- Back to Home »
- Religion / Social »
- राम हमारे पूर्वज हैं....मुस्लिम महिला नाजनीन अंसारी
Posted by : achhiduniya
24 October 2017
भगवान शिव भोले बाबा की नगरी काशी में दिवाली की पूर्व
संध्या पर कुछ मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम की तस्वीर के सामने आरती उतारी
थी। महिलाओं ने तस्वीर के समक्ष दीप भी जलाए थे। जिसके बाद देवबंदी उलेमा ने फतवा
जारी कर महिलाओं को इस्लाम से खारिज कर दिया था। उलेमा ने महिलाओं को अल्लाह से
माफी मांगने और फिर से कलमा पढ़ इस्लाम कबूलने की हिदायत दी थी। फतवे के बाद
मुस्लिम महिलाओं ने इस पर काफी नाराजगी जताई। श्रीराम की आरती करने वाली मुस्लिम
महिलाओं के खिलाफ दारुल उलूम देवबंद द्वारा फतवा जारी करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दारुल उलूम
कोई ठेकेदार नहीं है। उनके पास इस तरह का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।
श्रीराम हमारे पूर्वज हैं और उनकी आराधना करना कहीं से भी गलत नहीं है।महिलाओं का
कहना है कि वह 2006 से श्रीराम की आरती करती आ रहीं हैं।
उन्हें लगातार धमकी और फतवे मिलते रहते हैं। महिलाओं का कहना है कि वह हिंदुओं के
साथ मिलकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप भगवान राम की पूजा करती हैं। उन्होंने कहा,
'पूर्वज कभी नहीं बदलते और राम हमारे पूर्वज हैं। इससे पहले दारुल
उलूम, देवबंद ने फतवा जारी करके सोशल मीडिया पर मुस्लिम
पुरुषों और महिलाओं की फोटो अपलोड करने को नाजायज बताया था। दारुल उलूम देवबंद से
एक शख्स ने यह सवाल किया था कि क्या फेसबुक, व्हाट्सअप एवं
सोशल मीडिया पर अपनी (पुरुष) या महिलाओं की फोटो अपलोड करना जायज है। इसके जवाब
में फतवा जारी करके यह कहा था कि मुस्लिम महिलाओं एवं पुरुषों को अपनी या परिवार
के फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करना जायज नहीं है, क्योंकि
इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नाजनीन
ने सरकार से दारुल उलूम की फंडिग आदि की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि 2014
में सुप्रीम कोर्ट ने फतवे पर रोक लगा दी थी, ऐसे
में दारुल किसी के खिलाफ फतवा कैसे जारी कर सकता है। दारुल पर सुप्रीम कोर्ट की
अवहेलना करने का भी मामला बनता है। नाजनीन काशी की पहली
ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण
के लिए 501 रुपये का चंदा भी दिया था।