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- प्रयागराज में चल रहे कुंभ के दौरान देश-विदेश में रह रहे संतों को एक मंच पर लाकर राम मंदिर निर्माण मार्गदर्शन की तैयारी मे विश्व हिंदू परिषद....
प्रयागराज में चल रहे कुंभ के दौरान देश-विदेश में रह रहे संतों को एक मंच पर लाकर राम मंदिर निर्माण मार्गदर्शन की तैयारी मे विश्व हिंदू परिषद....
Posted by : achhiduniya
31 January 2019
वीएचपी की धर्म संसद में हिस्सा लेने के पहुंचे। यूपी के सीएम
योगी आदित्यनाथ से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मुलाकात की।
अनुमान लगाया जा रहा है की एक फरवरी को इस धर्म संसद में राम मंदिर मुद्दे पर
प्रस्ताव आ सकता है। दो दिन तक चलने वाली धर्म संसद में देशभर के तकरीबन 5,000
साधु-संत जुट रहे हैं। वीएचपी ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं। इस
आयोजन में वीएचपी और संघ के बड़े पदाधिकारी भी पहुंच रहे हैं। वीएचपी के कार्यकारी
अध्यक्ष आलोक कुमार और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे समेत वीएचपी की
पूरी कार्यकारिणी कुंभ में हो रहे इस आयोजन में मौजूद है।
कश्मीर से लेकर
कन्याकुमारी तक देश के तकरीबन हर जिले से संतों के प्रतिनिधित्व पर वीएचपी ने ताकत
झोंकी है। शाम पांच बजे तक धर्म संसद के पहले दिन की कार्यवाही चलेगी। वीएचपी की
धर्म संसद के पहले दिन केरल के सबरीमाला मंदिर विवाद, धर्मांतरण का मुद्दा और हिंदुओं की संस्कृति पर
हो रहे हमले जैसे मसलों पर मंथन होगा। वहीं, दूसरे दिन
यानी 1 फरवरी को राम मंदिर का मुद्दा रखा जाएगा। इस दौरान मंदिर मुद्दे पर एक
प्रस्ताव भी पास किया जा सकता है। वीएचपी के उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र ने केन्द्र
सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए अधिग्रहीत भूमि राम जन्मभूमि
न्यास को लौटाने के लिए दी गई अर्जी को राम मंदिर निर्माण के लिए पहला कदम बताया
है।
उन्होंने कहा कि इससे आंदोलन को गति मिलेगी, लेकिन हमें तो
67 एकड़ भूमि चाहिए। इसमें 2.7 एकड़ भूमि भी शामिल है, जिस पर रामलला विराजमान हैं। वीएचपी की अब तक की
सबसे बड़ी धर्म संसद कुंभ में विदेश में रह रहे संतों को भी आमंत्रित किया गया है।
वनवासी क्षेत्रों से लेकर कश्मीर, उत्तराखंड और
केरल-तमिलनाडु के संतों को भी इसमें बुलाया गया है। वीएचपी की कोशिश राम मंदिर के
मुद्दे पर पूरे देश के संतों को एक मंच पर लाना है ताकि उनसे ऐसा मार्गदर्शन मिले
जो आगामी आंदोलन का रास्ता तय कर सके। परमधर्म संसद की अगुआई कर रहे शंकराचार्य
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, हम अयोध्या में 21 फरवरी 2019 को राम मंदिर
की नींव रखेंगे। हम कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। जब तक
सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेश को खारिज नहीं कर देता, तब तक यह लागू है। वहां रामलला विराजमान हैं, वह जन्मभूमि है।