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- ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी से बिल को वापस लेने की मांग....
Posted by : achhiduniya
20 January 2019
लोकसभा के शीतकालीन सत्र
में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों से जुड़ा एक अहम बिल पारित किया गया था। ये
बिल ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों को संरक्षित करता है जिस पर सदन ने ध्वनिमत से मुहर
लगा दी। इस बिल में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करने, उनके खिलाफ भेदभाव पर पाबंदी लगाने और उन्हें
लिंग पहचान का अधिकार देने के प्रावधान शामिल हैं। द ट्रांसजेंडर पर्सन्स प्रोटेक्शन
ऑफ राइट्स बिल 2018 के विरोध में रविवार को जंतर मंतर पर ट्रांसजेंडर समुदाय ने
जमकर विरोध प्रदर्शन किया। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी से
इस बिल को वापस लेने की मांग की है।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों का कहना है कि ये बिल उनकी जिंदगी मुश्किल कर देगा क्योंकि इसके प्रावधान उनके खिलाफ हैं। किन्नर समाज के उत्तम बाबा का कहना है, सरकार से हमारी तीन प्रमुख मांगे हैं बिल में संशोधन किया जाए जो मौजूदा बिल में रखा गया है। सदियों से चले आ रहे गुरु शिष्य परंपरा को कायम रखा जाए ,दूसरा लिंग के अनुसार कोई किन्नर समाज में होता है तो उसका अधिकार रखा जाए और तीसरा हमलोगों की भिखारी की श्रेणी में रखा गया है जो बिलकुल गलत है इसे भी बिल से हटाया जाए।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों का कहना है कि ये बिल उनकी जिंदगी मुश्किल कर देगा क्योंकि इसके प्रावधान उनके खिलाफ हैं। किन्नर समाज के उत्तम बाबा का कहना है, सरकार से हमारी तीन प्रमुख मांगे हैं बिल में संशोधन किया जाए जो मौजूदा बिल में रखा गया है। सदियों से चले आ रहे गुरु शिष्य परंपरा को कायम रखा जाए ,दूसरा लिंग के अनुसार कोई किन्नर समाज में होता है तो उसका अधिकार रखा जाए और तीसरा हमलोगों की भिखारी की श्रेणी में रखा गया है जो बिलकुल गलत है इसे भी बिल से हटाया जाए।
2011 की जनगणना के
अनुसार, ऐसे लोग जिनकी पहचान पुरुष या महिला के तौर पर
नहीं, बल्कि अन्य के तौर पर हुई, उनकी संख्या 4,87,803 थी, जोकि कुल
आबादी का 0.04 प्रतिशत था। किन्नरों का कहना है कि समाज
में उन्हें एक अलग निगाह से देखा जाता है सरकार को बिल में संशोधन करना चाहिए उनके
नहीं तो आगामी बज़ट सत्र के दौरान पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।