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- शरीर के साथ आत्मा की भी खुराक विश्व की सबसे बड़ी लंगर सेवा हरिमंदिर साहिब..गोल्डन टेंपल
Posted by : achhiduniya
30 May 2018
सिक्ख गुरुओं का ये पहला सन्देश है की प्रथ्वी पे कोई भी
जिव आत्मा भूखी ना रहे। पहले भूखे जीव को भोजन पश्चात भजन। इस महान प्रेरणादायी लंगर
सेवा और सन्देश को देश भर में सब को बताये जो वास्तव में तारीफ़ के काबिल है। एक अनुमान
के मुताबिक़ हरिमंदिर साहिब..गोल्डन टेंपल मे 1 लाख श्रद्धालु रोजाना देश विदेश से यहां दर्शनार्थ
आते हैं और लंगर प्रसाद ग्रहण( छकते ) करते हैं। साल दर साल जब से हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारे
का निर्माण हुआ है लगभग 450 साल तब से ही ये सेवा अनवरत जारी
है।
ये अपने आप में विश्व रिकार्ड है और गिनीज बुक में दर्ज है। यह सिखों के पवित्र स्थल का वह निशुल्क रसोई घर है जहाँ एक लाख (1,00,000) लोग प्रति दिन लंगर छकते है। भारत का पहला ऐसा मुफ्त रसोई घर जहाँ 2 लाख (2,00,000) रोटियाँ और 1.5 टन दाल रोज़ाना बनती है। 2 लाख रोटियाँ और 1.5 टन दाल का लंगर तकरीबन 1लाख संगत एवं श्रद्धालुओं द्वारा छका जाता है। हर रोज़ इतना लंगर उत्पादन और छकने वाला यह आंकड़ा पश्चिमी भारत के अमृतसर शहर के पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब के इस निशुल्क रसोई घर को सब श्रेणियों से महान एवं श्रेष्ठ रखता है।
यह आंकड़ा विशेष मौकों एवं छुट्टियों के दिनों में दो गुना भी हो जाता है। परन्तु लंगर में कभी कमी नहीं आती। सामान्य तौर पर लंगर में लगने वाली सामग्री 7000 किलो आटा 1200 किलो चावल 1300 किलो दाल 500 किलो शुद्ध देसी घी रोज़ाना इस्तेमाल होता है। इस रसोई घर में लंगर बनाने के लिए तरह तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लकड़ी का LPG गैस का और इलेक्ट्रॉनिक रोटी बनाने की मशीन का अनुमानत 100 सिलिंडर एवं 500 किलो लकड़ी प्रति दिन इस्तेमाल होती है
एवं तकरीबन 450 सेवादार इस निशुल्क रसोई घर में सेवा करते है। जिसमे अन्य बाहर से आयी संगत भी सेवा में लग जाती है जिसकी संख्या सैंकड़ों में होती है। इस सेवा के अंतर्गत सब्जियें साफ़ करना उन्हें छिलना,काटना व धोना, इसके साथ ही हजारो श्रद्धालुओं द्वारा जुठे बर्तनों के सफाई की सेवा बड़े चाव व श्रद्धा से की जाती है। इस रसोई घर का सालाना बजट हजारों करोड़ो में है। [आभार]
ये अपने आप में विश्व रिकार्ड है और गिनीज बुक में दर्ज है। यह सिखों के पवित्र स्थल का वह निशुल्क रसोई घर है जहाँ एक लाख (1,00,000) लोग प्रति दिन लंगर छकते है। भारत का पहला ऐसा मुफ्त रसोई घर जहाँ 2 लाख (2,00,000) रोटियाँ और 1.5 टन दाल रोज़ाना बनती है। 2 लाख रोटियाँ और 1.5 टन दाल का लंगर तकरीबन 1लाख संगत एवं श्रद्धालुओं द्वारा छका जाता है। हर रोज़ इतना लंगर उत्पादन और छकने वाला यह आंकड़ा पश्चिमी भारत के अमृतसर शहर के पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब के इस निशुल्क रसोई घर को सब श्रेणियों से महान एवं श्रेष्ठ रखता है।
यह आंकड़ा विशेष मौकों एवं छुट्टियों के दिनों में दो गुना भी हो जाता है। परन्तु लंगर में कभी कमी नहीं आती। सामान्य तौर पर लंगर में लगने वाली सामग्री 7000 किलो आटा 1200 किलो चावल 1300 किलो दाल 500 किलो शुद्ध देसी घी रोज़ाना इस्तेमाल होता है। इस रसोई घर में लंगर बनाने के लिए तरह तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लकड़ी का LPG गैस का और इलेक्ट्रॉनिक रोटी बनाने की मशीन का अनुमानत 100 सिलिंडर एवं 500 किलो लकड़ी प्रति दिन इस्तेमाल होती है
एवं तकरीबन 450 सेवादार इस निशुल्क रसोई घर में सेवा करते है। जिसमे अन्य बाहर से आयी संगत भी सेवा में लग जाती है जिसकी संख्या सैंकड़ों में होती है। इस सेवा के अंतर्गत सब्जियें साफ़ करना उन्हें छिलना,काटना व धोना, इसके साथ ही हजारो श्रद्धालुओं द्वारा जुठे बर्तनों के सफाई की सेवा बड़े चाव व श्रद्धा से की जाती है। इस रसोई घर का सालाना बजट हजारों करोड़ो में है। [आभार]