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- क्या है मॉब लिंचिंग क्यो सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती....?
Posted by : achhiduniya
17 July 2018
मॉब लिंचिंग को भीड़तंत्र भी कह सकते है। एक व्यक्ति या किसी विशेष समुदाय द्वारा हिंसा को भड़काने व लोगो को उस हिंसा के प्रति उग्र बनाने के लिए किए गए प्रयास चाहे वो सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप पर संदेश वायरल कर फैलाई गई झूठी खबर हो सकती है। मॉब लिंचिंग और गोरक्षकों द्वारा हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई नागरिक अपने हाथ में क़ानून नहीं ले सकता। ये राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि वो क़ानून व्यस्था बनाए रखें। सुप्रीम कोर्ट ने आज मॉब लिंचिंग को एक अलग अपराध की श्रेणी में रखने की बात है और सरकार से कहा है कि इसकी रोक थाम के लिए वो एक नया क़ानून बनाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोई भी नागरिक अपने आप में क़ानून नहीं बन सकता है। लोकतंत्र में भीड़तंत्र की इजाज़त नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया कि वो संविधान के मुताबिक काम करें। तीन न्यायाधीश वालों खंडपीठ के नेतृत्व में भारत के चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, भय और अराजकता के मामले में, राज्य को सकारात्मक कार्य करना पड़ता है। हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने कहा, लोकतंत्र के भयानक कृत्यों को एक नया मानदंड बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और इसे सख्ती से दबाया जाना चाहिए।