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- खाने मे छोटे बच्चो को क्या दे कैसे रखे ख्याल.......?
Posted by : achhiduniya
13 July 2016
बच्चा
जिस समय चीजों को पकड़ने की शुरुआत करता है उस समय उसके खेलने की जगह को साफ-सुथरा
रखें। बोतलों के ढक्कन,सिक्के,पेन के
ढक्कन,सेफ्टी पिन्स वगैरह को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। घर
में इधर-उधर बिखरी चीजों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। डस्टबिन को तो विशेष तौर
से बच्चे की पहुंच से दूर रखें। समय-समय पर बच्चों के खिलौनों की जांच करते रहें। किसी
खिलौने के किसी छोटे से हिस्से के टूट कर गिरने का खतरा हो और जिसे बच्चे द्वारा
निगलने की आशंका हो उसे बच्चे को खेलने के लिए न दें। बच्चे के लिए सख्त भोजन
पदार्थ जैसे टॉफी,मीट के टुकड़े,मूंगफली
के दाने,बादाम की गिरी,पॉपकॉर्न इस तरह
की चीजें खतरनाक साबित हो सकती हैं। यदि बच्चे के सामने ये रख दी जाएं और बच्चा
इन्हें साबुत निगल ले तो उसके गले में चोकिंग हो सकती है। कई बार नर्म खाद्य
पदार्थ भी बच्चे की सांस की नली में अवरोध पैदा कर देते हैं।
अंगूर के दाने बच्चे के गले में अटक सकते हैं। इससे बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। रबड़ के बने गुब्बारे अगर बच्चे मुंह में डाल लेते हैं,तो इससे उनके जीवन को गम्भीर खतरा पैदा हो जाता है। बच्चे की पहुंच में आने वाले सिक्के, खिलौनों के छोटे-छोटे टुकड़े,पेन के ढक्कन और इसी तरह छोटी-छोटी चीजें जिन्हें बच्चा मुंह में डाल लेता है और जिससे चॉकिंग हो जाती है। इसके अलावा बच्चों को ऐसी चीजें खाने के लिए देना जिनके उसके गले में अटकने का खतरा हो इससे बचना चाहिए। बच्चे को खाने में ठोस चीजें तभी देनी चाहिए जब वह 4 साल का हो जाए और चीजों को अच्छी तरह चबाने के लायक हो जाए। बच्चा जब अपने हाथों से चीजों को पकड़ने की शुरुआत करता है,तो वह अपने हाथ में आई हर चीज को मुंह में डालने का प्रयास करता है। बच्चा जब ठोस आहार लेने की शुरुआत करता है तो वह क्या खा रहा है हमें इसके विषय में सचेत रहना चाहिए। बच्चे को इस दौरान ज्यादा सूखा और सख्त भोजन नहीं देना चाहिए क्योंकि इसके भी बच्चे के गले में फंसने का खतरा रहता है।
एक साल से छोटे बच्चे में इस बात की काफी आशंका रहती है। कई बार तो बच्चे के गले में चोकिंग होने से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। बच्चे को यदि कुछ खाने को दिया जाए तो अपनी देख-रेख में उसे खिलाएं। यदि चोकिंग हो जाती है तो उसके गले में फंसी चीज को तुरंत निकालने का प्रयास करें ताकि उसकी सांस लेने की प्रक्रिया में कोई रुकावट न हो। उसके गले में फंसी चीज को जल्द से जल्द निकालने का प्रयास करें। यदि लम्बे समय तक बच्चा सांस नहीं ले पा रहा है,तो उसके होंठ और त्वचा का रंग नीला हो जाता है। यह इस बात का संकेत होता है कि बच्चा सांस लेने में असर्मथ है। ऐसे में उसे तुरंत मेडिकल सहायता देने का प्रयास करें। बच्चे के गले में फंसी चीज को निकालने के लिए उसका मुंह नीचे की ओर करके उसे अपनी बांहों के अगले हिस्से में लें। अपनी बांहों को घुटने के पास रखें और उसे धीरे से पकड़े बच्चे का सिर और गर्दन नीचे की ओर करें। एक हाथ से उसकी ठोड़ी को पकड़े उसके कंधों के बीच के स्थान पर चार-पांच बार थपकी दें। इससे बच्चे के गले में फंसी चीज तुरंत नीचे की ओर गिर पड़ती है।
यदि इस प्रयास में सफलता हासिल न हो तो बच्चे के मुंह को खोलकर उसमें उंगली डालकर गले में फंसी चीज निकालने का प्रयास करें। इसके अलावा बच्चे को सीधा करके उसकी छाती पर थपकिया देकर फंसी चीज को निकालें। बच्चा जब बैठने की शुरुआत करे तो उसके क्रिब में लगे खिलौने निकाल दें क्योंकि बच्चा इन्हें खींचकर मुंह में डाल सकता है। बच्चे को जब कुछ भी खाने को दें तो उसे टेबल और कुर्सी पर बिठाकर खिलाएं। भोजन के टुकड़े छोटे रखें जिसे बच्चा चबाकर खा सके। बच्चे के आसपास से छोटी चीजों को हटाकर रखें। बटन बैटरीज को तुरंत नष्ट कर दें, इससे भी बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। उसे सिर्फ मसला हुआ नर्म मुलायम भोजन दें। साइकिल चलाते समय बच्चे को कुछ न खिलाएं उससे लगने वाले झटके से चोकिंग हो सकती है।
अंगूर के दाने बच्चे के गले में अटक सकते हैं। इससे बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। रबड़ के बने गुब्बारे अगर बच्चे मुंह में डाल लेते हैं,तो इससे उनके जीवन को गम्भीर खतरा पैदा हो जाता है। बच्चे की पहुंच में आने वाले सिक्के, खिलौनों के छोटे-छोटे टुकड़े,पेन के ढक्कन और इसी तरह छोटी-छोटी चीजें जिन्हें बच्चा मुंह में डाल लेता है और जिससे चॉकिंग हो जाती है। इसके अलावा बच्चों को ऐसी चीजें खाने के लिए देना जिनके उसके गले में अटकने का खतरा हो इससे बचना चाहिए। बच्चे को खाने में ठोस चीजें तभी देनी चाहिए जब वह 4 साल का हो जाए और चीजों को अच्छी तरह चबाने के लायक हो जाए। बच्चा जब अपने हाथों से चीजों को पकड़ने की शुरुआत करता है,तो वह अपने हाथ में आई हर चीज को मुंह में डालने का प्रयास करता है। बच्चा जब ठोस आहार लेने की शुरुआत करता है तो वह क्या खा रहा है हमें इसके विषय में सचेत रहना चाहिए। बच्चे को इस दौरान ज्यादा सूखा और सख्त भोजन नहीं देना चाहिए क्योंकि इसके भी बच्चे के गले में फंसने का खतरा रहता है।
एक साल से छोटे बच्चे में इस बात की काफी आशंका रहती है। कई बार तो बच्चे के गले में चोकिंग होने से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। बच्चे को यदि कुछ खाने को दिया जाए तो अपनी देख-रेख में उसे खिलाएं। यदि चोकिंग हो जाती है तो उसके गले में फंसी चीज को तुरंत निकालने का प्रयास करें ताकि उसकी सांस लेने की प्रक्रिया में कोई रुकावट न हो। उसके गले में फंसी चीज को जल्द से जल्द निकालने का प्रयास करें। यदि लम्बे समय तक बच्चा सांस नहीं ले पा रहा है,तो उसके होंठ और त्वचा का रंग नीला हो जाता है। यह इस बात का संकेत होता है कि बच्चा सांस लेने में असर्मथ है। ऐसे में उसे तुरंत मेडिकल सहायता देने का प्रयास करें। बच्चे के गले में फंसी चीज को निकालने के लिए उसका मुंह नीचे की ओर करके उसे अपनी बांहों के अगले हिस्से में लें। अपनी बांहों को घुटने के पास रखें और उसे धीरे से पकड़े बच्चे का सिर और गर्दन नीचे की ओर करें। एक हाथ से उसकी ठोड़ी को पकड़े उसके कंधों के बीच के स्थान पर चार-पांच बार थपकी दें। इससे बच्चे के गले में फंसी चीज तुरंत नीचे की ओर गिर पड़ती है।
यदि इस प्रयास में सफलता हासिल न हो तो बच्चे के मुंह को खोलकर उसमें उंगली डालकर गले में फंसी चीज निकालने का प्रयास करें। इसके अलावा बच्चे को सीधा करके उसकी छाती पर थपकिया देकर फंसी चीज को निकालें। बच्चा जब बैठने की शुरुआत करे तो उसके क्रिब में लगे खिलौने निकाल दें क्योंकि बच्चा इन्हें खींचकर मुंह में डाल सकता है। बच्चे को जब कुछ भी खाने को दें तो उसे टेबल और कुर्सी पर बिठाकर खिलाएं। भोजन के टुकड़े छोटे रखें जिसे बच्चा चबाकर खा सके। बच्चे के आसपास से छोटी चीजों को हटाकर रखें। बटन बैटरीज को तुरंत नष्ट कर दें, इससे भी बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। उसे सिर्फ मसला हुआ नर्म मुलायम भोजन दें। साइकिल चलाते समय बच्चे को कुछ न खिलाएं उससे लगने वाले झटके से चोकिंग हो सकती है।