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- उत्तर भारतीयों का न्योता स्वीकार कर क्या राज ठाकरे अपनी राजनैतिक प्रष्ठभूमी मजबूत करने मे जूटे....?
Posted by : achhiduniya
13 November 2018
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना [मनसे]
के सुप्रीमो राज ठाकरे महाराष्ट्र में खुद को मज़बूत करने के लिए
उन्होंने उत्तर भारतीयों के प्रति अपने रुख को नरम किया है। इसीलिए राज ठाकरे ने
उत्तर भारतीय महापंचायत को संबोधित करने का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया है। वही
कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि राज ठाकरे को पहले उत्तर
भारतीयों से माफी मांगनी चाहिए,लेकिन इस बीच ही महापंचायत राज ठाकरे के समर्थन में बीच में कूद
पड़ी और उसने कहा कि निरुपम गंदी राजनीति कर रहे हैं जो कि उत्तर भारतीयों के हित
में नहीं है। सूत्रों नके अनुसार
राज ठाकरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से भी बातचीत कर रहे थे। शरद पवार ने राज
ठाकरे के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार किया,लेकिन एमएनएस के
सूत्रों ने बताया कि एनसीपी के साथ गठबंधन होने की काफी संभावनाएं हैं।
अगले महीने
होने वाली मीटिंग के ऑर्गेनाइज़र विनय दूबे ने कहा कि किसी ने उत्तर भारतीयों के हितों
का ठेका संजय निरुपम को नहीं दिया है। वास्तव में उनका मुख्य एजेंडा उत्तर भारतीयों के
मन में राज ठाकरे के प्रति गलतफहमी पैदा करना है। अगर यह मुद्दा हल हो जाएगा तो
उनके पास काम खत्म हो जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि इसका उद्देश्य क्या है कि तो
उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय चाहते हैं कि वो खुद राज ठाकरे को सुनें। इसीलिए इस
मीटिंग का आयोजन किया गया है और राज साहब को इसे संबोधित करने के लिए बुलाया गया
है और राज साबह ने निमंत्रण को स्वीकार किया है। एमएनएस खुद को जिंदा रखने के लिए
बेसब्री में ये कदम उठा रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे ने
प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन किया था। हालांकि आगे चलकर राज
ठाकरे बीजेपी के विरोधी हो गए।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ
कांग्रेसी नेता अशोक चव्हाण ने कहा, हम यूपी, बिहार को लेकर उनके (राज ठाकरे के) रुख को
कैसे उचित ठहरा सकते हैं?
उत्तर भारतीय के खिलाफ उनके इसी नफरत के चलते ऐसी कोई संभावना
ही नहीं कि हम उनसे कोई गठबंधन करें। इसी वजह से राज
ठाकरे अगले आम चुनाव से पहले उत्तर भारतीयों को लेकर पार्टी की छवि बदलने की कोशिश
में जुटे हैं और उत्तर भारतीयों के एक कार्यक्रम में शिरकत का न्योता स्वीकारना
राज ठाकरे की अपनी राजनैतिक प्रष्ठभूमी मजबूत करने मे एक कोशिश
के रूप मे देखा जा सकता है।