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कुंभ में निर्मोही अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास महाराज ने की नशामुक्त भारत,चिलम छोड़ो आंदोलन की शुरुआत....
Posted by : achhiduniya
31 January 2019
बाबा रामदेव ने साधुओं की सर्वसमावेशी संगत में आह्नान करते हुए
कहा कि नशा, चिलम आदि से साधुओं का गौरव और हमारी महान
संत परम्परा बदनाम होती है। उन्होने
कहा कि जब हम कल्याण के लिए घर-परिवार और मोह-माया छोड़कर इस
पावनी ऋषि परम्परा में आ गए तो क्या हम नशा, चिलम और
तम्बाकू आदि नहीं छोड़ सकते? इस पर सर्वप्रथम निर्मोही अखाड़े के महंत
राजेन्द्र दास महाराज ने चिलम दान देकर इस अभियान की शुरुआत की और नशा मुक्ति के
लिए संकल्प लिया। यह वही अखाड़ा है जो कुंभ में सबसे पहले शाही स्नान करता है।
बाबा
रामदेव को चिलम दान देकर साधुओं ने ‘नशामुक्त भारत'' का सपना पूरा
करने की दिशा में ऐतिहासिक शुरुआत की। बाबा रामदेव महाराज ने इस संगत को संबोधित
करते हुए कहा कि हम सब एक ईश्वर की संतान हैं। हम सब एक समान हैं, सब महान हैं। हमारा खून एक और हमारे पूर्वज एक
हैं। कोई ऊंच-नीच नहीं और कोई भेदभाव नहीं। हमारे पूर्वज गौतम, कणादि, जैमिनि, पाणिनि, पतंजलि, राम, कृष्ण आदि कोई
चिलम नहीं पीता था। हमने साधुओं का और संत
परम्परा का गौरव बढ़ाया है। हम त्याग करते हैं, तप करते हैं, जन कल्याण करते हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि
महात्माओं ने विदेशियों का शीर्षासन कराया है।
संत परोपकारी होते हैं। हम रोजगार
देते हैं। हमने दो लाख लोगों को रोजगार दिया है और धर्म-संस्कृति की रक्षा कर रहे
हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं युवाओं का नशा छुड़वाता हूं तब लोग कहते हैं कि आप
महात्माओं का नशा क्यों नहीं छुड़वाते हो। मैं इसका क्या उत्तर दूं? आप अपनी चिलम दान करो, नशा छोड़कर मानवता के लिए प्रेरणा बनो।