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- बने ऑक्यूपेशनल थेरेपी मे स्पेशालिस्ट..........
Posted by : achhiduniya
12 July 2016
ऑक्यूपेशनल
थेरेपी एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें छात्रों को संवेदनशील होने
से लेकर वैज्ञानिक नजरिया तक अपनाना पड़ता है, क्योंकि इसमें
उन्हें मरीजों के दुख-दर्द को समझकर उसके हिसाब से उपचार करने की जरूरत होती है।
अच्छी कम्युनिकेशन स्किल, टीम वर्क, मेहनती,
रिस्क उठाने और दबाव को सहन करने की क्षमता जैसे गुण इस प्रोफेशन के
लिए बहुत जरूरी हैं। अधिकांश काम मेडिकल उपकरणों के सहारे होता है, इसके लिए मेडिकल उपकरणों का ज्ञान बहुत जरूरी है। शारीरिक रूप से अशक्त
होने या खिलाड़ियों में आर्थराइटिस तथा न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर उत्पन्न हो जाने पर
ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट की मदद ली जाती है। यही कारण है कि ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट को
ह्यूमन एनॉटॉमी, हड्डियों की संरचना, मसल्स
एवं नर्वस सिस्टम आदि की जानकारी रखनी पड़ती है।
कई बार मानसिक विकार आ जाने पर पेन-पेपर के सहारे मरीजों को समझाया जाता है। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट मरीजों का पूरा रिकॉर्ड अपने पास रखते हैं। इसमें हर आयु-वर्ग के मरीज होते हैं। प्राइवेट सेक्टर में सरकारी अस्पताल वर्तमान समय में ऑक्यूपेशनल थेरेपी सबसे तेजी से उभरते मेडिसिन के क्षेत्रों में से एक है। इसमें शारीरिक व्यायाम अथवा उपकरणों के जरिए कई जटिल रोगों का उपचार किया जाता है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी का सीधा संबंध पैरामेडिकल से है। इसके अंतर्गत शारीरिक तथा विशेष मरीजों की अशक्तता का उपचार किया जाता है, जिसमें स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर के उपचार से लेकर अन्य कई तरह के शारीरिक व्यायाम कराए जाते हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपी से जुड़े कोर्स:- बीएससी इन ऑक्यूपेशनल थेरेपी (ऑनर्स), एमएससी इन फिजिकल एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी,मास्टर ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी से संबंधित बैचलर, मास्टर तथा डिप्लोमा और डॉक्टरल स्तर के कोर्स मौजूद हैं। यदि छात्र बैचलर कोर्स में प्रवेश लेना चाहता है तो उसका फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा बायोलॉजी विषय समूह के साथ बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। बैचलर डिग्री के उपरांत मास्टर और डॉक्टरल प्रोग्राम में दाखिला लिया जा सकता है। कोर्स करने के बाद छह माह की इंटर्नशिप करनी होती है। कई संस्थान अपने यहां प्रवेश देने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं, जिसमें सफल होने के बाद विभिन्न कोर्सों में दाखिला लिया जा सकता है, जबकि कई संस्थान बारहवीं के अंकों के आधार पर प्रवेश देते हैं। इसमें छात्रों को थ्योरी तथा प्रैक्टिकल पर समान रूप से अपना फोकस रखना पड़ता है। कोर्स के दौरान ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट को कई क्लिनिकल तथा पैरा क्लिनिकल विषयों का अध्ययन करना होता है।इसमें मुख्य रूप से बायोकेमिस्ट्री, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, मेडिसिन एवं सर्जरी (मुख्यत: डायग्नोस्टिक) आदि विषय शामिल होते हैं। इसके अलावा इन्हें ऑर्थोपेडिक्स, प्लास्टिक सर्जरी, हैंड सर्जरी, रिमैटोलॉजी, साइकाइट्री आदि के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाती है।
रोजगार की दृष्टि से यह काफी विस्तृत क्षेत्र है। यदि छात्र ने मान्यता प्राप्त संस्थान से कोर्स किया है,तो रोजगार के लिए उसे भटकना नहीं पड़ता है। उसे सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पताल में तुरंत नौकरी मिल जाती है। सबसे ज्यादा जॉब कम्युनिटी मेडिकल हेल्थ सेंटर, डिटेंशन सेंटर, हॉस्पिटल, पॉलीक्लिनिक, साइकाइट्रिक इंस्टीट्यूशन, रिहैबिलिटेशन सेंटर, स्पेशल स्कूल, स्पोर्ट्स टीम में सृजित होती है। एनजीओ भी इसके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं। यदि आप किसी संस्थान से जुड़कर काम नहीं करना चाहते तो स्वतंत्र रूप से काम करने के अलावा अपना सेंटर भी खोल सकते हैं। जहां तक वेतन की बात की जाए तो ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट को काफी आकर्षक वेतन मिलता है। कोर्स समाप्ति के उपरांत उन्हें शुरूआती दौर में ही 20 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं, जबकि दो-तीन वर्ष के अनुभव के बाद यह राशि 35 से 50 हजार रुपए तक पहुंच जाती है।
कई बार मानसिक विकार आ जाने पर पेन-पेपर के सहारे मरीजों को समझाया जाता है। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट मरीजों का पूरा रिकॉर्ड अपने पास रखते हैं। इसमें हर आयु-वर्ग के मरीज होते हैं। प्राइवेट सेक्टर में सरकारी अस्पताल वर्तमान समय में ऑक्यूपेशनल थेरेपी सबसे तेजी से उभरते मेडिसिन के क्षेत्रों में से एक है। इसमें शारीरिक व्यायाम अथवा उपकरणों के जरिए कई जटिल रोगों का उपचार किया जाता है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी का सीधा संबंध पैरामेडिकल से है। इसके अंतर्गत शारीरिक तथा विशेष मरीजों की अशक्तता का उपचार किया जाता है, जिसमें स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर के उपचार से लेकर अन्य कई तरह के शारीरिक व्यायाम कराए जाते हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपी से जुड़े कोर्स:- बीएससी इन ऑक्यूपेशनल थेरेपी (ऑनर्स), एमएससी इन फिजिकल एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी,मास्टर ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी से संबंधित बैचलर, मास्टर तथा डिप्लोमा और डॉक्टरल स्तर के कोर्स मौजूद हैं। यदि छात्र बैचलर कोर्स में प्रवेश लेना चाहता है तो उसका फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा बायोलॉजी विषय समूह के साथ बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। बैचलर डिग्री के उपरांत मास्टर और डॉक्टरल प्रोग्राम में दाखिला लिया जा सकता है। कोर्स करने के बाद छह माह की इंटर्नशिप करनी होती है। कई संस्थान अपने यहां प्रवेश देने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं, जिसमें सफल होने के बाद विभिन्न कोर्सों में दाखिला लिया जा सकता है, जबकि कई संस्थान बारहवीं के अंकों के आधार पर प्रवेश देते हैं। इसमें छात्रों को थ्योरी तथा प्रैक्टिकल पर समान रूप से अपना फोकस रखना पड़ता है। कोर्स के दौरान ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट को कई क्लिनिकल तथा पैरा क्लिनिकल विषयों का अध्ययन करना होता है।इसमें मुख्य रूप से बायोकेमिस्ट्री, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, मेडिसिन एवं सर्जरी (मुख्यत: डायग्नोस्टिक) आदि विषय शामिल होते हैं। इसके अलावा इन्हें ऑर्थोपेडिक्स, प्लास्टिक सर्जरी, हैंड सर्जरी, रिमैटोलॉजी, साइकाइट्री आदि के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाती है।
रोजगार की दृष्टि से यह काफी विस्तृत क्षेत्र है। यदि छात्र ने मान्यता प्राप्त संस्थान से कोर्स किया है,तो रोजगार के लिए उसे भटकना नहीं पड़ता है। उसे सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पताल में तुरंत नौकरी मिल जाती है। सबसे ज्यादा जॉब कम्युनिटी मेडिकल हेल्थ सेंटर, डिटेंशन सेंटर, हॉस्पिटल, पॉलीक्लिनिक, साइकाइट्रिक इंस्टीट्यूशन, रिहैबिलिटेशन सेंटर, स्पेशल स्कूल, स्पोर्ट्स टीम में सृजित होती है। एनजीओ भी इसके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं। यदि आप किसी संस्थान से जुड़कर काम नहीं करना चाहते तो स्वतंत्र रूप से काम करने के अलावा अपना सेंटर भी खोल सकते हैं। जहां तक वेतन की बात की जाए तो ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट को काफी आकर्षक वेतन मिलता है। कोर्स समाप्ति के उपरांत उन्हें शुरूआती दौर में ही 20 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं, जबकि दो-तीन वर्ष के अनुभव के बाद यह राशि 35 से 50 हजार रुपए तक पहुंच जाती है।