- Back to Home »
- Property / Investment »
- कितना सुरक्षित है आपका पैसा,जाने क्या है एफआरडीआई बिल और बेल-इन......?
Posted by : achhiduniya
18 July 2018
1960 से रिजर्व बैंक के अधीन डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन काम कर रहा है। एफआरडीआई बिल आने से सारे अधिकार वित्त पुनर्संचरना निगम को मिल जाएंगे। बैंक या वित्तीय संस्थान के दिवालिए होने की सूरत में निगम ही ये फैसला करेगा कि जमाकर्ता को मुआवजा दिया जाए या नहीं और अगर दिया जाए तो कितना? सरकार ने यह बिल बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया था। इसके तहत जब बैंक की कारोबार करने की क्षमता खत्म हो जाती और वह अपने पास जमा आम लोगों का धन लौटा नहीं पाता, तो बिल बैंक को इस संकट से उबारता. इस बिल में 'बेल इन' का प्रस्ताव दिया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार बिल को रद करने के लिए कैबिनेट में जल्द प्रस्ताव आएगा।
अगर प्रस्ताव लागू होता तो बैंक में जमा धन पर जमाकर्ता से ज्यादा बैंक का अधिकार होता। बेल इन के तहत बैंक चाहे तो खराब वित्तीय स्थति का हवाला देकर जमा पैसे लौटाने से इनकार भी कर सकते थे। बेल-इन का अर्थ है अपने नुकसान की भरपाई कर्जदारों और जमाकर्ताओं के धन से की जाए। इस बिल में यह प्रस्ताव आने से बैंकों को भी यह अधिकार मिल जाता। मौजूदा समय में जो नियम-कानून हैं, उसके मुताबिक अगर कोई बैंक या वित्तीय संस्थान दिवालिया होता है तो जनता को एक लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलता है।
केंद्र सरकार ने फाइनेंशियल रेजोल्युशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल-2017 को छोड़ने का फैसला किया है। बिल को लेकर संदेह था कि यदि यह पास हो जाता तो बैंक में जमा धन पर जमाकर्ता का हक खत्म हो सकता था। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बैंक यूनियनों और पीएसयू बीमा कंपनियों के विरोध के बाद इस बिल को वापस लेने का फैसला किया है। इस बिल से बैंकों को अधिकार मिल जाता कि वह अपनी वित्तीय स्थति बिगड़ने पर जमाकर्ता का जमा धन लौटाने से इनकार कर दें और इसके बदले बॉन्ड, सिक्योरिटी या शेयर दे दें।