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भविष्य मे 'मिस्टर इंडिया' [दुश्मन को दिखाई न देने वाली तकनीक] की तरह दुश्मनों के छ्क्के छुड़ाएगी भारतीय सेना...
Posted by : achhiduniya
03 December 2018
नब्बे के दशक की सुपर हिट फिल्म 'मिस्टर इंडिया' का डॉयलॉग “मोगाईम्बो खुश हुआ” तो याद ही होगा आपको जिस तरह उस फिल्म का हीरो अपने वैज्ञानिक पिता की खोज की गई दुश्मन को दिखाई न देने वाली तकनीक के माध्यम से दुश्मनों को उनके खेमे जाकर निस्तोनाबूत कर देता है। उसी प्रकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मेटा-मैटीरियल ईजाद करने का दावा किया है, जिसके पहन लेने या ओढ़ लेने से भारतीय सेना के जवान, उनके टैंक,लड़ाकू विमान दुश्मन के राडार और जासूसी कैमरों की नजर से ओझल हो जाएंगे।
इस
तरह देखे ना जाने के कारण दुश्मन देश के ठिकानों पर हमला करना और उन्हें नेस्तनाबूद
करना ज्यादा आसान होगा। दुश्मन देशों को उनके ही घर में घुसकर मारना,सर्जिकल स्टाइक करना इस तरह के युद्ध कौशल में भारतीय सेना के तीनों अंग
माहिर हैं। रेतीला रेगिस्तान हो या खून जमा देने वाली बर्फीली पहाड़ियां, आर्मी जवान हर मुश्किल से जूझकर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देते हैं। आसमान
के रास्ते दुश्मन के ठिकानों को भेदने में हमारे लड़ाकू विमान कभी नहीं हारे तो
समंदर में भारत के जंगी जहाजों ने मोर्चा संभाले रखा,लेकिन
सैन्य अभियानों में जवानों की शहादत और रक्षा सामग्रियों का नुकसान का सामना भी
मुल्क को करना पड़ता है। अब इस नुकसान को कम करने के लिए आईआईटी, कानपुर ने अद्भुत खोज करने का दावा किया है। उन्होंने ऐसा मेटामैटीरियल
ईजाद किया है, जिसकी कोटिंग जवानों, टैंकों
और विमानों को खोजी उपकरणों की नजरों में नहीं आने देगी।
इस मेटा मैटीरियल
की बारीकियां समझने के लिए पहले ये जानना जरूरी होगा कि आखिर हमारे जवान और सैन्य
उपकरण दुश्मन की निगाहों में कैसे आते हैं। दरअसल अंधेरे में व्यक्ति या वस्तु हीट
रेडिएशन यानी शरीर के तापमान के सहारे पकड़ में आती हैं। रडार की तरंगें विमान से टकराकर उसकी मौजूदगी का
संकेत देती हैं। अब जरा कल्पना कीजिये कि जवानों के शरीर के तापमान को ही न भांपा
जा सके और रडार की तरंगों को हमारे लड़ाकू विमान सोख लें तो क्या उनकी उपस्थिति का
आभास दुश्मन को हो सकेगा। बस इस मेटा मैटीरियल का आवरण यही काम करता है। आमतौर पर
सभी मैटीरियल यानि पदार्थ की जननी प्रकृति यानि कुदरत है, लेकिन एक मेटामैटेरियल यानि परा-पदार्थ कई धातुओं
या प्लास्टिक जैसे कई तत्वों को संयुक्त रूप से मिलाकर बने होते हैं। उनके सटीक
आकार, ज्यामिति, अभिविन्यास और
व्यवस्था उन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंगों में हेरफेर करने में तथा अवशोषित करने
में सक्षम बनाती है।
इसी कारण इस मेटामैटीरियल का आवरण हमारी सैन्य व्यवस्था को
दुश्मन की गिनाहों से ओझल रखेगा। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर
उनकी पराधातु से बने वस्त्र अगर हमारे जवान पहन लें तो वे मिस्टर इंडिया की तरह
अदृश्य तो नहीं होंगे लेकिन रात के अंधेरे में वे दुश्मन के जासूसी कैमरों की नजर
से ओझल रहेंगे। इन कपड़ों को पहनने के बाद किसी भी प्रकार का आरएफ सेंसर, ग्राउंड रडार, एडवांस बैटल
फील्ड रडार और इंफ्रारेड कैमरों को बड़ी आसानी से चकमा दिया जा सकेगा। अमेरिका ने
भी एक खास मेटामैटीरियल विकसित किया है,लेकिन उनका यह
मैटीरियल काफी भारी है और उसका उपयोग काफी सीमित है। जबकि हमारा स्वदेशी मेटा मैटल
हल्का होने के कारण कई रूपों में इस्तेमाल होगा। आईआईटी कानपुर के शोध पर डीआरडीओ
यानि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने परीक्षण शुरू कर दिया है। उनके टेस्ट में
पास होने के बाद ये सेना का अंग बन जाएगा। [साभार]



