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- कौन थे कुंभकर्ण......?
Posted by : achhiduniya
24 March 2017
आज
का बच्चा–बच्चा रावण के बारे मे जानता है
क्योकि हर साल विजय दशमी यानी दशहरे के दिन उसे जलाया जाता है। जिसे असत्य पर सत्य
की जीत का प्रतीक माना जाता है। इतिहास मे रावण के भाई कुंभकर्ण के बारे में भी कई ऐसी बाते है जिसे जानना
बेहद जरूरी है ऐसा कहा जाता है कि वह 6
महीने सोता था। कुंभकर्ण का व्यक्तित्व स्वयं इतना रोचक था उससे
जुड़ी हर बात हर कहानी सचमुच हैरान करने वाली है। कुंभकर्ण के इस पहलू से तो हर कोई
वाकिफ है कि कुंभकर्ण ने ब्रह्माजी से 6 महीने लंबी नींद का
वरदान मांगा था। इस वरदान को ब्रह्माजी ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया था और उसी दिन
से कुंभकर्ण 6 महीने की नींद में चला गया था। लेकिन सवाल यह
है कि एक परम ज्ञानी महर्षि सोकर, प्रमादी होकर अपना जीवन
क्यों बिताएगा।
कई शोधकारों ने कुंभकर्ण की इस लंबी नींद का राज़ जानने की कोशिश की उनके अनुसार कुंभकर्ण एक वैज्ञानिक था। जिसे अपने अत्याधुनिक व अकल्पनीय शोधों के लिए गोपनीय स्थान पर जाना पड़ता था। स्वयं महर्षि वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ रामायण में कुछ ऐसे दिव्यास्त्रों का जिक्र किया है, जिनकी विनाश क्षमता बहुत ज्यादा थी। इसे लेकर शोधकर्ताओं का दावा है कि ये सभी दिव्यास्त्र कुंभकर्ण की महान बुद्धि के परिचायक थे। हालांकि इन सब वक्तव्यों को शोधकर्ताओं ने किसी पुख्ता आधार पर पुष्ट नहीं किया है और न ही इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी भौतिक साक्ष्य का सहारा लिया है।
किंतु इसके बावज़ूद उनके ऐसे कथन कुंभकर्ण की विशेषताओं के बारे में बताते हैं। कुछ शोधकर्ताओं ने ये भी दावा किया है कि रावण ने स्वचालित हथियार व दिव्यास्त्र सहित कई विमान भी कुंभकर्ण की सहायता से हासिल किए थे। कुछ लोग तो ये भी कहते हैं, रामायण में भगवान शिव के जिस पुष्पक विमान का जिक्र आता है और जिसे रावण ने शिव से मांग लिया था, उसकी गति और बैठने के स्थान को लेकर कुंभकर्ण ने कई प्रयोग किये थे वह भी कुंभकर्ण ने ही बनवाया था। अतुलनीय रूप से इन विमानों की क्षमता आज के वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल देती है।
इससे हटकर कुछ शोधकर्ता ये दावा भी करते हैं कि कुंभकर्ण की वैज्ञानिक प्रयोगशाला वर्तमान के किसी लैटिन अमेरिकी देश में थी।जहां जाने व लौटने के लिए वह स्वयं के बनाए अत्याधुनिक विमानों का इस्तेमाल करता था। यदि इसे केवल कपोल कथा न माना जाए तो इस तथ्य को स्वीकार करने में कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए कि कुंभकर्ण की वैज्ञानिक क्षमता अद्भुत थी तथा वह तत्कालीन विश्व का महानतम शोधकर्ता था।
कई शोधकारों ने कुंभकर्ण की इस लंबी नींद का राज़ जानने की कोशिश की उनके अनुसार कुंभकर्ण एक वैज्ञानिक था। जिसे अपने अत्याधुनिक व अकल्पनीय शोधों के लिए गोपनीय स्थान पर जाना पड़ता था। स्वयं महर्षि वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ रामायण में कुछ ऐसे दिव्यास्त्रों का जिक्र किया है, जिनकी विनाश क्षमता बहुत ज्यादा थी। इसे लेकर शोधकर्ताओं का दावा है कि ये सभी दिव्यास्त्र कुंभकर्ण की महान बुद्धि के परिचायक थे। हालांकि इन सब वक्तव्यों को शोधकर्ताओं ने किसी पुख्ता आधार पर पुष्ट नहीं किया है और न ही इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी भौतिक साक्ष्य का सहारा लिया है।
किंतु इसके बावज़ूद उनके ऐसे कथन कुंभकर्ण की विशेषताओं के बारे में बताते हैं। कुछ शोधकर्ताओं ने ये भी दावा किया है कि रावण ने स्वचालित हथियार व दिव्यास्त्र सहित कई विमान भी कुंभकर्ण की सहायता से हासिल किए थे। कुछ लोग तो ये भी कहते हैं, रामायण में भगवान शिव के जिस पुष्पक विमान का जिक्र आता है और जिसे रावण ने शिव से मांग लिया था, उसकी गति और बैठने के स्थान को लेकर कुंभकर्ण ने कई प्रयोग किये थे वह भी कुंभकर्ण ने ही बनवाया था। अतुलनीय रूप से इन विमानों की क्षमता आज के वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल देती है।
इससे हटकर कुछ शोधकर्ता ये दावा भी करते हैं कि कुंभकर्ण की वैज्ञानिक प्रयोगशाला वर्तमान के किसी लैटिन अमेरिकी देश में थी।जहां जाने व लौटने के लिए वह स्वयं के बनाए अत्याधुनिक विमानों का इस्तेमाल करता था। यदि इसे केवल कपोल कथा न माना जाए तो इस तथ्य को स्वीकार करने में कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए कि कुंभकर्ण की वैज्ञानिक क्षमता अद्भुत थी तथा वह तत्कालीन विश्व का महानतम शोधकर्ता था।