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- प्रभु पर विश्वास की बात और बच्चे की परमात्मा से मिलने की जिद.....
Posted by : achhiduniya
13 December 2018
एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर परमात्मा से मिलने की जिद किया करता था। उसकी चाहत थी की एक समय की रोटी वो परमात्मा के साथ खाये।1 दिन उसने 1 थैले में 5, 6 रोटियां रखीं और परमात्मा को ढूंढने निकल पड़ा। चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया संध्या का समय हो गया। उसने देखा नदी के तट पर 1 बुजुर्ग बूढ़ा बैठा हैं, और ऐसा लग रहा था जैसे उसी के इन्तजार में वहां बैठा उसका रास्ता देख रहा हों। वो 6 साल का मासूम बालक,बुजुर्ग बूढ़े के पास जा कर बैठ गया। अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया और उसने अपना रोटी वाला हाँथ बूढे की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा,बूढे ने रोटी ले ली। बूढ़े के झुर्रियों वाले चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी आ गई आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे।
बच्चा बुढ़े को देखे जा रहा था, जब बुढ़े ने
रोटी खा ली बच्चे ने एक और रोटी बूढ़े को दी। बूढ़ा अब बहुत खुश था। बच्चा भी बहुत
खुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह के पल बिताये। जब रात घिरने लगी तो
बच्चा इजाज़त ले घर की ओर चलने लगा। वो बार बार पीछे मुड़ कर देखता , तो पाता बुजुर्ग बूढ़ा उसी की ओर देख रहा था।
बच्चा घर पहुंचा तो माँ ने अपने बेटे को आया देख जोर से गले से लगा लिया और चूमने
लगी,बच्चा बहूत खुश था। माँ ने अपने बच्चे को
इतना खुश पहली बार देखा तो ख़ुशी का कारण पूछा, तो बच्चे ने
बताया।
माँ....आज मैंने परमात्मा के सांथ बैठ कर रोटी खाई,आपको पता है उन्होंने भी मेरी रोटी खाई। माँ
परमात्मा बहुत बूढ़े हो गये हैं….मैं आज बहुत
खुश हूँ माँ। उस तरफ बुजुर्ग बूढ़ा भी जब अपने गाँव पहूँचा तो गाव वालों ने देखा
बूढ़ा बहुत खुश हैं,तो किसी ने उनके इतने खुश होने का कारण
पूछा ?बूढ़ा बोलां मैं 2 दिन से नदी के तट पर
अकेला भूखा बैठा था। मुझे पता था परमात्मा आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे। आज भगवान
आए थे, उन्होंने मेरे साथ बैठ कर रोटी खाई मुझे भी
बहुत प्यार से खिलाई,बहुत प्यार से मेरी और देखते थे, जाते समय मुझे गले भी लगाया,,परमात्मा बहुत ही मासूम हैं बच्चे की तरह दिखते
हैं। इस कहानी का अर्थ बहुत गहराई वाला है। असल में बात सिर्फ इतनी है की दोनों के
दिलों में परमात्मा के लिए प्यार बहुत सच्चा है। और परमात्मा ने दोनों को,दोनों के लिये, दोनों में ही
(परमात्मा) खुद को भेज दिया। जब मन परमात्मा भक्ति में रम जाता है तो हमे हर एक
में वो ही नजर आने लग जाते है।
@ प्रभु पर विश्वास......
एक आदमी की नई नई शादी हुई और वो अपनी पत्नि के साथ वापिस आ रहे
थे। रास्ते में वो दोनों एक बडी झील को नाव के द्वारा पार कर रहे थे, तभी अचानक एक भयंकर तूफ़ान आ गया। वो आदमी वीर था
लेकिन औरत बहुत डरी हुई थी क्योंकि हालात बिल्कुल खराब थे। नाव बहुत छोटी थी और
तूफ़ान वास्तव में भयंकर था और दोनों किसी भी समय डूब सकते थे,लेकिन वो आदमी चुपचाप, निश्चल और शान्त बैठा था जैसे कि कुछ नहीं होने
वाला हो।
औरत डर के मारे कांप रही थी और वो बोली क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा ये
हमारे जीवन का आखरी क्षण हो सकता है। ऐसा नहीं लगता कि हम दूसरे किनारे पर कभी
पहुंच भी पायेंगे। अब तो कोई चमत्कार ही हमें बचा सकता है वर्ना हमारी मौत निश्चित
है। क्या तुम्हें बिल्कुल डर नहीं लग रहा ? कहीं तुम पागल
वागल या पत्तथर वत्तथर तो नहीं हो ? वो आदमी खूब
हँसा और एकाएक उसने म्यान से तलवार निकाल ली ? औरत अब और
परेशान हो गई कि वो क्या कर रहा था ?
तब वो उस नंगी
तलवार को उस औरत की गर्दन के पास ले आया, इतना पास कि
उसकी गर्दन और तलवार के बीच बिल्कुल कम फर्क बचा था क्योंकि तलवार लगभग उसकी गर्दन
को छू रही थी। वो अपनी पत्नि से बोल क्या तुम्हें डर लग रहा है..? पत्नि खूब हँसी और बोली जब तलवार तुम्हारे हाथ
में है तो मुझे क्या डर ? मैं जानती हुँ कि तुम मुझे बहुत प्यार करते
हो। उसने तलवार वापिस मयान में डाल दी और बोला कि “यही मेरा जवाब
है। मैं जानता हुँ कि भगवान मुझे बहुत प्यार करता है और ये तूफ़ान उसके हाथ में है,इसलिए जो भी होगा अच्छा ही होगा।
अगर हम बच गये
तो भी अच्छा और अगर नहीं बचे तो भी अच्छा, क्योंकि सब
कुछ उस परमात्मा के हाथ में है और वो कभी कुछ भी गलत नहीं कर सकता। वो जो भी करेगा
हमारे भले के लिए करेगा। हमेशा विश्वास बनाये रक्खो। व्यक्ति को हमेशा उस परमपिता
परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिये जो हमारे पूरे जीवन को बदल सकता है।





