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- किसान दवारा 'गांधीगिरी' के रास्ते से भेजे गए मनीऑर्डर से हरकत मे आई मोदी सरकार.....
Posted by : achhiduniya
05 December 2018
नासिक के एक किसान संजय साठे की नासिक के पास दो एकड़ जमीन है।
एक एकड़ पर प्याज और दूसरे पर अंगूर की खेती की। प्याज की पैदाइश भी अच्छी हुई।
खेती में लगभग 75 हजार रुपये खर्च आया था। अच्छी खेती होने से साठे खुश थे,लेकिन उनकी यह खुशी कुछ समय मे काफ़ुर हो गई। जब
साठे 750 किलो का प्याज लेकर लासलगांव प्याज की सबसे बड़ी मंडी में पहुंचे तो पता
चला कि उस दिन प्याज के दाम 1 रुपये गिरे थे। लिहाजा उनको साढ़े सात क्विंटल के
बदले में महज 1064 रुपये मिले। गुस्से में आकर साठे पोस्ट ऑफिस पहुंचे और 'गांधीगिरी' अपनाते हुए
1064 रुपये का मनीऑर्डर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कर दिया। मनीऑर्डर पहुँचते ही पीएम ऑफिस कार्यालय सक्रिय हो गया।
घटना
के जांच के आदेश तो दे दिए गए,लेकिन किसान
संजय साठे के नुकसान से ज्यादा उनके राजनीतिक संबंधों के बारे में ज्यादा जांच
शुरू कर दी गई जिससे संजय और उनके गांव के सरपंच ने भी नाराज दिखायी। 29 नवंबर को संजय साठे ने मनी ऑर्डर भेजा था।
मनी ऑर्डर पीएम ऑफिस पहुंचते ही हड़कंप मचा। आदेश आए कि घटना की पूरी जांच की जाए।
संजय साठे से जुड़ी जानकारी निकाली जाए। नासिक के कलेक्टर ऑफिस को यह आदेश मिलते
ही जांच शुरू हुई। प्रांत अधिकारी यानी ब्लॉक अफसर ने संजय से संपर्क किया और उनसे
घटना के बारे में जानकारी पूछी। संजय ने कभी नहीं सोचा था कि गुस्से में लिए कदम
से ऐसा भी कुछ हो जाएगा। संजय ने कहा कि मुझे प्रांत अधिकारी का फोन आया और उन्होंने
मेरे प्याज के खेत और उसे मिले पैसे के बारे में पूछा।
मुझे लगा यहां बात खत्म हुई,लेकिन बात यहां खत्म नहीं हुई थी। प्रांत अधिकारी
ने गांव वालों से भी पूछताछ की। नैताली गांव के पूर्व सरपंच राजेंद्र बोरगुडे ने
कहा कि सरकारी अफसरों ने ज्यादातर संजय के राजनीतिक संबंधों के बारे में पूछा। क्या
वह किसी पार्टी से जुड़े तो नहीं हैं, यही वह लोग
जानना चाहते थे। स्थानीय पत्रकार अन्नासाहेब बोरगुडे को भी फोन आया। उनसे भी साठे
के राजनीतिक संबंधो के बारे में ही पूछा गया। साठे किसी भी राजनीतिक पार्टी से
जुड़े नहीं है और उन्होंने गुस्से में यह गांधीगिरी का काम किया था। इसके पीछे कोई राजनीतिक मंशा
नहीं थी। फिर भी राजनीतिक संबंधों के बारे में खंगाले जाने से वह थोड़े परेशान हैं,लेकिन उन्हें इस बात की तसल्ली भी है कि
मनीऑर्डर के बाद सरकारी तंत्र ने उनकी सुध तो ली। अब सरकार जल्द से जल्द प्याज के
निर्धारित मूल्य घोषित करे, वह ऐसी उम्मीद
लगाए हुए हैं।


