- Back to Home »
- Agriculture / Nature »
- देश के अन्न दाता [हर किसान] परिवार पर 47,000 का कर्ज.... सर्वेक्षण की रिपोर्ट
Posted by : achhiduniya
04 July 2016
केंद्र
व राज्य सरकारे हमेशा किसानो के कर्ज को माफ करने का ठीकरा फोड़ते रहते है। लेकिन
हकीकत इससे कोसो दूर है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 2013 में किए गए स्थिति आकलन सर्वेक्षण (एसएएस) के अनुसार जिस दिन किसान
परिवारों पर कर्ज के आंकड़े लिए गए थे। उस दिन प्रत्येक कृषक परिवार पर औसतन लगभग 47,000
रुपए कर्ज होने का अनुमान लगाया गया है। इस ऋण में संस्थागत
संस्थानों तथा सेठ-साहूकारों से लिए गए कर्ज भी शामिल हैं। सर्वेक्षण के दौरान
ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 52% किसान परिवारों के कर्ज के बोझ
में दबे होने का अनुमान लगाया गया।
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम उपायों के बावजूद देश में प्रत्येक कृषक परिवार पर औसतन लगभग 47,000 रुपए का कर्ज होने का अनुमान है। कम जोत के किसान परिवार पर कम कर्ज का भार है, जबकि बड़े किसान परिवारों पर अधिक कर्ज है। कम जमीन वाले 41.9% किसानों पर कर्ज है, जबकि 10 हेक्टेयर से अधिक जमीन वाले 78.7% किसान परिवार कर्जदार हैं। एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान परिवार पर औसतन 31,100 रुपए का कर्ज है, जबकि 10 हेक्टेयर से अधिक जमीन जोतने वाले किसान परिवार लगभग 29,0300 रुपए के कर्जदार हैं। साहूकारों के जाल में फंसे हैं छोटे किसान ।एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों ने संस्थागत संस्थानों अर्थात सरकार, सहकारिता समितियों और बैंकों से 15% कर्ज लिया है, जबकि दस हेक्टेयर से अधिक जमीन रखने वाले किसानों ने इन संस्थानों से 79 प्रतिशत कर्ज लिया है। इसका सीधा तात्पर्य है कि छोटे किसान साहूकारों के चंगुल में फंसे हुए हैं।
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम उपायों के बावजूद देश में प्रत्येक कृषक परिवार पर औसतन लगभग 47,000 रुपए का कर्ज होने का अनुमान है। कम जोत के किसान परिवार पर कम कर्ज का भार है, जबकि बड़े किसान परिवारों पर अधिक कर्ज है। कम जमीन वाले 41.9% किसानों पर कर्ज है, जबकि 10 हेक्टेयर से अधिक जमीन वाले 78.7% किसान परिवार कर्जदार हैं। एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान परिवार पर औसतन 31,100 रुपए का कर्ज है, जबकि 10 हेक्टेयर से अधिक जमीन जोतने वाले किसान परिवार लगभग 29,0300 रुपए के कर्जदार हैं। साहूकारों के जाल में फंसे हैं छोटे किसान ।एक हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों ने संस्थागत संस्थानों अर्थात सरकार, सहकारिता समितियों और बैंकों से 15% कर्ज लिया है, जबकि दस हेक्टेयर से अधिक जमीन रखने वाले किसानों ने इन संस्थानों से 79 प्रतिशत कर्ज लिया है। इसका सीधा तात्पर्य है कि छोटे किसान साहूकारों के चंगुल में फंसे हुए हैं।