियों से कहा है कि यह सुनिश्चित करे कि 95% तक उपभोक्ता को स्पीड मिले। लेकिन वास्तविकता यह है कि ज्यादातर 3 जी ग्राहकों को एक स्थिर 3 जी कनेक्शन आधा भी नहीं मिलता है।
एरिक्सन द्वारा हाल ही तैयार में एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 48% मोबाइल ग्राहकों के 2 जी और 3 जी की गति के बीच कोई अंतर नहीं पाया। ट्राई ने सभी टेलीकाम कंपनियों से कहा है कि स्पष्ट रूप से कम से कम डेटा गति वे सभी विज्ञापनों और ग्राहकों की सामग्री में 2 जी, 3 जी,और 4 जी के लिए प्रदान करे। यह भी लागू नहीं किया जा रहा है। ट्राई ने निर्धारित मानकों से नीचे सेवा देने के लिए 1.5 लाख रुपये का दंड लगाया गया है। क्या आपको लगता है कि इतनी कम राशि दूरसंचार दिग्गज को डराने के लिए काफी है ? साथ ही, सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ट्राई सेवा की गुणवत्ता की जांच दूरसंचार ऑपरेटरों के द्वारा संकलित की गई रिपोर्ट के आधार पर करता है।
अब प्रश्न ये उठता है की क्या टेलीकॉम संस्था को ये सुनिश्चित करना चाहिए की उपभोक्ता को उनके द्वारा दिए गए भुगतान का पूरा लाभ मिले? भारत में औसत इंटरनेट गति 2.7Mbps था, जबकि यह ब्रिटेन में 27 Mbps, स्पेन में 14Mbps में और टर्की में 11Mbps था। यहाँ तक कि इंडोनेशिया में 4.4 Mbps पर एक उच्च औसत गति था। भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे धीमी मोबाइल से जुड़े देशों में से एक है। हम बाकी दुनिया के साथ कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं अगर हमारे इंटरनेट हमें धीमा कर देते है?। [साभार ] नोट : यह सर्वे एक रिपोर्ट पे आधारित मित्र सुशील वशिष्ठ व gIrIsH kUmAr जी के दवारा जनहित मे जानकारी।