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राजनीति का अपराधीकरण खतरनाक है चुनाव से पहले अपनी-अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवारों की सारी जानकारी डाले राजनीतिक पार्टियां….सुप्रीम कोर्ट
Posted by : achhiduniya
25 September 2018
वकील अश्विनी उपाध्याय ने दागी नेताओं के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। अपने याचिका में अश्विनी ने कहा था कि साल 2014 में 34 फीसदी सांसद ऐसे संसद पहुंचे जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है। उन्होंने कोर्ट से ये मांगा की थी कि जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय हो गया हो और पांच साल या उससे ज्यादा सजा का प्रावधान हो तो उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए। साल 2016 के मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को विचार के लिए भेजा था।जिस का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनाव लड़ने से रोक वाली याचिका पर फैसला सुनते हुए दागी नेताओं के चुनाव लड़ने से रोक पर इनकार कर दिया है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरिमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की।
इस पर सुनवाई करके पांच जजों की पीठ ने अगस्त में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनता हुए कहा है कि राजनीति का अपराधीकरण खतरनाक है। दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए चार्जशीट काफी नहीं है। सिर्फ चार्जशीट के आधार पर उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है। संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है कि वो देखें की व्यवस्था भ्रष्टाचार का शिकार न बने। एक दिन आएगा कि अपराधी राजनीति में प्रवेश नहीं कर पाएगा। हालांकि कानून बनाना संसद का काम है। साथ ही राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले अपनी-अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवारों की सारी जानकारी डाले, जिसमें उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा देना जरूरी है।