- Back to Home »
- Crime / Sex »
- सावधान पेट्रोल पंप पर डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वाइप मशीन से ऐसे होती है पिन नंबर की चोरी...
Posted by : achhiduniya
05 December 2018
जब से डिजिटल पेमेंट का क्रेज बड़ा है तभी से क्राइम और फ्रॉड के
भी किस्सो मे व्रधी देखी गई है। अगर आप पेट्रोल पंप पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से
भुगतान करते हैं तो सावधान हो जाइए। पेट्रोल पंप पर भी कार्ड की डिटेल चुराकर इसकी
क्लोनिंग कर बड़े फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है। पिछले दिनों पेट्रोल पंपों पर भी
ग्राहकों के कार्ड्स की डीटेल चोरी होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। क्राइम
ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार पेट्रोल या डीजल भरवाने के बाद कई लोग कार्ड्स से
पेमेंट करते हैं।
अक्सर कार मालिक कार में बैठे-बैठे अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड
पेट्रोल/ डीजल भरने वाले को दे देता है। आपकी यह लापरवाही ठगों का ठगी का मौका दे
देती है। ठगी के इस रैकिट से जुड़े पेट्रोल पंप कर्मचारी के पास दो स्वाइप मशीनें
होती हैं। एक मशीन किसी बैंक की होती है,जबकि दूसरी
बहुत छोटी मशीन होती है। इसी छोटी मशीन में पेट्रोल पंप कर्मचारी थोड़ा पीछे जाकर
कार्ड क्लोन कर लेता है। फिर वह मूल मशीन में दोबारा कार्ड स्वाइप करता है। कार
मालिक के पास स्वाइप मशीन लेकर उससे पिन नंबर टाइप करने को कहता है। जब तक लोगों
को पता चलता है,तब तक ठग अपना काम कर आपको चपत लगा चुके
होते हैं। मुंबई क्राइम ब्रांच के प्रॉपर्टी सेल ने इस केस में देश के अलग-अलग
शहरों से छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
इनमें से कोलावोले हकीम उर्फ आदीगुन नामक
एक नाइजीरियन भी है। ऐसे में आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर पेट्रोल पंपों पर
कैसे इस तरह का फ्रॉड हो रहा है। साथ ही यह भी कि सतर्क होकर,पेमेंट के दौरान सावधानियां बरत आप इस तरह के
फ्रॉड से कैसे बच सकते हैं। मुंबई पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया।
उन्होंने बताया कि जिस वक्त गाड़ी मालिक द्वारा अपने कार्ड का पिन नंबर टाइप किया
जाता है। पेट्रोल पंप पर इस रैकिट से जुड़े लोग संबंधित गाड़ी के ठीक पीछे किसी न
किसी बहाने घूमते रहते हैं। वे लोग कार्ड का पिन नंबर देख लेते हैं और फिर उसे
किसी को वॉट्सऐप कर देते हैं या मोबाइल देखने के बहाने नंबर मोबाइल पर टाइप कर
लेते हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि पेट्रोल पंप पर कार्ड से पेमेंट करते वक्त अलर्ट
रहें।
स्वाइप मशीन में पिन इस तरह डालें कि कोई उसे देख नहीं पाए। इस बीच क्लोन
मशीन से भी संबंधित ग्राहक के मूल कार्ड का डेटा एक खास सॉफ्टवेयर से ड्यूप्लिकेट
कार्ड्स में ट्रांसफर कर दिया जाता है। पिन नंबर और ड्यूप्लिकेट कार्ड्स को रैकिट
से जुड़े लोगों को दे दिया जाता है। इन कार्ड्स से कभी किसी एटीएम सेंटर से रकम
निकाली जा जाती है तो कभी किसी दुकानदार को 40 प्रतिशत तक मोटा कमिशन देकर उसकी
स्वाइप मशीन से ट्रांजैक्शन होता है। मुंबई में इस तरह के फ्रॉड के मामले में एक
ऐसे दुकानदार को गिरफ्तार भी किया है।



