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- बेरोज़गारी और मोटी कमाई के चक्कर मे युवा बन रहे है ''जिगोलो''……
Posted by : achhiduniya
09 November 2018
मुंबई की तरह दिल्ली में भी इनकी क़द्रदान संभ्रांत घरानों की महिलाएं
होती है जो ज़ाहिर है दिल्ली के पॉश इलाकों में रहती हैं। सड़क ही नहीं डिस्को, पब
और कॉफी हाउस में भी होती है बुकिंग। दिल्ली में जिगोलो का नेटवर्क सिर्फ़ सुनसान
सड़कों तक ही सीमित नही है। महानगर के हाईफ़ाई क्लबों और कॉफ़ी हाउस में भी जिगोलो
से सौदा तय किया जाता है। कुछ घंटों के लिए एक जिगोलो 1800 से
3000
हज़ार रुपए तक लेता है और पूरी रात के लिए 8000 रुपये चार्ज करता है। ये क़ीमत जिगोलो के
शरीर के अनुसार घटती-बढ़ती भी है यानी अगर जिगोलो युवा है और उसका शरीर गठीला है
तो उसे 15
हज़ार रूपए तक मिल जाते हैं।
जिगोलो के जिस्म के सौदेबाज़ी का काम बेहद नियोजित
तरीके से होता है। इनकी संस्था ये काम आधुनिक तरीक़े से संचालित करती है और यही
कारण है कि कमाई का 20
प्रतिशत हिस्सा इन्हें अपनी संस्था को देना होता है जो इनकी मार्किटिंग करती है।
कारोबार को दिल्ली के कई युवा अपना प्रोफेशन बना चुके हैं। कई जिगोलो तो बहुत पढ़े
लिखे हैं। इनमें इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र सबसे ज्यादा
हैं। इनका कहना है कि एक-दो लाख रुपय की नौकरी से उनका काम नहीं चलेगा क्योंकि वे
अय्याशी की ज़िंदगी बसर करने के आदी हो चुके हैं। इनका बाज़ार रात 10
बजे से सुबह 4
बजे के बीच सजता है।
युवा पॉश इलाकों और साऊथ एक्सटेंसन, आईएनए, अंसल
प्लाजा, कनॉट
प्लेस, जनकपुरी
डिस्ट्रिक सेंटर जैसे प्रमुख बाज़ारों की मुख्य सड़कों पर खड़े हो जाते हैं। यहां
गाड़ी रुकती है, जिगोलो
बैठता है और सौदा तय होते ही गाड़ी चल देती है। कुछ जिगोलो गले में रुमाल या पट्टे
लगाकर रखते हैं। ये किसी फ़ैशन के तहत नहीं बल्कि एक इशारा होता है। आपको हैरानी
होगी कि ये रुमाल या पट्टा उनके लिंग की लंबाई दर्शाता है।