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- अयोध्या मसला आपसी समझौते से हल नहीं हुआ तो देश मे सीरिया जैसा माहौल हो सकता है......श्री श्री रविशंकर
अयोध्या मसला आपसी समझौते से हल नहीं हुआ तो देश मे सीरिया जैसा माहौल हो सकता है......श्री श्री रविशंकर
Posted by : achhiduniya
06 March 2018
श्री श्री रविशंकर ने
पर्सनल लॉ बोर्ड को अपने खत में उन्होने लिखा की अगर हिंदू जीते तो मुसलमानों का
न्यायपालिका से भरोसा टूट सकता है अगर मुस्लिम जीते तो हिंदुओं का दिल टूटेगा और
भारी साम्प्रदायिक तबाही हो सकती है। अगर जमीन का एक हिस्सा मस्जिद को मिल जाए तो
वहां नमाज पढ़वाने को 50 हजार पुलिस लगानी होगी और अगर सरकार कानून बनाकर मंदिर बना
दे तो भी नतीजे भयानक हो सकते है इसलिए दोनों क़ौम जल्दी करे वरना गृह युद्ध हो
जाएगा। हमने यह सीरिया, इराक़ और ईरान में देखा है। अगर
अयोध्या मसला समझौते से हल नहीं हुआ तो देश में गृह युद्ध और सीरिया जैसा माहौल हो सकता है। श्री श्री ने पर्सनल लॉ बोर्ड को लिखे खत में
इस तरह उन्हें आगाह किया है। सीरिया के
उदाहरण पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर असदुद्दीन ओवैसी ने
तीखी प्रतिक्रिया दी है।
ओवैसी ने कहा कि श्री श्री भारत को सीरिया जैसा बनाने की बात कह रहे है बीजेपी इस पर क्यों खुश है? पर्सनल लॉ बोर्ड के दूसरे सदस्य मौलाना खालिद रशीद कहते हैं कि भारत और सीरिया में बहुत फ़र्क़ है। भारत कभी सीरिया नहीं बन सकता। ऐसा शक करना भी सही नहीं है। अयोध्या मसले पर जब हाईकोर्ट का फैसला आया तो उस पर एक पत्ता तक नहीं हिला। इसी तरह तीन तलाक पर अदालत के फैसले को पूरे देश के मुसलमानों ने माना। श्रीश्री रविशंकर के खत पर पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह कहकर एतराज़ जताया है कि अगर समझौते में यह शर्त हो कि आप मस्जिद हटा लीजिए तो फिर यह समझौता कहां हुआ?
ओवैसी ने कहा कि श्री श्री भारत को सीरिया जैसा बनाने की बात कह रहे है बीजेपी इस पर क्यों खुश है? पर्सनल लॉ बोर्ड के दूसरे सदस्य मौलाना खालिद रशीद कहते हैं कि भारत और सीरिया में बहुत फ़र्क़ है। भारत कभी सीरिया नहीं बन सकता। ऐसा शक करना भी सही नहीं है। अयोध्या मसले पर जब हाईकोर्ट का फैसला आया तो उस पर एक पत्ता तक नहीं हिला। इसी तरह तीन तलाक पर अदालत के फैसले को पूरे देश के मुसलमानों ने माना। श्रीश्री रविशंकर के खत पर पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह कहकर एतराज़ जताया है कि अगर समझौते में यह शर्त हो कि आप मस्जिद हटा लीजिए तो फिर यह समझौता कहां हुआ?

