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- फिल्म समीक्षा 'ग्रेट ग्रैंड मस्ती' कहानी सारांश.....
Posted by : achhiduniya
16 July 2016
कहानी शुरू होती है, तीन दोस्तों से - अमर, प्रेम और मीत की तीनों बड़े ही
अच्छे हैं, लेकिन घर के हालातों की वजह से बेचारे अपनी
पत्नियों के साथ सेक्स नहीं कर सकते। रितेश की सास (उषा नाडकर्णी) उसे अपनी पत्नी
के साथ एकांत में रहने ही नहीं देती। आफताब अपनी खूबसूरत रिश्तेदार की वजह से
पत्नी के साथ समय नहीं बिता पाता और विवेक की प्राब्लम तो बड़ी ही अजीब है। उसकी
पत्नी के साथ उसका एक जुड़वां भाई है। विवेक जब भी प्यार से पत्नी को छूता है तो
उसका साला (पत्नी का जुड़वां भाई) भी रोमांटिक होने लगता है। इस कारण उसकी सेक्स
लाइफ बड़ी निराशाजनक हो जाती है। तीनों कभी कामवाली बाई तो कभी पत्नी की सहेलियों
की ओर देख-देखकर परेशान हो जाते हैं।
एक दिन वे तय करते हैं कि उन्हें लाइफ में अब कुछ मस्ती चाहिए। इसलिए वे रितेश के गांव चले जाते हैं, जहां उसके पुरखों की एक हवेली है। इस हवेली में एक भूत (उर्वशी रौतेला) रहता है। लेकिन तीनों में से किसी एक आशिक के शहीद होने से पहले ही उनकी पत्नियां और उनके रिश्तेदार वहां पहुंच जाते हैं। पति को भूत से बचाने के लिए बेचारी पत्नियां करवा चौथ का व्रत भी रखती हैं। रितेश-विवेक-आफताब की टाइमिंग की वजह से कई बेमतलब जोक्स चलते रहते हैं। उर्वशी रौतेला केवल अंग प्रदर्शन के लिए ही इस फिल्म में है। वास्तव में देखा जाए तो इस फिल्म में कहानी, उद्देश्य, लॉजिक आदि खोजने का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि मूलत: ये जॉनर इसकी चौखट में कहीं भी फिट नहीं बैठते। सेक्स कॉमेडी फिल्में ऐसी ही होती हैं और वे जितनी अश्लील होती हैं, उतनी ही अच्छी भी होती हैं। मूलत: ऐसी फिल्मों में घटिया मजाक होता है, इसलिए ऐसी फिल्मों से बौद्धिक लेवल पर ज्यादा उम्मीद करना गलत होगा। सेक्स कॉमेडी और अंगप्रदर्शन के मामले में इसमें कोई कंजूसी नहीं की गई है।
इसका श्रेय लेखक तुषार हिरानंदानी, पटकथा लेखक आकाश कौशिक और संवाद लेखक मधुर शर्मा को दिया जाना चाहिए। वाहियात और अश्लील जोक्स - दूध, कंडोम, वायग्रा, केले आदि पर काफी गहन अध्ययन किया गया है। रितेश देशमुख द्वारा पैंट उतारकर उषा नाडकर्णी के साथ रोमांस करने की कल्पना तो इतनी ज्यादा डरावनी है कि उर्वशी रौतेला का भूत का किरदार भी इसके सामने फीका लगता है। हमेशा सच बोलना चाहिए, पत्नी के साथ फेथफुल रहना चाहिए। करवा चौथ का व्रत करना चाहिए आदि आत्मसात करने लायक कई बातें इस फिल्म में हैं। सितारे:-विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख, आफताब शिवदासानी, उर्वशी रौतेला और अन्य। डायरेक्टर:- इंदर कुमार,जॉनर:- एडल्ट कॉमेडी फिल्म 'ग्रेट ग्रैंड मस्ती' काफी इम्पोटर्रट फिलोसॉफी सिखा जाती है।
एक दिन वे तय करते हैं कि उन्हें लाइफ में अब कुछ मस्ती चाहिए। इसलिए वे रितेश के गांव चले जाते हैं, जहां उसके पुरखों की एक हवेली है। इस हवेली में एक भूत (उर्वशी रौतेला) रहता है। लेकिन तीनों में से किसी एक आशिक के शहीद होने से पहले ही उनकी पत्नियां और उनके रिश्तेदार वहां पहुंच जाते हैं। पति को भूत से बचाने के लिए बेचारी पत्नियां करवा चौथ का व्रत भी रखती हैं। रितेश-विवेक-आफताब की टाइमिंग की वजह से कई बेमतलब जोक्स चलते रहते हैं। उर्वशी रौतेला केवल अंग प्रदर्शन के लिए ही इस फिल्म में है। वास्तव में देखा जाए तो इस फिल्म में कहानी, उद्देश्य, लॉजिक आदि खोजने का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि मूलत: ये जॉनर इसकी चौखट में कहीं भी फिट नहीं बैठते। सेक्स कॉमेडी फिल्में ऐसी ही होती हैं और वे जितनी अश्लील होती हैं, उतनी ही अच्छी भी होती हैं। मूलत: ऐसी फिल्मों में घटिया मजाक होता है, इसलिए ऐसी फिल्मों से बौद्धिक लेवल पर ज्यादा उम्मीद करना गलत होगा। सेक्स कॉमेडी और अंगप्रदर्शन के मामले में इसमें कोई कंजूसी नहीं की गई है।
इसका श्रेय लेखक तुषार हिरानंदानी, पटकथा लेखक आकाश कौशिक और संवाद लेखक मधुर शर्मा को दिया जाना चाहिए। वाहियात और अश्लील जोक्स - दूध, कंडोम, वायग्रा, केले आदि पर काफी गहन अध्ययन किया गया है। रितेश देशमुख द्वारा पैंट उतारकर उषा नाडकर्णी के साथ रोमांस करने की कल्पना तो इतनी ज्यादा डरावनी है कि उर्वशी रौतेला का भूत का किरदार भी इसके सामने फीका लगता है। हमेशा सच बोलना चाहिए, पत्नी के साथ फेथफुल रहना चाहिए। करवा चौथ का व्रत करना चाहिए आदि आत्मसात करने लायक कई बातें इस फिल्म में हैं। सितारे:-विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख, आफताब शिवदासानी, उर्वशी रौतेला और अन्य। डायरेक्टर:- इंदर कुमार,जॉनर:- एडल्ट कॉमेडी फिल्म 'ग्रेट ग्रैंड मस्ती' काफी इम्पोटर्रट फिलोसॉफी सिखा जाती है।


