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- नौकरी वो जो स्वाभिमान व सुकून दे.....
Posted by : achhiduniya
11 July 2016
नौकरी
सिर्फ पेट पालने का जरिया भर नहीं होती। नौकरी हमारा सपना होती है, नौकरी हमारी ख्वाहिश होती है, नौकरी हमारा स्टाइल
स्टेटमेंट होती है, नौकरी हमारी हैसियत होती है, नौकरी हमारी चाहत होती है, नौकरी हमारा मनोविज्ञान
होती है और अंत में नौकरी हमारी जिंदगी का सुकून होती है। कहने का मतलब यह है कि
नौकरी से अनगिनत उम्मीदें, अनगिनत धारणाएं, अनगिनत वजहें जुड़ी होती हैं। सबसे अच्छी नौकरी वह है जो उनकी जिंदगी में
भरपूर सुकून लाए, जो उनकी जिंदगी में शांति का योगदान करे,
जो उनकी जिंदगी को हाय-हाय और मारामारी से बचाए। अलग-अलग खूबियों के
बीच भी नौकरी की अंतत: सबसे बड़ी खूबी यह है कि नौकरी आखिर जिंदगी को सुकून कितना
देती है, तसल्ली कितना देती है।
आमतौर पर लोग हाकिम या लाट साहब वाली नौकरी इसलिए पाना चाहते हैं कि लोगों पर अपना रौब जमा सकें, लोगों पर शासन कर सकें और अपनी आकांक्षाओं के मुताबिक समाज और जीवन में बदलाव कर सकें। वहीं कुछ लोग सीईओ की नौकरी यानी मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी चाहते हैं; क्योंकि उनकी तमन्ना होती है कि लोग नौकरी से उनके स्टेटस को समझें, उनकी कमाई का अनुमान करें ।कुछ देशभक्त किस्म के लोग बचपन से ही बार-बार दोहराते हैं कि मैं सेना या पुलिस में जाना चाहता हूं। जाहिर है वह यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से यह जतलाना चाहते हैं कि वह कितने देशभक्त हैं,लेकिन इन सारी बातों के अलहदा हाल के दशकों में एचआर विशेषज्ञों व मनोवैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकाले हैं उसके मुताबिक लोगों की नजर में सबसे अच्छी नौकरी वह है जो उनकी जिंदगी में भरपूर सुकून लाए, जो उनकी जिंदगी में शांति का योगदान करे, जो उनकी जिंदगी को हाय-हाय और मारामारी से बचाए।
कहने का मतलब यह कि तमाम अलग-अलग खूबियों के बीच भी नौकरी की अंतत: सबसे बड़ी खूबी या बहुमत वाली खूबी यह है कि नौकरी आखिर जिंदगी को सुकून कितना देती है, तसल्ली कितना देती है? यूं तो हर नौकरी की तह में जाएं तो उसका दावा वाजिब लग सकता है कि वह सुकून देती है। क्योंकि किसी भी नौकरी का अस्तित्व अंतत: उसके द्वारा जिंदगी को बेहतर बनाए जाने की श्रेणी पर ही निर्भर है। लेकिन सभी नौकरियों में सुकून की सत्ता अंतर्निहित होने के बावजूद यह भी एक बड़ा और कडुवा सच है कि सभी नौकरियों में एक जैसा सुकून नहीं होता। कुछ में अंतिम नतीजे के रूप में सुकून मिलता है, कुछ नौकरियां ऐसी भी होती हैं, सुकून जिनकी बुनियादी प्रक्रिया में मौजूद होता है या दूसरे शब्दों में कहें तो कुछ नौकरियां हैं, जिनको करते हुए भी लगातार सुकून की अनुभूति होती है।
आमतौर पर लोग हाकिम या लाट साहब वाली नौकरी इसलिए पाना चाहते हैं कि लोगों पर अपना रौब जमा सकें, लोगों पर शासन कर सकें और अपनी आकांक्षाओं के मुताबिक समाज और जीवन में बदलाव कर सकें। वहीं कुछ लोग सीईओ की नौकरी यानी मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी चाहते हैं; क्योंकि उनकी तमन्ना होती है कि लोग नौकरी से उनके स्टेटस को समझें, उनकी कमाई का अनुमान करें ।कुछ देशभक्त किस्म के लोग बचपन से ही बार-बार दोहराते हैं कि मैं सेना या पुलिस में जाना चाहता हूं। जाहिर है वह यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से यह जतलाना चाहते हैं कि वह कितने देशभक्त हैं,लेकिन इन सारी बातों के अलहदा हाल के दशकों में एचआर विशेषज्ञों व मनोवैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकाले हैं उसके मुताबिक लोगों की नजर में सबसे अच्छी नौकरी वह है जो उनकी जिंदगी में भरपूर सुकून लाए, जो उनकी जिंदगी में शांति का योगदान करे, जो उनकी जिंदगी को हाय-हाय और मारामारी से बचाए।
कहने का मतलब यह कि तमाम अलग-अलग खूबियों के बीच भी नौकरी की अंतत: सबसे बड़ी खूबी या बहुमत वाली खूबी यह है कि नौकरी आखिर जिंदगी को सुकून कितना देती है, तसल्ली कितना देती है? यूं तो हर नौकरी की तह में जाएं तो उसका दावा वाजिब लग सकता है कि वह सुकून देती है। क्योंकि किसी भी नौकरी का अस्तित्व अंतत: उसके द्वारा जिंदगी को बेहतर बनाए जाने की श्रेणी पर ही निर्भर है। लेकिन सभी नौकरियों में सुकून की सत्ता अंतर्निहित होने के बावजूद यह भी एक बड़ा और कडुवा सच है कि सभी नौकरियों में एक जैसा सुकून नहीं होता। कुछ में अंतिम नतीजे के रूप में सुकून मिलता है, कुछ नौकरियां ऐसी भी होती हैं, सुकून जिनकी बुनियादी प्रक्रिया में मौजूद होता है या दूसरे शब्दों में कहें तो कुछ नौकरियां हैं, जिनको करते हुए भी लगातार सुकून की अनुभूति होती है।