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ईशा अंबानी के पिता मुकेश अंबानी और आनंद पीरामल के पिता अजय पीरामल दोनों समधियों के बीच क्या हुई बात....?
Posted by : achhiduniya
10 December 2018
रिलायंस ग्रुप के प्रमुख मुकेश अंबानी अपनी बेटी ईशा की शादी की
उदयपुर में चल रही प्री-वेडिंग सेरेमनी में कई बार बेटी के पिता की तरह दिखे।
मेहमानों के बीच हाथ जोड़े हुए और लोगों से कहते हुए कि हम लड़की वाले हैं।
देश-विदेश से आए सभी मेहमानों का हम स्वागत करते हैं। रविवार के अलावा बुधवार को भी
हम शादी में व्यस्त रहने वाले हैं। मैं मेरे सभी दोस्तों से, मेहमानों से, कहना चाहता
हूं, कहीं कुछ कमी रह गई हो तो थोड़ा तो सहन
करना पड़ेगा, आखिर हम लड़की वाले हैं। बेटी की शादी है।
मुकेश ने अपनी स्पीच में भी ये बात कही तो समधी अजय पीरामल ने कहा कि हम ये बदलना
चाहते थे।
बहुत कोशिश की, पर आपको पता ही है कि कामयाब कारोबारी कौन
है। जीत मुकेश की ही हुई। मुकेश अंबानी ने कहा- बेटी की शादी है। मेरे
अंतरराष्ट्रीय दोस्त जो लंबी दूरी तय कर शादी में शामिल होने आए हैं, यहां आने के लिए मैं उनका दिल से धन्यवाद करता
हूं। आइए, आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं। मेरे दो
जुड़वां बच्चे हैं। आकाश और ईशा। बेटे आकाश के हीरो तो सुपरमैन-बैटमैन हैं। बचपन
में उसको तो ऐसा लगता था कि उसकी मां भी इनकी तरह ही है। लेकिन, बेटी ईशा की कई साल से एक ही हीरो हैं, और वे हैं हिलेरी क्लिंटन, जो आज हमारे साथ हैं। हिलेरी का मैं तहे दिल से
धन्यवाद करना चाहता हूं। क्लिंटन आप मेरी बेटी ईशा की सुपर हीरो हैं। ईशा के साथ
ही आप हम सबकी भी सुपर हीरो हैं। बिल क्लिंटन और हिलेरी से मेरी दोस्ती पिछले दो
दशक से है।
हिलेरी आपकी उपस्थिति हमारा सौभाग्य है। आप ईशा और आनंद को अपना
आशीर्वाद दें। दो दशक से मेरे अजीज दोस्त सऊदी अरब के खालिद का भी शुक्रिया। खालिद
अब सऊदी अरब के तेल मंत्री हैं। इसके अलावा बहुत सारे मेरे अजीज दोस्त और मेहमान
हैं, मैं उन सभी का नाम तो नहीं ले सकता, मैं सबका तहे दिल से धन्यवाद देता हूं। नमस्ते! नमस्ते
सिर्फ एक शुभकामना नहीं है, जैसे हैलो और हाय होता है। इसके पीछे से एक
गहरा अर्थ है। नमस्ते दो शब्दों से बना है। न मतलब ना, यानी नो और म का मतलब मी। तो नमस्ते का पूरा मतलब
हुआ नॉट फॉर मी बट फॉर यू। यानी इट इज लविंग यू, केयरिंग फॉर
यू एंड सर्विंग यू। यही इस सेरेमनी का सार है। जैसा कि मुकेश ने कहा कि हम तो
लड़की वाले हैं। वर्षों से यह परंपरा है कि दूल्हे का परिवार, दोस्त आते हैं और मेहमान नवाजी की पूरी व्यवस्था
लड़की वालों की तरफ से की जाती है।
इस पर आनंद पीरामल के पिता अजय पीरामल ने कहा
हमने इसको बदलने की कोशिश की और मुकेश से निवेदन भी किया कि हम भी कुछ करना चाहते
हैं,लेकिन आपको पता है कि सबसे सफलतम बिजनसमैन
कौन हैं। मुकेश ने मुझे इसका अवसर ही नहीं दिया। यहां की मेजबानी को लेकर सभी मुझे
बधाई दे रहे हैं, लेकिन ये सारी व्यवस्थाएं नीता-मुकेश और
उनकी टीम ने की हैं। इसके लिए आभारी हूं। संस्कृत में अतिथि देवो भव: होता है, जिसका मतलब है कि मेहमान भगवान समान है। यानी
मेहमान की आवभगत हमें भगवान की तरह करनी है। सेरेमनी के इंतजामों से मैं ये बात
दावे से कह सकता हूं कि नीता-मुकेश ने इसे चरितार्थ किया है।



