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- 91 साल से आज भी हाथ से लिखा जाता है यह अखबार....
Posted by : achhiduniya
16 April 2018
दुनिया का ऐसा पहला अखबार है जो 91 साल का हो चुका है और आज भी हाथ से लिखा जाता है। द मुसलमान को 1927 में आरिफुल्लाह के दादा सैयद अजातुल्ला ने शुरू किया था। उन्होंने महसूस किया था कि उस वक़्त मुसलमानों के लिए कोई आवाज़ उठाने वाला नहीं था, तब उन्हें लगा कि मुसलमानों की भी एक आवाज होनी चाहिए। चेन्नई की प्रतिष्ठित वाल्लाजह मस्जिद के बगल में एक छोटी सी तंग गली में स्थित इस अख़बार का कार्यालय है। जब आप 'द मुसलमान' के दफ्तर में जायेंगे तो आपको रीड कलम, स्याही की बोतलें, कागज के ढेर दिखाई देंगे, जिनपर सबसे पहले आपकी नजरें जाती हैं। अख़बार शुरू होने के बाद से तीन संपादकों को देखा है। अजातुल्ला उनके पुत्र सैयद फजलुल्ला और अब आरिफुल्ला। चार पेज के ब्रॉडशीट में लगभग सभी लेखों का चयन अरिफुल्ला द्वारा खुद किया जाता है। उनका कहना है कि वह देश के विभिन्न हिस्सों में उनके कई पत्रकार हैं, लेकिन वह द इकोनोमिस्ट की तरह बाईलाइंस नहीं लेते हैं।
दो अनुवादक हैं जो उर्दू में खबरों का अनुवाद करते हैं। पेन का इस्तेमाल करते हुए प्रत्येक समाचार आइटम को ब्रॉडशीट में लिखा जाता है। सुलेख वास्तव में कागज की आत्मा है लेकिन तकनीक के आगमन के साथ पहले के समाचार पत्रों और उर्दू प्रकाशन गृहों में कार्यरत कैटिब, अनावश्यक हो गए हैं। श्रीनगर का औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान उन सरकारी संस्थानों में से एक जहां उर्दू सुलेख को पढ़ाया जाता था। आखिर में पिछले मई में इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया था। अरिफुल्ला स्वीकार करते हैं कि अब उर्दू के लिए आजकल कुशल लेखकों को ढूंढ़ना एक चुनौती है। कड़ी मेहनत के के बाद खबर में विज्ञापनों को भी जोड़ दिया जाता है। कागज 1 बजे दोपहर के आसपास प्रिंट होता है और शाम तक अपने 21,000 पाठकों में से अधिकांश तक पहुंच जाता है। अख़बार की कीमत 75 पैसे है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अख़बार आज भी चल रहा है। [आभार]

