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- तोते की सूझ-बुझ...परमात्मा का मोबाइल लगाया कभी...?
Posted by : achhiduniya
23 April 2018
एक सेठ और सेठानी रोज सत्संग में जाते थे। सेठजी के एक घर एक पिंजरे में तोता पाला हुआ था। तोता एक दिन पूछता हैं कि सेठजी आप रोज कहाँ जाते है। सेठजी बोले कि सत्संग में ज्ञान सुनने जाते है। तोता कहता है, सेठजी संत महात्मा से एक बात पूछना कि में आजाद कब होऊंगा। सेठ जी सत्संग खत्म होने के बाद संत से पूछते है कि महाराज हमारे घर जो तोता है उसने पूछा हैं की वो आजाद कब होगा? संत जी ऐसा सुनते हीं बेहोश होकर गिर जाते है। सेठजी संत की हालत देख कर चुप-चाप वहाँ से निकल जाते है। घर आते ही तोता सेठ जी से पूछता है कि सेठ जी संत ने क्या कहा। सेठ जी कहते है कि तेरे किस्मत ही खराब है जो तेरी आजादी का पूछते ही वो बेहोश हो गए। तोता कहता है कोई बात नही सेठजी में सब समझ गया। दूसरे दिन सेठजी सत्संग में जाने लगते है तब तोता पिंजरे में जानबूझ कर बेहोश होकर गिर जाता हैं।
सेठजी उसे मरा हुआ मानकर जैसे हीं उसे पिंजरे से बाहर निकालते है, तो वो उड़ जाता है। सत्संग जाते ही संत सेठजी को पूछते है कि कल आप उस तोते के बारे में पूछ रहे थे ना अब वो कहाँ हैं। सेठजी कहते हैं, हाँ महाराज आज सुबह-सुबह वो जानबुझ कर बेहोश हो गया। मैंने देखा की वो मर गया है इसलिये मैंने उसे जैसे ही बाहर निकाला तो वो उड़ गया। तब संत ने सेठ जी से कहा की देखो तुम इतने समय से सत्संग सुनकर भी आज तक सांसारिक मोह-माया के पिंजरे में फंसे हुए हो और उस तोते को देखो बिना सत्संग में आये मेरा एक इशारा समझ कर आजाद हो गया। इस कहानी से तात्पर्य ये है कि हम सत्संग में तो जाते हैं ज्ञान की बाते करते हैं या सुनते भी हैं पर हमारा मन हमेशा सांसारिक बातों में हीं उलझा रहता हैं। सत्संग में भी हम सिर्फ उन बातों को पसंद करते है जिसमे हमारा स्वार्थ सिद्ध होता हैं। जबकि सत्संग जाकर हमें सत्य को स्वीकार कर सभी बातों को महत्व देना चाहिये और जिस असत्य, झूठ और अहंकार को हम धारण किये हुए हैं उसे साहस के साथ मन से उतार कर सत्य को स्वीकार करना चाहिए।
(1) " परमात्मा " का नम्बर कभी " एंगेज " नही आता चाहे एक साथ लाखो करोड़ो लोग बात करे...। (2) " परमात्मा " का नम्बर कभी " स्विच ओफ " नही होता चाहे कितनी ही देर बात करे... । (3) " परमात्मा " का नम्बर कभी " कवरेज छेत्र "के बाहर नही आता चाहे आप कही भी चले जाए । सब जगह इसका ' फुल नेटवर्क ' आता है...। (4) " परमात्मा " से कितनी भी बात कर ले आपकी बैटरी डिस्चार्ज नही होगी बल्कि जितनी बात करेंगे उतनी ही फुल चार्ज होगी...। (5) " परमात्मा " से बात करने के लिए सब जगह रोमिग फ्री है । हम ज्ञान की कितनी भी बातें करे या सतसंग और कितने भी प्रवचन सुने,अगर हमारे अंदर प्रेम और विनम्रता नहीं है,तो हम उस वृक्ष के भांती है,जिस तरह सुखा वृक्ष हरियाली के बिना होता है।


