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- तय समय पर फ्लैट या मकान का कब्ज़ा नहीं दिया.....बिल्डरों पर कसेगा कानूनी शिकंजा.....
Posted by : achhiduniya
06 July 2016
द महाराष्ट्र ऑनरशिप
फ्लैट एक्ट 1963 और
महाराष्ट्र रीजनल एंड टाउन प्लानिंग एक्ट 1966 के हवाले के
मुताबिक बिल्डर ने अगर तय समय पर फ्लैट का कब्ज़ा नहीं दिया, पास
नक्शे के अनुरूप काम नहीं किया। अनुमति से ज्यादा मंजिल
बनाई। बिल्डिंग पूरी होने पर 4 महीने
के अंदर सोसायटी के लिए आवदेन नहीं दिया। सोसायटी रजिस्ट्रेशन के
बाद 4 महीने के अंदर कन्वेंस नहीं दिया। तो उस बिल्डर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हो सकती है। अक्सर देखा गया है कि जब
फ्लैट मिलने का वक्त आता है तब बिल्डर आज कल कर महीनों, कभी-कभी
तो सालों निकाल देते हैं। बेचारा आम आदमी बिल्डर के दफ्तर का चक्कर लगाता रह जाता
है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। महाराष्ट्र पुलिस ने एक सर्कुलर जारी कर ऐसे बिल्डरों
के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।वही इस तरह के फैसले को महाराष्ट्र
चैंबर ऑफ़ हाउसिंग इंडस्ट्री क्रेडाई के मुताबिक एक प्रोजेक्ट के लिए तमाम सरकारी
विभागों से 50 से 60 परमिशन लेनी पड़ती
है जिसमे 2 से 3 साल लगना आम बात है।
उसके बाद भी अगर बीच में कोई नियम बदलता है तो फिर से सारी कवायद करनी पड़ती है। फिर अकेले बिल्डर को जिम्मेदार ठहराने का मतलब कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री को ख़त्म करना है।बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के मुताबिक मुंबई तक़रीबन 50 हजार बिल्डिंगों में लोग बिना ओकुपशन प्रमाणपत्र के रहते हैं। इसके लिए सिर्फ बिल्डर को जिम्मेदार ठहराना बेमानी है। अगर कोई जिम्मेदार है तो बीएमसी से लेकर दूसरे सरकारी विभाग और नेता हैं जो बिल्डिंग बनाने में 50 तरह के रोड़े अटकाते हैं लेकिन झोपड़ा बनाने की खुली छूट दे रखी है। अब पुलिस के हाथ में बिल्डरों को परेशान करने का नया हथियार दे दिया गया है। बिल्डरों का कहना है कि बिना रेगुलेटरी बॉडी बनाये अचानक से इस तरह का सर्कुलर निकालना ना सिर्फ भवन निर्माण व्यवसाय के लिये नुकसानदेह है बल्कि ग्राहकों के लिए भी घाटे का सौदा है।
उसके बाद भी अगर बीच में कोई नियम बदलता है तो फिर से सारी कवायद करनी पड़ती है। फिर अकेले बिल्डर को जिम्मेदार ठहराने का मतलब कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री को ख़त्म करना है।बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के मुताबिक मुंबई तक़रीबन 50 हजार बिल्डिंगों में लोग बिना ओकुपशन प्रमाणपत्र के रहते हैं। इसके लिए सिर्फ बिल्डर को जिम्मेदार ठहराना बेमानी है। अगर कोई जिम्मेदार है तो बीएमसी से लेकर दूसरे सरकारी विभाग और नेता हैं जो बिल्डिंग बनाने में 50 तरह के रोड़े अटकाते हैं लेकिन झोपड़ा बनाने की खुली छूट दे रखी है। अब पुलिस के हाथ में बिल्डरों को परेशान करने का नया हथियार दे दिया गया है। बिल्डरों का कहना है कि बिना रेगुलेटरी बॉडी बनाये अचानक से इस तरह का सर्कुलर निकालना ना सिर्फ भवन निर्माण व्यवसाय के लिये नुकसानदेह है बल्कि ग्राहकों के लिए भी घाटे का सौदा है।