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मौजूदा भारतीय रेल से 40 प्रतिशत कम वजन वाली टैल्गो ट्रेन 130 किमी रफ्तार मे हवा से करेंगी बाते......
Posted by : achhiduniya
10 July 2016
उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल के अंतर्गत स्पेन से आए सेमीहाईस्पीड
टैल्गो डिब्बे सेट का दूसरे चरण का परीक्षण मथुरा और पलवल के बीच शुरू हो गया और
गाड़ी 120 और 130 किमी प्रतिघंटा की गति से सफलतापूर्वक दौड़ी। गाड़ी को 4500 अश्वशक्ति वाले देसी डीजल इंजन डब्ल्यूडीपी-4 से
चलाया गया जो 200 किमी प्रतिघंटा की गति से गाड़ी खींचने में
सक्षम है। मथुरा से दोपहर 12.45 बजे यह गाड़ी रवाना हुई और 110
किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल कर 84 किलोमीटर
दूर पलवल स्टेशन पर 13.35 बजे पहुंची और फिर वहां से वापस
लौटी। गाड़ी से दूसरा चक्कर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से
लगाया गया। रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि इस खंड पर टैल्गो के नौ कोचों वाले इस रैक
के परिचालन परीक्षण इस पूरे माह चलेंगे और गाड़ी को 180 किलोमीटर
प्रतिघंटा की गति से चलाकर देखा जाएगा। गाड़ी का परीक्षण खाली एवं भार सहित दोनों
परिस्थितियों में किया जाएगा। इन सभी परिस्थितियों में गाड़ी में कंपन आदि भी मापा
जा रहा है।
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि टैल्गो का परीक्षण अगर सफल हो जाता है तो यह भारतीय रेलवे में एक क्रांतिकारी घटना होगी। इसकी सफलता से रेलवे के हजारों करोड़ रुपए बचेंगे और वर्तमान ट्रैक पर ही बिना कोई खास बदलाव किए 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से गाड़ी दौड़ाना संभव होगा। टैल्गो यह परीक्षण स्वयं के खर्च पर कर रही है। भारतीय रेलवे ने इसके लिए टैल्गो को कोई पैसा नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार टैल्गो की गाड़ी भारतीय ट्रैक के सर्वाधिक अनुकूल पाई गई है। टैल्गो की ट्रेन में बोगी की नैचुरल टिल्टिंग डिजाइन से बनी है जिससे तीखे मोडो और घुमावदार मार्गों पर इसे कम से कम 25 प्रतिशत अधिक गति से आराम से चलाया जा सकता है। इसकी कारबॉडीज एल्युमिनियम मिश्रित धातु की बनी हैं जिससे यह विश्व में प्रति सीट सबसे कम वजन वाली गाड़ी मानी जाती है। इसका वजन भारतीय रेल कोचों की तुलना में करीब 40 प्रतिशत कम है। इससे गाड़ी की परिचालन लागत कम है और पर्यावरण संरक्षा के हिसाब से अनुकूल है।
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि टैल्गो का परीक्षण अगर सफल हो जाता है तो यह भारतीय रेलवे में एक क्रांतिकारी घटना होगी। इसकी सफलता से रेलवे के हजारों करोड़ रुपए बचेंगे और वर्तमान ट्रैक पर ही बिना कोई खास बदलाव किए 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से गाड़ी दौड़ाना संभव होगा। टैल्गो यह परीक्षण स्वयं के खर्च पर कर रही है। भारतीय रेलवे ने इसके लिए टैल्गो को कोई पैसा नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार टैल्गो की गाड़ी भारतीय ट्रैक के सर्वाधिक अनुकूल पाई गई है। टैल्गो की ट्रेन में बोगी की नैचुरल टिल्टिंग डिजाइन से बनी है जिससे तीखे मोडो और घुमावदार मार्गों पर इसे कम से कम 25 प्रतिशत अधिक गति से आराम से चलाया जा सकता है। इसकी कारबॉडीज एल्युमिनियम मिश्रित धातु की बनी हैं जिससे यह विश्व में प्रति सीट सबसे कम वजन वाली गाड़ी मानी जाती है। इसका वजन भारतीय रेल कोचों की तुलना में करीब 40 प्रतिशत कम है। इससे गाड़ी की परिचालन लागत कम है और पर्यावरण संरक्षा के हिसाब से अनुकूल है।